राज ठाकरे ने जैसे अमिताभ से सुलह कर ली वैसे ही राजनीति करें तो चलेगी
दस साल तक बवाल के बावजूद राज ठाकरे अब तक महाराष्ट्र में अपनी राजनीतिक पैठ नहीं बना पाये हैं. लगता है एक दिन उन्हें वैसे ही हथियार डालने पड़ेंगे जैसे उन्हें अमिताभ बच्चन के आगे डालने पड़े और तभी उनकी राजनीति चमकेगी.
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अमिताभ बच्चन के साथ भी राज ठाकरे का झगड़ा पांच साल चला. अमिताभ से भी राज ठाकरे के मतभेद की वजह वही रही जिसके लिए जब तब वो विवादों में बने रहते हैं. हाल ही में उन्होंने ऐलान किया कि मुंबई में बुलेट ट्रेन की एक भी ईंट नहीं रखने देंगे. और अब उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं के उत्पात का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.
हैरानी की बात ये है कि इतने बवाल के बाद भी राज ठाकरे अब तक महाराष्ट्र में अपनी राजनीतिक पैठ नहीं बना पाये हैं. लगता है एक दिन उन्हें वैसे ही हथियार डालने पड़ेंगे जैसे उन्हें अमिताभ बच्चन के आगे डालने पड़े.
जब अमिताभ से सुलह करनी पड़ी
राज ठाकरे 2006 में अपने चाचा बाला साहब ठाकरे से अलग हुए. शिवसेना में अपने कुछ समर्थकों के साथ उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनायी. छिटपुट गतिविधियों को दो साल तक बनाये रखने के बाद 2008 में राज ठाकरे के आदमियों ने उत्पात मचाना शुरू किया. तब से गैरमराठी लोग लगातार उनके निशाने पर रहे हैं.
अमिताभ बच्चन से भी राज ठाकरे के खफा होने की वजह वही मुद्दा था जिस एजेंडे पर वो आगे बढ़ते आये हैं. 2008 में ही राज ठाकरे ने अमिताभ पर आरोप लगाया कि वो रहते तो महाराष्ट्र में हैं कमाते खाते भी वहीं हैं लेकिन मराठियों के लिए कुछ नहीं करते. राज ठाकरे को इस बात से भी आपत्ति थी कि वो दूसरे राज्यों के ब्रांड अंबेसडर होते हैं लेकिन महाराष्ट्र के लिए कुछ नहीं करते. इतना ही नहीं राज ठाकरे ने एक बार जया बच्चन पर भी मराठी नहीं बोलने को लेकर हमला बोला. जया बच्चन ने खुद को यूपी का बताते हुए पलट कर जवाब भी दिया. आखिरकार राज ठाकरे को जब कोई फायदा नहीं हुआ तो हथियार डाल कर पीछे हट गये और फिर दोनों के बीच सुलह हुई.
पांच साल झगड़ा फिर सुलह...
2013 दिसंबर में ये विवाद तब खत्म हुआ जब अमिताभ बच्चन राज ठाकरे की पार्टी के फिल्म विंग के एक कार्यक्रम में उनके साथ मंच पर आये. उस कार्यक्रम के लिए राज ने अमिताभ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था. उस वक्त मंच पर मराठी और हिंदी फिल्मों के जाने माने कलाकार सचिन भी मौजूद थे. खास बात ये रही कि अमिताभ बच्चन ने भी मराठी में भाषण की शुरुआत की.
तभी से राज ठाकरे हर साल अमिताभ बच्चन को उनके जन्मदिन पर विश करते आ रहे हैं. अमिताभ के 75वें जन्मदिन पर राज ठाकरे ने फेसबुक पर 266 शब्दों की एक लंबी पोस्ट लिखी है जो मराठी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हैं. (साथ ही अलग-अलग दौर के अमिताभ की 6 तस्वीरें भी पोस्ट की हैं). राज ठाकरे ने इस पोस्ट में अमिताभ के साथ अपने विवादों का भी जिक्र किया है.
75वें जन्मदिन पर सौगात
एमएनएस नेता लिखते हैं, 'कुछ साल पहले उनके और मेरे बीच मराठी भाषा के इस्तेमाल को लेकर मतभेद थे. हालांकि, मैं अपने विचारों पर अब भी कायम हूं, लेकिन सच ये है कि लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर जैसी शख्सियतें सिर्फ एक राज्य के नहीं, बल्कि पूरे देश की पहचान होते हैं.'
राज ठाकरे आगे लिखते हैं, 'बेशक मेरे उनके साथ मतभेद रहे हों, लेकिन मेरे मन में कभी इस बात को लेकर शक नहीं रहा कि सिनेमा के लिए वो कितनी बड़ी शख्सियत हैं.'
राज ठाकरे ने इस खास मौके पर अमिताभ के कुछ स्केच भी बनाए हैं जिन्हें उन्होंने अपनी तरफ से एक छोटा सा गिफ्ट बताया है.
बुलेट ट्रेन का विरोध
बुलेट ट्रेन को लेकर बाकी विरोध जैसे भी हों, राज ठाकरे का विरोध बिलकुल अलग और उनके एजेंडे के मुताबिक है. राज ठाकरे का कहना है कि बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट सिर्फ मुठ्ठीभर गुजरातियों के लिए लाया गया है, इससे आम मुंबईकर को कोई फायदा नहीं होनेवाला.
राज ठाकरे ने साफ कर दिया है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुलेट ट्रेन चलाना चाहते हैं, तो गुजरात में चलाएं मुंबई में नहीं. उन्होंने धमकी दी है कि बुलेट ट्रेन की एक ईंट भी वो मुंबई में नहीं रखने देंगे और अगर फोर्स का इस्तेमाल हुआ तो उन्हें सोचना पड़ेगा कि क्या करना है.
असल में अहमदाबाद और मुंबई के बीच हवाई सेवा तो है, लेकिन अगर किसी को अहमदाबाद से विरार, बोयसर, बीकेसी और ठाणे जैसे इलाकों में पहुंचना हो या कारोबार के चलते रुक रुक कर जाने की मजबूरी तो उन्हें ट्रेन या बस की सेवा लेनी पड़ती है. राज ठाकरे का मानना है कि इस हिसाब से फायदा सिर्फ गुजरातियों को होगा. बुलेट ट्रेन से महाराष्ट्र के लोगों को वैसा फायदा नहीं होगा. इसीलिए वो विरोध कर रहे हैं.
'लाठी चलाओ भैय्या हटाओ'
राजनीतिक रूप से देखा जाये तो राज ठाकरे की सारी मशक्कत अब तक फेल रही है. 2009 में उनकी पार्टी एमएनएस ने महाराष्ट्र की 288 में 13 सीटें जीती थीं जिनमें छह मुंबई से थीं. जब 2014 में चुनाव हुए तो उन्हें सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हो सकी. हालत ये रही कि दो सौ से ज्यादा सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गयी.
बीएमसी और राज्य के दूसरे नगर निगमों के नतीजों का भी वही हाल रहा. जैसे हर कोई 2019 की तैयारी में लगा है जाहिर है राज ठाकरे की भी उसी पर नजर है. इस बार लोक सभा और विधानसभा के चुनाव साथ होने की भी संभावना दिखाई दे रही है.
मुंबई के एलफिंसटन हादसे के बाद राज ठाकरे की पार्टी ने रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. साथ ही, राज ठाकरे की पार्टी ने स्टेशन के अंदर के सभी फेरीवालों को हटाने का अल्टीमेटम दिया है. कहा है, अगर इस पर अमल नहीं हुआ तो 16वें दिन से पार्टी कार्यकर्ता अपने तरीके से फेरीवालों को हटा देंगे.
अभी अभी एमएनएस कार्यकर्ताओं के यूपी बिहार के लोगों को पीटने का वीडियो भी सामने आया है जिसमें वे किसी को हाथ से तो किसी को लात से और किसी को डंडे से दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे हैं.
बताते हैं कि ये एमएनएस के 'लाठी चलाओ भैय्या हटाओ' मुहिम का हिस्सा है. ये मुहिम गैर मराठियों को नौकरी दिये जाने के खिलाफ है क्योंकि राज ठाकरे की पार्टी मराठियों के लिए 80 फीसदी आरक्षण चाहती है.
राज ठाकरे की इस मुहिम को राजनीतिक स्टंट के तौर पर देखा जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि लगातार हार के बावजूद राज ठाकरे को हकीकत नहीं समझ आ रही है. तकनीकी तौर पर राज ठाकरे भले ही राजनीतिक दल के मुखिया हों लेकिन उनका तरीका किसी गुंडे जैसा ही लगता है. राज ठाकरे की स्टाइल दिनों दिन उन्हीं की राजनीति के लिए खतरा बनती जा रही है. बेहतर तो यही होगा कि वो इसे जल्द से जल्द समझ लेते.
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