तलवार से केक काटते राम रहीम ने कानून, न्यायपालिका के मुंह पर बिना आवाज का तमाचा जड़ा है!
पैरोल पर बाहरआकर जश्न मनाते और तलवार से केक काटते डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने कानून और न्यायपालिका के मुंह पर बिना आवाज का तमाचा जड़ा है. जनता के अलावा प्रशासन को जब तक एहसास होगा यक़ीनन देर हो जाएगी.
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अज्ञान और अंधविश्वास का राज लंबा चलता है. संगठित धर्माचार्यों और पुरोहितों की परंपरा जब भगवान के नाम पर अज्ञान और अंधविश्वास का राज चलाये, और राजनैतिक सत्ता इसमें सहयोग दे क्योंकि उसकी भी इससे रक्षा होती है, तब ये दोनों सत्ताएं क्रूर और मानव प्रगति विरोधी होती हैं.
... लोकप्रिय व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने अपने समय में इतनी गहरी बात. शायद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को ही देखकर कही होगी. बलात्कार और हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम भले ही सजा काट रहा हो. मगर जिस लेवल का जलवा उसने मेंटेन किया है और सजायाफ्ता होने के बावजूद उसकी जैसी ऐश है वो बिना राजनैतिक संरक्षण के मुमकिन ही नहीं है. दरअसल पैरोल पर बाहर आए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ है. वीडियो को देखें तो गुरमीत राम रहीम के सामने एक जंबो केक है जिसे वो तलवार से काट रहा है.
भरी सभा में राम रहीम का तलवार से केक काटना तमाम सवाल खड़े करता है
ध्यान रहे, 40 दिन की पैरोल मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम बागपत स्थित बरनावा आश्रम पहुंच चुका है. मौका गुरु के बर्थडे का है. तो अपने गुरु के जन्मदिन की आड़ लेकर गुरमीत राम रहीम ने न केवल जमकर कानून की धज्जियां उड़ाई. बल्कि अपनी गतिविधियों से कहीं न कहीं वो न्यायपालिका के मुंह पर बिना आवाज का तमाचा जड़ते हुए भी नजर आ रहा है.
Ram Rahim, convicted of rape and murder, cut the cake with a sword Dera Sacha chief, who came out on parole for 40 days, did video conferencing. pic.twitter.com/H0RUiZmHQ7
— Report1BharatEnglish (@Report1BharatEn) January 23, 2023
तमाम विवादों के बावजूद डेरा प्रमुख के ठाठ क्या हैं? इसी से समझ लीजिये कि गुरु को जेल से लाने उसकी कथित शिष्या हनीप्रीत गईं थीं. आश्रम में शाह सतनाम सिंह की जयंती जो 25 जनवरी को है मनाने की तैयारियां अपने पूरे शबाब पर हैं. पैरोल के लिए अपनी जमानत अर्जी में राम रहीम ने कहा था कि उसे पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह की जयंती समारोह में शामिल होना है, जो बुधवार 25 जनवरी को पड़ता है. खैर इस मामले में विवाद का विषय पूरी भव्यता के साथ गुरमीत राम रहीम का तलवार से जंबो केक काटना है तो बता दें कि, शस्त्र अधिनियम के तहत हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन (तलवार से केक काटना) प्रतिबंधित है.
खुद सोचिये जब हथियारों को इस तरह दिखाना वर्जित हो. अगर गुरमीत राम रहीम उसी हथियार से केक काट रहा हो तो कानून और न्यायपालिका को लेकर बात भी बनेगी और सवाल भी होगा. खैर इस मामले में जो बात सबसे ज्यादा मजेदार है. वो ये कि जब पैरोल मंजूर हुई तो पहले ही गुरमीत राम रहीम से ये कह दिया गया था कि प्रोग्राम में भीड़ न हो. रोचक ये कि खुद पुलिस के अफसर भीड़ को मैनेज करते हुए नजर आए.
कार्यक्रम उतना ही भव्य हुआ जितना उम्मीद थी. बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में हरियाणा के कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं की भागीदारी देखी गई, जिनमें राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार और पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार बेदी शामिल थे.
बहरहाल ये कोई पहली बार नहीं है कि किसी छोटे मोटे इवेंट के लिए गुरमीत राम रहीम जैसे अपराधी की पैरोल की अर्जी मंजूर हुई हो. इससे पहले उसे अक्टूबर, 2022 में पैरोल दी गई थी, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि उन्हें पंचायत चुनाव और आदमपुर विधानसभा उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए रिहा किया गया था.
धर्म और आस्था का चोगा ओढ़कर गुरमीत राम रहीम ने क्या किया? इसपर बात करने की इसलिए भी बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है क्योंकि गुरमीत राम रहीम के काले कारनामे किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में छोटी से छोटी बात के लिए उन्हें पैरोल देना इस बात की पुष्टि कर देता है कि देश में कानून आम के लिए अलग और खास के लिए अलग है.
खैर विषय क्योंकि तलवार का प्रदर्शन है यदि अब भी कानून ने इसका संज्ञान न लिया तो यक़ीनन लोगों को इस बात का आभास हो जाएगा कि बड़े लोग अपराध करते हैं और पूरे शान से हंसते मुस्कुराते बच निकलते हैं. कुल मिलाकर इस गलती के लिए गुरमीत राम रहीम की बख़्शिश किसी भी सूरत में नहीं होनी चाहिए.
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