राहुल गांधी को दंगे वाले इलाकों में जाने की जरूरत क्या थी? Twitter ही काफी था
दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के 72 घंटे बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अमित शाह और अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछे थे - लेकिन हिंसा और उपद्रव के 10 दिन बाद जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi Vadra) दिल्ली की सड़कों पर निकले तो ये तो पूछा ही जाएगा कि 23 फरवरी से वो कहां थे?
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दिल्ली में भड़की हिंसा (Delhi Riots) ने देखते ही देखते दंगे का रूप ले लिया और 46 लोगों की जान ले ली. बहरहाल, अब हिंसा थमने के साथ ही शांति कायम करने और जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश चल रही है - दंगे के 10 दिन बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रभावित इलाकों के दौरे पर पहुंचे. राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल भी था.
राहुल गांधी अब दिल्ली दंगों को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछ रहे हैं - बहुत अच्छी बात है, लेकिन सवाल तो ये भी है कि अब तक वो खुद क्यों खामोश थे?
सवाल तो ये भी है कि जो सवाल सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अमित शाह और अरविंद केजरीवाल से पूछा क्या थोड़ा बहुत राहुल गांधी और प्रियंका गांधी (Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi Vadra) से नहीं पूछ सकती थीं? आखिर वे दोनों भी तो कांग्रेस के बड़े नेता हैं और उनकी भी जिम्मेदारी बनती है.
दंगे वाले इलाकों में राहुल गांधी गये ही क्यों?
23 फरवरी की रात से दिल्ली में दंगे शुरू हुए और 26 फरवरी को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलायी और केंद्र सरकार से सवाल किया - 72 घंटे तक एक्शन क्यों नहीं लिया गया. प्रेस कांफ्रेंस में सोनिया गांधी ने CWC की तरफ से ऐसे पांच सवाल पूछे थे - और हाथ के हाथ गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांग लिया था.
अगले दिन कांग्रेस नेताओं के साथ सोनिया गांधी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन देने राष्ट्रपति भवन पहुंचीं. सोनिया गांधी के साथ सीनियर कांग्रेस नेताओं के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी थे. मुलाकात के बाद सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह फिर से मीडिया के सामने आये और बताया कि राष्ट्रपति से अमित शाह को गृह मंत्री के पद से हटाने की भी मांग की गयी है.
साथ ही, मनमोहन सिंह ने बताया कि राष्ट्रपति से दिल्ली दंगे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाने को भी कहा गया. दरअसल, ये कांग्रेस की दिल्ली दंगों को 2002 के गुजरात के दंगों से जोड़ने की कोशिश रही क्योंकि तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयपेयी ने ये सलाह तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कही थी.
24 फरवरी को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों ने ट्विटर पर दिल्ली हिंसा को लेकर एक एक पोस्ट किया था. प्रियंका गांधी ने महात्मा गांधी की दुहाई देते हुए शांति की अपील की थी और कहा था कि हिंसा रोकने की जिम्मेदारी हम सबकी है. ट्विटर पर ही राहुल गांधी की अपील भी मिलती जुलती ही रही.
The violence today in Delhi is disturbing & must be unequivocally condemned. Peaceful protests are a sign of a healthy democracy, but violence can never be justified. I urge the citizens of Delhi to show restraint, compassion & understanding no matter what the provocation.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 24, 2020
सोनिया गांधी की प्रेस कांफ्रेंस और राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के करीब हफ्ते भर बाद राहुल गांधी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में पहुंचे. राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल भी रहा जिसमें मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, अधीर रंजन चौधरी, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, के. सुरेश और गौरव गोगोई शामिल थे.
उत्तर पूर्वी दिल्ली के बृजपुरी इलाके में पहुंचे राहुल गांधी ने वो स्कूल भी देखा जो हिंसा के दौरान आगजनी का शिकार हुआ था. स्कूल से बाहर आकर राहुल गांधी ने मीडिया से वही सारी बातें दोहरायीं हिंदुस्तान को बांटा और जलाया जा रहा है और हिंसा-नफरत तरक्की के दुश्मन हैं.
कांग्रेस ने संसद में भी दिल्ली हिंसा का मुद्दा उठाया है और राहुल गांधी भी संसद परिसर के बाहर हुए कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे. विरोध प्रदर्शन के दौरान भी गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग दोहरायी गयी.
अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सोनिया गांधी ने अमित शाह पर हमले के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. सोनिया गांधी का पहला सवाल अमित शाह से था तो दूसरा अरविंद केजरीवाल से ही था. दोनों से सवाल बिलकुल वही था, सिर्फ संबोधन के लिए नाम बदल दिये गये थे.
सोनिया गांधी का अरविंद केजरीवाल से सवाल था - 'पिछले इतवार से दिल्ली के मुख्यमंत्री कहां थे और क्या कर रहे थे?' सोनिया गांधी जिस दिन की बात कर रही थीं वो तारीख 23 फरवरी ही थी जिस रात हिंसा भड़की थी.
अब 10 दिन बाद जब राहुल गांधी दिल्ली की सड़कों पर उतरे हैं - क्या वही सवाल उनका पीछा नहीं करेगा? और वही सवाल क्या प्रियंका गांधी वाड्रा को यूं ही छोड़ देगा? ये ठीक है कि दिल्ली में दंगा रोकने की पहली जिम्मेदारी गृह मंत्री होने के नाते अमित शाह की बनती थी - और मुख्यमंत्री होने की वजह से अरविंद केजरीवाल की बनती थी, लेकिन क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों के दौरे पर राहुल गांधी
जो बातें राहुल गांधी ने दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों में जाकर कही है, वैसा बयान तो वो भी सोनिया गांधी की तरह एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर जारी कर सकते थे. या फिर उनकी अनुपस्थिति में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ही पढ़ कर सुना सकते थे - और कुछ नहीं तो राहुल गांधी ट्विटर पर ही बयान पोस्ट कर देते.
राहुल गांधी के दौरे को लेकर बीजेपी की तरफ से पहला रिएक्शन दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी का आया है. रमेश बिधूड़ी ने पूछा है, 'राहुल गांधी हाल ही में इटली से लौटे हैं. मुझे नहीं पता हवाईअड्डे पर उनकी जांच की गई या नहीं. उन्हें अपना मेडिकल चेकअप कराना चाहिए, ताकि पता चल सके कि वह इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हैं या नहीं?'
रमेश बिधूड़ी के इस सवाल की वजह कोरोना वायरस का इटली कनेक्शन है. हुआ ये था कि इटली से लौटे दिल्ली में एक व्यक्ति ने एक पार्टी दी थी जिसमें करीब दो दर्जन लोग शामिल हुए. बर्थ-डे पार्टी खत्म होने के बाद सब अपने घर लौट गए. घर लौटने के बाद लोगों को पता चला कि जिस शख्स के घर पार्टी मनाने गए थे वो कोरोना का मरीज है - ये सुनते ही लोगों के होश उड़ गये. फिर तो 40 से ज्यादा बच्चों की जांच करायी गयी, दो स्कूल बंद कराये गये और फिर सबको खोज कर जांच पड़ताल की जा रही है.
अब तक किस बात की खामोशी रही?
दिल्ली हिंसा पर महज एक ट्वीट के बाद राहुल गांधी की तरफ से ट्विटर पर भी कोई अपील या बयान नहीं आया. हां, हाई कोर्ट के जज के तबादले या जन्म दिन की बधाइयों के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशलमीडिया छोड़ने वाले ट्वीट पर भी रिएक्ट जरूर किया है.
राहुल गांधी के साथ ही प्रियंका गांधी ने भी 24 फरवरी के अपने ट्वीट में दिल्लीवासियों के साथ साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी शांति बनाये रखने की अपील की थी. ये अपील अपनेआप में ही बड़ी अजीब है. कोई भी नेता पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसी अपील कब और क्यों करता है?
..करती हूँ कि वे शान्ति और अमन बनाए रखने के लिए प्रयास करें। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 24, 2020
राहुल गांधी की ताजा सक्रियता एक राजनीतिक रस्मअदायगी से ज्यादा कुछ तो नहीं लगती. विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं और इस नाते मौके पर जाना इसलिए भी जरूरी हो जाता है को लोग क्या कहेंगे? राहुल गांधी का कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली दौरा भी खानापूर्ति ही लगता है.
दिल्ली दंगों को लेकर जैसे ही सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाया, बीजेपी नेता मैदान में कूद पड़े और कांग्रेस नेतृत्व को 1984 के सिख दंगों की याद दिलाने लगे. फिर काउंटर करने के लिए राष्ट्रपति को ज्ञापन के जरिये कांग्रेस ने दिल्ली दंगों को गुजरात दंगों से जोड़ने की भी कोशिश की - लेकिन फिर बीजेपी का पूरा अमला मोर्च पर आ डटा और कांग्रेस को दिल्ली दंगों के लिए जिम्मेदार बताने लगा.
रामलीला मैदान की रैली से सोनिया गांधी ने भी CAA-NRC के खिलाफ लोगों से घरों से निकल कर विरोध में आंदोलन करने की अपील की थी. यही वजह रही कि दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी नेता शाहीन बाग को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को घेरने की कोशिश करते रहे. सोनिया गांधी के अमित शाह के हमले पर बीजेपी कहने लगी कि कांग्रेस दो महीने से दंगों की तैयारी करा रही थी - और इसके लिए वो सोनिया गांधी के भाषण को ही आधार बनाकर कर आरोप लगाते रहे.
प्रियंका गांधी तो CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस एक्शन के बाद उनके घर तक जाती रही हैं. यूपी में लखनऊ और बनारस से लेकर मुजफ्फरनगर तक, लेकिन खुद को दिल्ली की लड़की बताने वाली प्रियंका गांधी भी ट्विटर पर एक अपील से आगे नहीं बढ़ीं - क्या दिल्ली दंगे के पीड़ित लोगों से वो अस्पतालों में जाकर नहीं मिल सकती थीं? राहुल गांधी भी तो ऐसा कर ही सकते थे.
जिस तरह सोनिया गांधी ने अमित शाह और अरविंद केजरीवाल से सवाल किया कि दंगे शुरू होने के वक्त से वे कहां थे - क्या कांग्रेस के दो बड़े नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से भी वही सवाल नहीं पूछना चाहिये था?
राहुल गांधी का दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों का ये दौरा बहती गंगा में बेमन से हाथ धोने जैसा लगता है - ऐसी कवायद से तो आसान एक ट्वीट ही रहता.
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