अशोक सिंघल का 'राम मंदिर' तो पहले ही बन चुका है अयोध्या में !
अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद का विवाद को अब एक लम्बा वक़्त गुजर चुका है ऐसे में एक आम भारतीय अगर राम मंदिर की कल्पना करे तो उसके दिमाग में बड़ा प्रश्न ये होना चाहिए कि कैसी होगी भव्य राम मंदिर की संरचना.
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अयोध्या का राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद का विवाद अब 164 साल पुराना हो चुका है. मंगलवार से इस केस की सुनवाई रोज होनी थी, लेकिन दस्तावेजों का अनुवाद न पूरा होने के चलते अब इसे अगली 8 फरवरी की डेट दी गई है. यह संयोग ही है कि इस बार बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. विवाद शुरू होने के बाद से सरयू में काफी पानी बह चुका है और इस केस के पैरोकार हाशिम अंसारी का इंतकाल भी हो चुका है और शिया वक्फ बोर्ड ने सहमति से राम मंदिर बनाए जाने की कवायद भी जोरों से शुरू कर दी. इस बीच अयोध्या में जो डेवलपमेंट हुआ है वह अभी तक सुर्खियों से दूर है. यह है कार्यशाला में बना अस्थाई राम मंदिर. इस मंदिर के बनाए जाने के कहानी दिलचस्प भी है.
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को आज 25 साल पूरे हो गए हैं
दरअसल, अयोध्या के कारसेवक पुरम स्तिथ रामजन्म मंदिर कार्यशाला में रखीं शिलाएं विहिप के नेता अशोक सिंघल के जीवन और उनके द्वारा राम जन्मभूमि आन्दोलन के लिए किए गए उनकी कोशिशों की कहानी कहती हैं. राम मंदिर बनाने का संकल्प लिए सिंघल भले ही दुनिया से चले गए हों, लेकिन यहां रखीं शिलाएं इस बात की गवाह हैं, राम मंदिर निर्माण का आन्दोलन किन चरणों और मुश्किलों से गुजरा है. अशोक सिंघल ने अपने निधन से कुछ दिन पूर्व कहा कि जल्दी ही राम मंदिर के निर्माण के काम में तेजी आएगी. साल 1989 में फैसला लिया गया था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए शिलाएं एकत्र की जाएंगीं. इसके बाद सिंह के कहने पर पूरे विश्व से राम शिलाएं अयोध्या पहुंचनी शुरू हो गईं. इन्हीं शिलाओं से अयोध्या के कारसेवकपुरम में एक अस्थायी राम मंदिर बना दिया गया.
वो विवरण जो बताता है कि कैसे बनेगा राम मंदिरइतनी शिलाओं की है जरुरत
साल 2015 में अयोध्या पहुंचे अशोक सिंघल ने राम मंदिर के लिए पत्थरों की कमी का जिक्र करते हुए एक बार फिर देश भर में 1989 में कराए गए शिला पूजन और शिलादान कार्यक्रम चलाए जाने की जरूरत बताई थी. उन्होंने मणिराम छवनी में हुई एक बैठक में कहा था कि राम मंदिर बनवाने के लिए 2.25 लाख घन फुट शिला की जरूरत है और लगभग 1.25 लाख घन फुट शिला अयोध्या में कार्यशाला में तैयार है. बाकी एक लाख घन फुट शिला देशभर के हिन्दू श्रद्धालुओं से एकत्र की जानी है. सिंघल के मुताबिक़ उस समय देशभर में शिलादान का आयोजन कर एक साल के अंदर 1.25 लाख घन फुट शिलाएं एकत्र कर अयोध्या लाई जानी थीं.
वर्तमान में कुछ ऐसे दिख रहा है राम मंदिर
शिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए बना दिया मंदिर
आरएसएस के प्रचारक रहे हजारीलाल अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखे मंदिर के मॉडल की देखरेख करते हैं. वे बताते हैं कि अशोक सिंघल की प्रेरणा से जो रामशिला पूजन का कार्यक्रम हुआ, उसके चलते देश भर से रामभक्तों ने शिलाएं भेजीं. जनवरी 1989 में कुम्भ मेला के दौरान राम मंदिर निर्माण के लिए विहिप ने धर्म संसद का आयोजन किया. इसमें देवरहा बाबा की उपस्थिति में यह फैसला हुआ कि देशभर के सभी मंदिरों में मंदिर निर्माण के लिए रामशिला का पूजन होगा. इसी सिलसिले में बद्रीनाथ धाम में पहली रामशिला का पूजन हुआ.
अयोध्या में कुछ इस तरह वीएचपी ने बनाई है मंदिर निर्माण की भूमिका
इसके बाद पूरे देश में लगभग 6 करोड़ लोगों ने रामशिला पूजन किया और 2,75,000 राम शिलाएं एकत्र की गईं. यह सभी शिलाएं अक्टूबर 1989 के अंत में सुरक्षित अयोध्या पहुंचा दी गयीं. खुले में पड़े रहने के कारण ईंटे काली पड़ने लगीं. इस पर यह निर्णय लिया गया कि इन्हें सहेजा जाए. इसके लिए कार्यशाला के एक छोर पर टिनशेड लगाकर, ईंटों को मंदिर की आकृति में व्यवस्थित कर दिया गया. इस ढांचे के ऊपर बाकयदा वे गुम्बद भी रखे गए, जो वास्तविक मंदिर के गर्भगृह पर रखे जाने थे.
समाज का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर बनेपैसे की कमी के चलते बंद भी हुआ था काम
साल 2015 के जून महीने में ही सिंघल ने हिंदू महासभा एक पत्र लिखकर बताया था कि सारा धन पांच साल पहले खत्म हो गया और तभी से पत्थरों को तराशने का काम बंद है. उन्होंने पत्र में लिखा था कि साल 1989 में दान के जरिए वीएचपी को सिर्फ सवा आठ करोड़ रुपए ही मिले थे और इस धन से एक लाख घनफुट पत्थरों से प्रस्तावित मंदिर के खंभे बनवा लिए गए थे. सिंघल ने हिंदू महासभा को लिखे खत में बताया है कि सारा धन पांच साल पहले खत्म हो गया और तभी से पत्थरों को तराशने का काम बंद है. बता दें कि हाल ही में राम जन्मभूमि न्यास ने और सवा लाख घनफुट पत्थर तराशने के लिए जनता से दान लेने का प्रस्ताव पास किया है.
फ़िलहाल कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई फरवरी तक टाल दी हैऐसे बनेगा रामलला का मंदिर
विहिप नेता अशोक सिंघल की अगुवाई में तैयार हुए रामजन्मभूमि मॉडल के अनुसार राम जन्मभूमि की लम्बाई 268 फीट पांच इंच, चौड़ाई 140 फीट. ऊंचाई 128 इंच रहेगा. मंदिर में कुल 212 खम्बे बनेंगे. इसमें से 16 फीट ऊँचाई के के 106 खम्बे पहली मंजिल पर और इतने ही खम्बे 14 फीट 6 इंच ऊँचाई के दूसरी मंजिल पर लगेंगे. इन सभी खम्बों में 16 मूर्तियाँ होंगीं. पहला चबूतरा 8 फीट ऊंचा और 10 फीट चौड़ा होगा.
अयोध्या का राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद का विवाद अब 164 साल पुराना हो चुका है
दूसरा चबूतरा 4 फीट 9 इंच का होगा, जिसके ऊपर खम्बे लगेंगे. पहली मंजिल 18 फीट और दूसरी मंजिल 15 फीट 9 इंच का होगा, इसके ऊपर 16 फीट 3 इंच की पेटी होगी, जिसके ऊपर 65 फीट तीन इंच ऊंचा शिखर बनेगा. मंदिर के अगले भाग में सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंग मंडप और गर्भगृह बनेगा. इसी गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति लगाई जाएगी.
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