Rahul Gandhi की वीडियो इंटरव्यू सीरीज अब फिक्स्ड मैच लगने लगी है
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का वीडियो सीरीज (Video Series) अब बोर करने लगा है. सारे सवाल जवाब लगता है पहले से ही तय होते हैं - यहां तक कि निष्कर्ष भी. नये एपिसोड में राजीव बजाज (Rajiv Bajaj) तो अपने पिता राहुल बजाज की ही बातें आगे बढ़ाते नजर आये.
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के वीडियो वार्ता (Video Series) का नया एपिसोड भी आ चुका है. ताजा इश्यू में राहुल गांधी ने उद्योगपति राजीव बजाज से बातचीत की और दोनों ही के निशाने पर केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार रही. राहुल गांधी का वीडियो सीरीज अब बोर करने लगा है. ऐसा लगता है जैसे सब कुछ पहले से ही फिक्स्ड हो. सारे सवाल, सारे जवाब पहले से ही तय हों - मुद्दा तो तय रहता ही है कोरोना वायरस के दौर में लॉकडाउन की आलोचना.
बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज (Rajiv Bajaj) और राहुल गांधी की बातचीत से एक समझ ये भी बनी कि 2019 के आखिर में उद्योगपति राहुल बजाज ने जो बातें कही थी, उनके बेटे राजीव बजाज उसे ही आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे.
ये विमर्श राहुल गांधी के लिए नुकसानदेह है
राहुल गांधी ने इससे पहले RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से भी ऐसी ही बातचीत कर चुके हैं. निश्चित रूप से उन दोनों की बातों में भी सरकार की नीतियों की आलोचना शामिल रही, लेकिन दोनों विशेषज्ञों ने कुछ अच्छी सलाह भी दी थी.
रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी के बाद राहुल गांधी के नये मेहमान राजीव बजाज ने भी एक तरीके से कांग्रेस नेता के मन की ही बात की. लॉकडाउन को ड्रेकोनियन बताया. अर्थव्यवस्था को खत्म कर देने का आरोप लगाया. बोले, दुनिया के किसी भी देश में ऐसे लॉकडाउन के बारे में नहीं सुना है. हमने सख्त लॉकडाउन लागू करने की कोशिश की, लेकिन उसे सही तरीके से लागू नहीं कर पाये. कोरोना वायरस की जगह जीडीपी के कर्व को ही फ्लैट कर दिया.
ऐसी और भी बातें हुईं लेकिन सबका लब्बोलुआब एक जैसा ही रहा. कुछ बातें राहुल गांधी खुद उठा रहे थे और राजीव बजाज उनका जवाब दे रहे थे और कई बातें इसके उलट हो रही थीं. मुद्दे वही सारे घिसे पिटे जो राहुल गांधी बीते बरसों मे करते आ रहे हैं. कहीं कहीं उसमें कोरोना वायरस और लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था का भी जिक्र हो जा रहा था.
क्या राहुल गांधी को आइडिया का टोटा पड़ने लगा है?
सवाल ये है कि एक ही तरह की बातों में किसकी दिलचस्पी होगी. अगर राहुल गांधी ये मैसेज देना चाहते हैं कि वो अलग अलग फील्ड के एक्सपर्ट के साथ कोरोना संकट से उबरने उपाय खोज रहे हैं और जो बातें निकल कर आ रही हैं उन्हें वो सरकार के साथ शेयर करेंगे. चाहें पत्र लिख कर या ट्वीट करके. चलेगा. लेकिन कोई नयी बात तो हो.
अगर राहुल गांधी लोगों को ये बताना चाहते हैं कि वो देश के लिए काम कर रहे हैं, न कि जैसा लोग समझते थे जब भी मौका मिलता है छुट्टी पर चले जाते हैं - तो भी ये बातचीत राहुल गांधी के पक्ष में कोई धारणा बना पा रही हो, ऐसा लगता तो बिलकुल नहीं है.
कोई भी नेता बगैर सलाहकारों के काम नहीं कर सकता. राजकाज की पुरानी व्यवस्था से लेकर अब तक सलाहकारों की बड़ी भूमिका रही है. राहुल गांधी सलाह लेने के सबूत भी दे दे रहे हैं. जब पहले से ही लोगों में कोई धारणा बनी हो तो ऐसी सलाहियत या कार्यक्रम चलाना चाहिये जो सुधार की कोशिश करे. ये तो उलटी ही गंगा बह रही है.
ये बातचीत तो ऐसे संकेत दे रही है जैसे पहले से ही सवाल जवाब लिखे हुए हों, जैसे लिखा हुआ भाषण कोई एक आदमी पढ़ता है, वैसे ही कोई स्क्रिप्ट दो लोग मिल कर कैमरे के सामने पढ़ रहे हों - ये बातचीत तो ऐसा संकेत देने लगी है जैसे कांग्रेस नेतृत्व के पास आइडिया की कमी हो चली हो और मार्केट से उधार भी नहीं मिल पा रहा हो.
जो सीनियर बजाज ने कहा था
2019 के आखिर में मुंबई में एक कार्यक्रम हुआ था. कार्यक्रम में आडिएंस में मुकेश अंबानी, कुमारममंगलम बिरला, सुनील भारती मित्तल जैसे बड़े उद्योगपति थे तो मंच पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने कैबिनेट साथियों निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल के साथ मौजूद थे.
उसी आडिएंस में राजीव बजाज के पिता राहुल बजाज भी बैठे हुए थे. जब बोलने की बारी आई तो बोले भी, 'हमारे उद्योगपति दोस्तों में से कोई नहीं बोलेगा, मैं खुले तौर पर इस बात को कहता हूं... एक माहौल तैयार करना होगा... जब यूपीए 2 सरकार सत्ता में थी, तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे. आप अच्छा काम कर रहे हैं, उसके बाद भी, हम आपकी खुले तौर पर आलोचना करें इतना विश्वास नहीं है कि आप इसे पसंद करेंगे.'
राहुल गांधी के साथ वीडियो चैट में राजीव बजाज ने भी ऐसी ही बातें बतायी. बताने के लिए अपने किसी दोस्त की कही हुई बात को आधार बनाया. बताया कि जब वो अपने दोस्त को बताये कि राहुल गांधी से बातचीत करने जा रहे हैं और मुद्दे ये हैं तो दोस्त ने कुछ बातें करने से मना की - क्योंकि ऐसा किया तो मुश्किल में पड़ जाओगे.
सवाल ये है कि जब राहुल बजाज को मौके पर ही अमित शाह ने आश्वस्त कर दिया था कि किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है. साफ तौर पर कहे भी थे, 'मैं इतना स्पष्ट तौर पर कहना चाहूंगा कि किसा को डरने की ज़रूरत नहीं और ना ही कोई डराना चाहता है.'
जब इस बातचीत को लेकर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की तो बीजेपी की तरफ से आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने मोर्चा संभाल लिया - लाइसेंस राज में फलने फूलने वाले उद्योगपति हमेशा कांग्रेस आभारी रहेंगे. ऐसा कहते हुए अमित मालवीय ने राहुल बजाज का एक पुराना बयान भी साथ में शेयर कर दिया.
If one had such fawning view of Rahul Gandhi, when he is an unmitigated disaster, then it is only natural to spin imaginary yarn and assume the worst for the current regime.
Truth be told - industrialists who flourished in the license raj will always be beholden to the Congress. pic.twitter.com/9sjSTRN9RZ
— Amit Malviya (@amitmalviya) November 30, 2019
अब उसी बात को राजीव बजाज फिर से आगे बढ़ा रहे हैं. वो भी तब जबकि राहुल बजाज उस वक्त भी अकेले नजर आये थे क्योंकि किसी अन्य उद्योगपति ने ऑफ द रिकॉर्ड भी मीडिया से ऐसी कोई बात नहीं कही थी.
जब डर के माहौल की बात हुई तो राजीव बजाज ने राहुल गांधी को बताया, 'मैंने भी किसी के साथ ये शेयर किया कि मैं राहुल गांधी से बात करने जा रहा हूं - और ये बातें करनी हैं. उसकी पहली प्रतिक्रिया थी, ये मत करो. मैंने कहा, लेकिन क्यों नहीं? उसका जवाब था - मत करना, इससे आपको परेशानी हो सकती है.'
राजीव बजाज ने ये भी बताया कि कई तरीके से उन्होंने अपने दोस्त को समझाने की कोशिश की लेकिन वो अपनी बात पर कायम रहा - क्यों रिस्क लेते हो?
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