शहाबुद्दीन को जेल और अनंत सिंह को बेल.. महागठबंधन में सबकुछ ठीक रहेगा ?
बिहार सरकार शहाबुद्दीन पर तो एक्टिव दिख रही है लेकिन अनंत सिंह पर नीतीश बाबू के तेवर क्यों नर्म हैं? एक को बेल और दूसरे को जेल! नीतीश कुमार क्या इस पर भी जवाब देंगे...
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बिहार सरकार के गृह विभाग ने बाहुबली विधायक अनंत सिंह पर क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाने की अनुशंसा खारिज कर दी है. पटना जिला प्रशासन ने सीसीए लगाने की अनुशंसा की थी. दूसरी तरफ बिहार सरकार नेआरजेडी के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की जमानत को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. वहीं बीजेपी अब जनता दल यू के पूर्व विधायक अनंत सिंह और आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को लेकर जेडीयू और आरजेडी के बीच झगड़ा लगाने में लग गई है.
इसको शह दिया दोनों को लेकर दिए गए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बयान ने.
दो बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन और अनंत सिंह-
सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन 10 सितम्बर को पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से निकले. 11 वर्षों बाद निकले शहाबुद्दीन ने लालू प्रसाद यादव को अपना नेता और नीतीश कुमार को परिस्थियों का मुख्यमंत्री बता कर दोनों के बीच खाई पैदा की. बिहार सरकार शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गई जबकि शहाबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में अपने बचाव के लिए मशहूर वकील रामजेठमलानी से सम्पर्क किया.
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शहाबुद्दीन को राम जेठमलानी का साथ |
जेठमलानी आरजेडी के राज्यसभा के सांसद भी है. मतलब, गठबंधन की सरकार के खिलाफ गठबंधन के सांसद वकालत करेंगे. जब उपमुख्यमंत्री से इस बारे में सवाल किया गया तो वो भड़क गए. शहाबुद्दीन पर कम अनंत सिंह पर ज्यादा बोल गए. उन्होंने कहा कि अनंत सिंह के निकलने से किसको खौफ होगा किसको खौफ नही होगा. सबको पता है कि अनंत सिंह ने मीडिया को पीटा था.
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तेवर साफ़ बताते हैं शहाबुद्दीन को लेकर मन में कही न कही खटास है कि आखिर जिस गठबंधन में आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में शामिल है, उसी गठबंधन की सरकार ने उसके राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य शहाबुद्दीन का बेल रद्द करने सुप्रीम कोर्ट तक चली गई. इधर दूसरी खबर ये आई कि बिहार का गृह विभाग छोटे सरकार नाम से मशहूर अनंत सिंह पर सीसीए लगाने के लिए उपयुक्त कारण नही ढूंढ पाई.
अनंत सिंह को भी तमाम मामलों में जमानत मिल गई है और उन्हें जेल में रोकने के लिए पटना जिला प्रशासन ने उन पर सीसीए लगाने की अनुशंसा की थी. अब अनंत सिंह भी जेल से बाहर होंगे. अनंत सिंह पिछले एक साल से ज्यादा समय से जेल में हैं.
सीसीए उसी पर लगता है जो 9 महीने से कम समय से जेल में हो और उसके जेल से निकलने पर कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. जनता दल यू इसी आधार पर अपनी दलील दे रही है. जनता दल यू के प्रवक्ता अजय आलोक ने ये भी कहा कि शहाबुद्दीन के जेल से निकलने से उनके विरोधियों को तो खौफ है ही.
सीवान प्रशासन ने भी राज्य सरकार को रिपोर्ट दी है. हाल ही में सीवान के एक जस्टिस का इसलिए तबादला कर दिया गया क्योंकि उन्होंने तेजाबकांड में शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. शहाबुद्दीन के जेल से निकलने के बाद वो सीवान में रहना नही चाहते थे.
अनंत सिंह पर क्यों मेहरबान हैं नीतीश बाबू... |
अनंत सिंह जनता दल यू से विधायक रहे हैं. लेकिन इस बार निर्दलीय विधायक बने. मगर जुड़ाव तो जेडीयू से ही है. अगर सरकार सीसीए नहीं लगाना चाहती थी तो आवेदन जिलाधिकारी से मांगा क्यों. बीजेपी का कहना है कि शहाबुद्दीन के जेल से निकलने के बाद दिए गए बयान ने नीतीश कुमार को अनंत सिंह पर नरम होने पर मजबूर किया. बीजेपी का ये आऱोप भी है कि आरजेडी और जेडीयू में बाहुबलियों को लेकर संघर्ष चल रहा है.
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शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट ने 7 सितंबर को जमानत दी थी. ठीक उसी दिन अनंत सिंह पर सीसीए लगा था तब बीजेपी ने सवाल भी उठाया था कि जब अनंत सिंह पर सरकार सीसीए लगा सकती है तो फिर शहाबुद्दीन पर क्यों नही.
बहरहाल, शहाबुद्दीन के बयान और उसके बाद बदली हुई परिस्थियों में बीजेपी के शुरू भी बदल गए. पर ये बात तो तय है कि एक को बेल और दूसरे को जेल मिलने पर महागठबंधन में सबकुछ ठीक रहेगा ये एक सवाल है.
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