Gurumurthy समझें कि 'अराजक' Social Media बैन कर दिया तो संघ का एजेंडा कैसे बढ़ेेगा?
सोशल मीडिया को लेकर कुछ हद तक संघ विचारक एस गुरुमूर्ती ने सही बातें की हैं लेकिन अगर सोशल मीडिया बैन हो गया तो ख़ुद संघ से लेकर अलग अलग संगठनों तक शायद ही कोई अपना एजेंडा चला पाए.
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देश निर्णायक दौर से गुजर रहा है. समय ऐसा है कि अब भोली भाली समझी जाने वाली जनता को ठग लेना या फिर ये कहें कि मूर्ख बना देना इतना भी आसान नहीं है. वजह? इसके होने को तो सैंकड़ों जवाब हो सकते हैं लेकिन जो सबसे सटीक जवाब होगा वो है सोशल मीडिया. आज फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म हमसे बस एक क्लिक की दूरी पर हैं जहां अपनी तरह की एक अलग दुनिया समाई है. सोशल मीडिया को धीरे धीरे इस्तेमाल करने वाली जनता इस बात को भले ही आज समझी हो लेकिन नेताओं दलों और अलग अलग संगठनों ने इसे बहुत पहले ही समझ लिया और प्रचुर मात्रा में इसका फायदा भी उठाया. चूंकि भारत जैसे देश में हर दूसरी चीज राजनीति से जुड़ी है इसलिए सोशल मीडिया का सबसे व्यापक इस्तेमाल आज राजनीति के अंतर्गत किया जाता है. सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का एक जरूरी अंग है ऐसे में कोई इसके प्रतिबंध की वकालत करे तो न केवल झटका लगेगा बल्कि ज़िंदगी काफी हद तक रुक जाएगी. थम जाएगी.
सोशल मीडिया को लेकर जो संघ विचारक एस गुरुमूर्ति ने कहा है वो सही तो है पर उसे अमली जामा पहनाना संभव नहीं है
सोशल मीडिया ‘अराजक’ करार दे दिया गया है. मांग की गई है कि इसपर फौरन से पहले प्रतिबंध लगाया जाए साथ ही इसके विकल्प भी तलाशें जाएं. सवाल होगा कि ये बातें कहां निकलीं? क्यों निकलीं? किसने निकाली? तो इन सभी सवालों का जवाब है राष्ट्रपति स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ती.नेशनल प्रेस डे पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरसफ़ से एक प्रोग्राम आयोजित हुआ था. प्रोग्राम में तमाम बड़ी शख्सियतों और बुद्धजीवियों की तरह संघ विचारक एस गुरुमूर्ती ने भी न केवल उपस्थिति दर्ज कराई हल्की सोशल मीडिया को बैंक किये जाने जैसी महत्वपूर्ण बातें की.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में बोलते हुए एस गुरुमूर्ती ने कहा कि सोशल मीडिया एक 'व्यवस्थित समाज' के मार्ग में एक बाधा है. गुरुमूर्ती अपनी बात कहे जा रहे थे. ऐसे में तमाम लोग ऐस थे जिन्होने मुखर होकर उनके द्वारा कही बातों की आलोचना की है.
S Gurumurthy, #RSS ideologue refered social media 'anarchic' which should be banned, says he in an event in Delhi. #SocialMediaHe concerns over the massive use of social media saying 'did we not exist without facebook?'
— Tania Ghosh (@tania15_ghosh) November 16, 2021
भले ही सोशल को बैन किये जिये जाने की बात को लेकर एस गुरुमूर्ती जनता के निशाने पर हैं, क्योंकि बात सोशल मीडिया को बैन किये जाने की बात हो रही हो लेकिन हम एल सवाल भाजपा और खुद एस गुरुमूर्ती से पूछना चाहेंगे. सवाल इसलिए क्योंकि वर्तमान में तमाम छोटे बड़े नेता अपने प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया के ही भरोसे हैं.
आज देश एजेंडे की राजनीति का सामना कर रहा है. ऐसे में अगर सोशल मीडिया बैन हो गया तो गुरूमूर्ति ये जरूर बताएं कि जो संघ अपना एजेंडा ही सोशल मीडिया के जरिये देश भर में फैला रहा है उसका हश्र तब उस क्षण क्या होगा?
Banned? Oh no, @sgurumurthy despite its misuse, social media has truly given voice to the hapless citizens to air their views and know about many views including yours. https://t.co/i2TSmIODZf
— Soundar Rajan?? (@soundar_esy) November 16, 2021
जिक्र गुरुमूर्ती के भाषण का हो तो अपनी बातों में गुरुमूर्ती ने चीन का जिक्र किया है और कहा है कि चीन ने सोशल मीडिया को 'नष्ट' कर दिया है, जबकि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसकी भूमिका पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि हमें भी उनपर (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है. गुरुमूर्ति ने म्यांमार और श्रीलंका जैसे देशों में अशांति फैलाने में सोशल मीडिया की भूमिका की ओर किया और इसकी डरावनी तस्वीर दिखाईं.
प्रोग्राम के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए गुरुमूर्ती ने कहा कि 'प्रतिबंध: कठिन लग सकता है. गुरुमूर्ती का मानना था कि 'अराजकता पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने परिषद से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका का गहन दस्तावेजीकरण करने का आग्रह किया.
प्रोग्राम में तमाम तरह के सवाल जवाब गुरुमूर्ति से हुए. गुरुमूर्ति ने सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं पर हुए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आप अराजकता की भी प्रशंसा कर सकते हैं. क्रांतियों और सामूहिक हत्याओं में भी कुछ अच्छा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि आप एक व्यवस्थित समाज का निर्माण करते हैं, जो बलिदानों पर बना है.
बहरहाल बात संघ विचारक गुरुमूर्ति के सोशल मीडिया बैन की वकालत पर हुई है. तो क्या वास्तव में आज के परिदृश्य में सोशल मीडिया पर बैन लगा पाना संभव है? हम फिर अपने द्वारा कही बात को दोहरा रहे हैं और यही कहेंगे कि नहीं कम, से कम राजनीतिक दलों के लिए तो बिलकुल भी नहीं. आज जैसा देश का माहौल है और जिस तरह की जागरूकता लोगों में है देश की नीतियां और राजनीति सोशल मीडिया पर ही तय होती है.
वहीं बात यदि राष्ट्रीय स्वयसेवक संगठन के सन्दर्भ में हो तो गुरुमूर्ति को इस बात को समझना चाहिए कि चाहे वो वर्तमान में राम मंदिर आंदोलन रहा हो या फिर कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए हटाए जाने का फैसला. स्कूलों में सिलेबस बदलने से लेकर शहरों का नाम बदले जाने तक देश से जुड़े तमाम मुद्दों पर सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही है.
आज सोशल मीडिया सिर्फ एंटरटेनमेंट या बोरियत दूर करने का माध्यम नहीं है. इसके जरिये क्रांति की अलख जली है जिसे एक संगठन के रूप में खुद आरएसएस ने भी महसूस किया है. अंत में हम एस गुरुमूर्ति से बस ये कहते हुए अपने द्वारा कही बातों को विराम देंगे कि जैसा आज का दौर है, जिस तरह के हालात हैं हम भले ही सोशल मीडिया को अराजक कह दें लेकिन हम इसे ख़ारिज किसी भी सूरत में नहीं कर सकते. वक़्त की जरूरत है सोशल मीडिया इसी को ध्यान में रखकर क्रांति की नयी इबारतें खुद संघ रच रहा है.
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