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Updated: 08 मई, 2017 01:32 PM
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) एक और परोपकारी कार्य में जुट गया है. कार्य है अनुकूलित बच्चे पैदा करवाना. दरअसल, आरएसएस की स्वास्थ्य इकाई ‘आरोग्य भारती’ बच्चों को गर्भ में ही सुसंतान यानी सुपर बेबी बनाने का दावा कर रही है. इसके लिए बाकायदा 'गर्भ संस्कार' वर्कशॉप भी कलकत्ता में आयोजित की गई. खास बात ये है कि इस अनोखे प्रोजेक्ट की शुरुआत गुजरात में एक दशक पहले ही की गई थी. प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर कृष्ण मोहन दास नरवानी ने कहा, "उत्तम संतती" के जरिए हमारा खास मकसद समर्थ भारत का निर्माण करना है. और तो और आपको जानकर (शायद) अत्यधिक खुशी होगी कि इससे अभी तक 450 बच्चे जन्म भी ले चुके हैं.

आरएसएसआरएसएस के अनुसार इस पद्धति में कोई गड़बड़ी नहीं है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वर्कशॉप में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हितेश जानी ने कहा, ‘उत्तम संतती (परफेक्ट बेबी) पाने की प्रक्रिया हिन्दू शास्त्रों में भी बताई गई है.

ये प्रोजेक्ट जर्मनी से प्रेरित होकर शुरू किया गया है. वर्ल्ड वार 2 के समय जर्मनी में आयुर्वेदिक पद्धतियों की मदद से परफेक्ट बेबी बनाया जाता था.

उत्तम संतती यानी सुपर बेबी बनाने की विधि...

इस विधि में माता-पिता के लिए तीन महीने का शुद्धीकरण, उसके बाद ग्रहों की दिशा के अनुसार संतान प्राप्ती की कोशिश करना शामिल है. गर्भधारण के बाद खान-पान में भी कई तरह के नियम कायदे मानने होंगे. इससे होने वाला बच्चा गोरा, लंबा, अक्‍लमंद होगा.

इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आयुर्वेदिक तरीका है और इससे प्रकृति के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया जा रहा. ये पूरी तरह से प्राकृतिक है. इससे जुड़े लोगों का कहना है कि ये प्राकृतिक तरीका जीन्स को सुधारता है और इससे किसी भी तरह से खराब जीन्स बच्चों तक नहीं पहुंच पाते हैं.

मतलब कि अगर माता पिता का आईक्यू कम भी हो तो भी बच्चे एकदम तेज बुद्धी वाले पैदा होंगे. आरोग्य भारती ने कई सेमिनार गर्भ धारण संस्कार पर मुंबई, दिल्ली, उडुपी, कासारगॉड, विशाखापट्नम और विजयवाड़ा जैसी जगहों पर किया है.

अब कुछ बातें यहां सोचने लायक हैं. आरएसएस के इस नाज़ी प्रेरित आंदोलन में किस बात का शुद्धीकरण किया जा रहा है. ये मां और उसके अजन्में बच्चे के लिए है. इसे जातीवाद नहीं कहा जाना चाहिए? अब कुछ बचा नहीं तो आने वाली पीढ़ी पर अपनी सोच आजमाने का तरीका निकाल लिया.

2020 तक इस तरह का प्रोजेक्ट हर राज्य में शुरू करने की सोची गई है. अब ये बताइए बच्चे कैसे हों इसपर भी लोग अपना हक जमा रहे हैं. क्या मां के लिए सिर्फ यही काम बाकी रह गया है कि वो अपना बच्चा कस्टमाइज करे? अब ये कहां कहा गया है कि अगर बच्चा पूरी तरह से परफेक्ट नहीं हुआ तो मां उसे प्यार नहीं करेगी? गोरे की जगह काला बच्चा अगर पैदा हो गया तो क्या परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट जाएगा? ऐसा तो नहीं है फिर क्यों अजन्में बच्चों को भी परफेक्ट बनाने में तुल गए हैं लोग. दावा किया जा रहा है कि ये एक अच्छे भारत की कल्पना को अंजाम देगा, लेकिन अच्छा भारत सिर्फ परफेक्ट बच्चों से बनेगा क्या? उसके लिए सोच बदलने की जरूरत है.

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