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Updated: 14 जुलाई, 2018 05:53 PM
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यूं ही कुछ भी नहीं होता. न ही किसी का रजनीगंधा बन जाना और न ही 'मरियम-नवाज-शरीफ' का पाकिस्तान लौटना. 25 जुलाई को पाकिस्तान में होने जा रही वोटिंग से पहले ये 'टू-इन-वन या कहें ऑल-इन-वन पैकेज जैसा नाम है - जिसमें खुद नवाज शरीफ के साथ साथ उनकी बेटी मरियम नवाज शरीफ भी शुमार हो जाती हैं.

सवाल ये है कि बीमार बीवी को लंदन छोड़ कर नवाज शरीफ ने बेटी के साथ लौटने का फैसला क्यों किया? जाहिर है ये फैसला भी तो यूं ही नहीं किया होगा?

सियासत में कुछ भी यूं ही नहीं होता

जरूरत ही क्या थी, नवाज शरीफ को बेटी मरियम नवाज शरीफ के साथ लौटने की? लंदन में नवाज शरीफ का परिवार ऐशो आराम की जिंदगी ही बसर कर रहा होगा? नवाज शरीफ और मरियम दूसरे पाकिस्तानी नेताओं की तरह मुल्क से बाहर सुरक्षित जिंदगी बिता सकते थे. फिर बगैर सोचे समझे पाकिस्तान की जेल की रोटी खाने की ऐसी कोई ख्वाहिश तो नवाज को खींच लायी नहीं होगी.

nawaz, mariyam sharifअब तुम्हारे हवाले...

तानाशाही और लोकशाही के बीच फंसी पाकिस्तान की सियासत का शायद ही ऐसा कोई रंग हो जिसे नवाज शरीफ ने नहीं देखा हो. बस एक बात अलग रही कि परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ के साथ वो सलूक नहीं किया जो जिया-उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ किया था.

ये तो मान कर चलना चाहिये कि लंदन से रवाना होने से पहले नवाज शरीफ ने अपने वकीलों से सारे जरूरी राय मशविरे लिये ही होंगे. ऐसा होगा तो क्या होगा, वैसा होगा तो क्या करना होगा ये भी बाखूबी डिस्कस हुआ ही होगा.

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने जब नवाज शरीफ, उनकी बेटी और दामाद को सजा सुनायी उस पर फौरी टिप्पणी में ही नवाज शरीफ ने कह दिया था कि वो अपने मुल्क लौटेंगे ही और सारी झंझावातों का सामना भी डट कर करेंगे.

हुआ भी बिलकुल वैसा ही जैसे नवाज शरीफ और मरियम शरीफ हवा से जमीन पर उतरे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों ने बिना किसी विरोध के गिरफ्तारी होने दी. प्रदर्शन कर रहे नवाज की पार्टी के बहुत सारे कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया. नवाज शरीफ की मां बेगम शमीम अख्तर और भाई शहबाज शरीफ और सलमान को लाहौर एयरपोर्ट पर उनसे मिलने की इजाजत दी गई थी.

घर वापसी भी कभी यूं नहीं होती

लंदन से लाहौर रवाना होने से पहले ही मरियम नवाज शरीफ ने एक फोटो ट्वीट किया. इस फोटो में नवाज शरीफ बेड पर लेटीं अपनी बीमार बीवी कुलसुम नवाज के करीब हैं और पीछे मरियम खुद खड़ी हैं. कुलसुम नवाज ने बीते उपचुनाव में नवाज शरीफ की ही लाहौर सीट से जीत हासिल की थी.

nawaz, mariyam sharifबेनजीर की पार्टी को सहानुभूति मिली, फिर तो नवाज के लिए भी बनती है

नवाज और मरियम की मुल्क वापसी का फर्क पाकिस्तान की सड़कों पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. अब तक पाक चुनाव में इमरान खान का पलड़ा भारी माना जा रहा था. मगर, अब बिलकुल वैसा तो नहीं ही है. नवाज और मरियम के लिए लौटने का फैसला बहुत मुश्किल था, लेकिन काफी सोच समझ कर और पूरी तैयारी के साथ दोनों पाकिस्तान लौटे हैं.

1. बस आखिरी मौका: नवाज शरीफ ने अबू धाबी एयरपोर्ट पहुंचते ही कहा था कि उनपर देश का कर्ज है जिसे वो चुकाने पाकिस्तान जा रहे हैं. उससे पहले नवाज शरीफ ने लंदन में कहा कि वो अपनी बीमार पत्नी को अल्लाह के भरोसे छोड़ रहे हैं - और जेल में डाले जाने या फांसी पर चढ़ाए जाने की परवाह किए बगैर पाकिस्तान लौट रहे हैं.

लोकप्रियता के मामले में नवाज शरीफ अब भी पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी है. नवाज की राजनीतिक पारी अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है. नवाज की विरासत वैसे तो मरियम ही संभालती हैं, लेकिन आगे चल कर PML-N यानी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) का चेहरा भी बनना है. ऐसा चेहरा जो हर हाल में वोट बटोर सके. इस लिहाज से देखा जाये तो नवाज और मरियम दोनों ही के लिए ये आखिरी मौका है.

पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश, आक्रामक चुनाव प्रचार जो अभी देखने को मिल रहा है, नवाज और मरियम के लंदन में होते क्या मुमकिन था? कतई नहीं.

पाकिस्तान पहुंचने से बहुत पहले ही नवाज शरीफ ने पाकिस्तानी अवाम से 'मन की बात' भी कह डाली थी, "जो मेरे बस में है और जो मेरे बस में था, वो मैंने कर दिया है. मुझे मालूम है कि लाहौर पहुंचते ही मुझे जेलखाने भेज दिया जाएगा, लेकिन पाकिस्तानी कौम को मैं बताना चाहता हूं कि ये सब मैं आप के लिए कर रहा हूं. ये कुर्बानी मैं आपकी नस्ल के लिए दे रहा हूं. लिहाजा मेरा भरपूर साथ दें."

2. सहानुभूति से वोटों की उम्मीद: जेल जाने के लिए नवाज शरीफ ने अपने समर्थकों को संदेश देने की कोशिश की है कि वो बाकी नेताओं की तरह भाग जाने वाले नहीं हैं. 1999 में नवाज शरीफ के लंबे समय तक बाहर रहने पर जो धारणा बन गयी थी, नवाज शरीफ को उसे गलत भी साबित करना था. पाकिस्तान का जो तबका फौज की नीतियों से पूरा इत्तफाक नहीं रखता, नवाज शरीफ उन्हें भी समझाना चाहते हैं कि सिर्फ वो ही और उनकी पार्टी फौजी हुक्मरानों के खिलाफ मजबूती से खड़ हो सकते हैं.

nawaz supportersनवाज और मरियम की वापसी ने कार्यकर्ताओँ का जोश बढ़ा दिया है

2008 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान में भी सहानुभूति की लहर और PPP यानी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को उसका भरपूरा फायदा मिला. नवाज शरीफ और मरियम को भी उम्मीद है कि उनके साथ हो रही नाइंसाफी को जनता समझेगी और सहानुभूति के साथ उनकी पार्टी को वोट करेगी. नवाज शरीफ और मरियम तो कानूनी तौर पर फिलहाल वोट लड़ने लायक भी नहीं रह गये हैं. पाक मीडिया की रिपोर्ट से मालूम होता है कि सजा सुनाये जाने और लौटने के बीच का जो वक्त बीता है उसमें नवाज शरीफ और मरियम के वीडियो तैयार किये गये हैं - चुनाव प्रचार में दोनों के भावनात्मक भाषण सुनाये जाएंगे जब बाप-बेटी जेल में होंगे.

3. जब सबूत से ज्यादा सजा पर जोर हो: नवाज शरीफ की वतन वापसी की एक बड़ी वजह उन्हें मिली सजा में हुई नौटंकी भी है. नवाज को पक्का यकीन है कि निष्पक्ष जांच और न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का अनुपालन हो तो वो बेदाग साबित हो जाएंगे.

नवाज के इस हद तक यकीन के पीछे अदालत का अजीब फैसला भी है. ये शायद पहली बार हुआ है कि जांच एजेंसी के सबूत पेश न कर पाने की स्थिति में भी आरोपी को सजा सुना दी गयी है. मामला बस इतना रहा कि नवाज शरीफ अपनी बेगुनाही का कोई पुख्ता सबूत नहीं दे पाये, NAB यानी नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो साबित नहीं कर पाया कि नवाज शरीफ ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्डरिंग के जरिये लंदन में फ्लैट खरीदे थे. फिर भी अदालत ने ये कयास हुए कि नवाज शरीफ ने काले धन से ही फ्लैट खरीदें होंगे, सजा सुना दी.

हालात तो नवाज के सामने कुएं और खाई वाली पहले भी रही और अब भी बरकरार है, लेकिन उन्हें लगता है कि कुएं में किसी ने डुबाने की कोशिश नहीं की तो वो तैर कर निकल जाएंगे - और खाई में कोई मसीहा दुश्मनों से जरूर बचाएगा. फिलहाल ये मसीहा अवाम के बीच में ही बैठा हुआ है.

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