राष्ट्रपति चुनाव: मोदी को 'सरप्राइज' पसंद है
बीजेपी में दलित नेताओं की कमी नहीं है. ऐसे में कोविंद का नाम अचानक आना और पास हो जाना किसी रहस्य से कम नहीं है.
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मोदी जो काम दाएं हाथ से करते हैं उसका पता बाएं हाथ को भी नहीं होता. उन्होंने यही सरप्राइज करने वाली रणनीति राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार ढूंढने में अपनाई है. वे इंदिरा गांधी की तरह पूरी तरह अपने विश्वास वाला राष्ट्रपति उम्मीदवार चाहते थे, और उन्हें वह रामनाथ कोविंद के रूप में मिल गया है.
बीजेपी में हर बड़ी नियुक्ति के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खास सोच काम करती है. संगठन के बाद यही सोच उन राज्यों में मुख्यमंत्री बनाते समय अपनाई, जहां बीजेपी बहुमत से जीती. महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, झारखंड में रघुबर दास, और ताजा तरीन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. इन सभी नामों की खासियत यह रही कि इनके नाम या तो दावेदारों की लिस्ट में नहीं थे, या फिर किसी कारण से इनकी दावेदारी को कमजोर माना जा रहा था. यानी हर पद पर सिलेक्शन 'कोविंद' स्टाइल में ही हुआ.
राम नाथ कोविंद का नाम चर्चाओं तक में नहीं था
एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के जिन नामों पर सबसे ज्यादा कयास लगाए जा रहे थे, उनमें शामिल थे: लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, मणिपुर की राज्यपाल नज़मा हेपतुल्ला, झारखंड की राज्यपाल दोरूपती मुर्मू, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और केरल के राज्यपाल सदाशिवम्म, गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनन्दी पटेल और बिहार से सांसद हुकुम देव नारायण यादव. (कोविंद का नाम दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था)
फिर अचानक खबर आई. बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद एनडीए की तरफ से अगले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. 23 जून को भरेंगे नामांकन.बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में फैसला किया गया कि मौजूदा बिहार के गवर्नर रामनाथ कोविंद एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस करके इस नाम की घोषणा की.
अमित शाह का कहना था कि राम नाथ कोविंद दलित जाति से आते हैं. दलितों के लिए उन्होंने बहुत काम किया है उनके योगदान को देखते हुए उनके कामों को देखते हुए हैं उनको राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए एनडीए की तरफ से चुना गया है. अमित शाह ने उम्मीद जताई कि राम नाथ कोविंद पर तमाम लोग सहमत होंगे.
बैठक के दौरान ही बीजेपी ने अपने घटक दलों को इसकी जानकारी दे दी है. इसे साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही सोनिया गांधी से फोन पर इस उम्मीदवारी को लेकर बातचीत की.
लेकिन, कोविंद का नाम चौंकाता है. बीजेपी में दलित नेताओं की कमी नहीं है. थावरचंद गेहलोत का नाम तो अर्से से चल रहा था. ऐसे में कोविंद का नाम अचानक आना और पास हो जाना किसी रहस्य से कम नहीं है. यह रहस्य इतना गहरा गया कि आखिर बड़े पैमाने पर लोगों ने वीकीपीडिया का सहारा लिया कि आखिर ये राम नाथ कोविंद हैं कौन?
राम नाथ कोविंद
कोविंद एक बेहद लो-प्राफाइल बीजेपी नेता
कानपुर में 1 अक्टूबर 1945 को जन्मे राम नाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल हैं और राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. कोविंद का कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है. वे जनता पार्टी सरकार से जुड़े थे और 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे.
वे 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये. 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के निर्वाचित हुए. 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए. इस प्रकार कोविन्द लगातार 12 वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे. वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे.
लेकिन, कोविंद को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वे एक बेहद सादे और जमीन से जुड़े नेता हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे कोविंद से जब टीवी डिबेट में हिस्सा लेने को कहा जाता है, तो वे हंस के टाल जाते. सबकुछ ठीक रहा तो पेशे से वकील कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे. लेकिन उनका व्यक्तित्व कहता है कि वे राष्ट्रपति की रबर स्टांम्प वाली छवि को ही आगे बढ़ाएंगे.
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