Russia-Ukraine Conflict में तैयार हो रहा है पेट्रोल बम, भारतवासियों के लिए चिंता की बातें...
Russia-Ukraine Conflict हमारे सामने हैं हालात युद्ध के हैं जो Nato की दखलंदाजी के कारण तीसरे विश्व युद्ध का रूप ले सकता है. यदि स्थिति ऐसी होती है और ये विवाद नहीं सुलझ पाया तो इसकी कीमत भारत को भी चुकानी होगी. आने वाले समय में रूस- यूक्रेन विवाद के चलते भारत में पेट्रोल का संकट पैदा हो सकता है.
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बुद्धिजीवियों के बीच एक चर्चा आम थी. कहा गया कि अगर भविष्य में विश्वयुद्ध (तीसरा विश्वयुद्ध) हुआ तो वजह पेट्रोल होगा. चाय की चुस्कियों या रूटीन गपशप के दौरान हुई ऐसी बातों पर भले ही तब आपने और हमने कान न दिए हों लेकिन आज जब इस कोरोना काल में रूस और यूक्रेन का संघर्ष हमारे सामने है. तो पूरे विश्व के साथ हम भारत वासियों को चिंतित इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि आगे अगर दोनों देशों यानी रूस और यूक्रेन के बीच बात बढ़ती है तो प्रभावित हम भारतीय भी होंगे और यकीन मानिए बहुत तबियत से होंगे.
ध्यान रहे रूस और यूक्रेन के बीच विवाद गहराता जा रहा है, जिसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल रहा है. जैसे हालात हैं रूस और यूक्रेन के बीच किसी भी क्षण युद्ध हो सकता है.
यदि रूस और यूक्रेन के बीच हालात और बिगड़ते हैं तो पेट्रोल के मद्देनजर बड़ी कीमत चुकाने को तैयार रहे भारत जैसा कि ज्ञात है इस पूरे विवाद में रूस मजबूत स्थिति में है इसलिए उसने यूक्रेन सीमा 1 लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं. खुद अमरीका ने चिंता जाहिर की है कि आने वाले वक्त में रूस, यूक्रेन पर हमला कर सकता है. माहौल किसहद तक तनावपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. युद्ध होगा इसकी पुष्टि ऐसे भी हुई है कि अमेरिका यूक्रेन स्थित कीव से अपने दूतावास खाली करवा रहा है.
Measures placed on Russia could see energy prices skyrocket as supply is restrictedThe threat of energy sanctions against Russia, which could be imposed in the case of an invasion of Ukraine, may see the UK face record gas and petrol prices, British ministers have been war… pic.twitter.com/E0VcV3oPTa
— Gideon Chrisostomo (@GideonChrisost1) January 24, 2022
चूंकि बात इसपर हुई है कि कैसे दो मुल्कों की लड़ाई पूरे विश्व को अपने लपेटे में लेगी? तो हमारे लिए भी जरूरी हो जाता है कि हम इस बात को समझे कि इस पूरे विवाद की वजह क्या है? क्यों आज एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं यूक्रेन और रूस.
तो आखिर कब शुरू हुआ दोनों देशों के बीच विवाद?
मौजूदा स्थिति जो है वो कोई आज की नहीं है. माना जाता है कि इस पूरे बवाल की जड़ क्रीमिया है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बहुत जरूरी है कि क्रीमिया वही प्रायद्वीप है जिसे 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को तोहफे के तौर पर दिया था. 1991 में जब यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ तो कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों के बीच नोक झोंक होती रही.
चूंकि जिक्र रूस और यूक्रेन विवाद का हो रहा है तो 2013 वो समय था जब पूरे विश्व ने इन दो मुल्कों को एक दूसरे से लड़ते देखा. लड़ाई की एक बड़ी वजह सीमाओं को भी माना जाता है, ध्यान रहे कि यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस के साथ लगती है.
विवाद समझने के लिए हमें जाना होगा पीछे
बात नवंबर 2013 की है. यूक्रेन की राजधानी कीव में तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के लिए विरोध के स्वर बुलंद हुए थे. यानुकोविच को रूस का समर्थन था, जबकि अमेरिका-ब्रिटेन का शुमार उन देशों में था जो प्रदर्शनकारियों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े थे और उन्हें खुला समर्थन दे रहे थे. तब तत्कालीन राष्ट्रपति यानुकोविच किस हद तक मुसीबत में आए थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फरवरी 2014 में यानुकोविच को देश छोड़कर भागना तक पड़ा था.
यानुकोविच के बर्ताव से आहत हुआ रूस, कब्जे से लिया बदला!
राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का ये बर्ताव खुद को सुपर पावर कह रहे रूस को नागवार गुजरा और राष्ट्रपति यानुकोविच की इस कायराना हरकत से नाराज होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. साथ ही वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया. अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. तब से ही रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच लड़ाई बदस्तूर जारी है.
U.S. oil/petrol imports in 2020. #RussiaUkraine pic.twitter.com/FCuskUPlqy
— Steven. I'm BlueAnon. Between Naps. (@StevenTSteven1) January 23, 2022
रूस और यूक्रेन विवाद का एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि इस लड़ाई पर पश्चिमी देश एक हुए और तमाम प्रयास ऐसे हुए जिससे दोनों देशों में शांति आ जाए. 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता भी किया जिसके बाद दोनों मुल्कों में संघर्ष विराम पर सहमति बनी.
फिर से नासूर बन रहे हैं पुराने जख्म
यूक्रेन के सामने रूस एक बहुत बड़ा चैलेन्ज है. इसलिए उसका भी यही प्रयास है कि वो पश्चिमी देशों से अपने रिश्तों को बेहतर करे, रूस इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता है और यही चाहता है कि यूक्रेन अलग थलग पड़ा रहे. पश्चिमी देशों के बीच अपनी पैठ बनाने में यूक्रेन कैसे कामयाब हुआ है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि भले ही यूक्रेन सदस्य न हो लेकिन NATO से उसके रिश्ते मधुर हैं. ध्यान रहे 1949 वो समय था जब सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की स्थापना हुई थी.
अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इस संगठन के सदस्य हैं. ट्रीटी के नियमों पर नजर डालें तो मिलता है कि, अगर संगठन के किसी सदस्य देश पर तीसरा देश हमला करता है तो NATO के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करेंगे.
रूस यूक्रेन विवाद के तहत रूस यही मांग कर रहा है कि NATO यूरोप में अपने विस्तार पर रोक लगाए. वहीं बात अगर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हो तो अभी बीते दिनों ही उन्होंने ये कहकर एक नए विवाद को पंख दे दिए थे कि यदि NATO रूस के विरुद्ध यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
Eastern #Ukraine and the now occupied city of #Donetsk: Before and after Russian forces invaded in 2014. Location around the now destroyed city airport. Metro centre and petrol station, with Soviet Russia jet outside it. Ironically the jet has survived. #Donbas #Donbass pic.twitter.com/5aRTZgEG0V
— Glasnost Gone (@GlasnostGone) April 4, 2019
तमाम अंतर्राष्ट्रीय विषयों के जानकार ऐसे भी हैं जो इस बात पर एकमत हैं कि यदि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन गया तो इसका अंजाम सिर्फ और सिर्फ थर्ड वर्ल्ड वॉर होगा.
रूस- यूक्रेन विवाद और भारत पर असर
यदि रूस और यूक्रेन में युद्ध होता है और अमेरिका ब्रिटेन जैसे देश इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं तो इसकी एक बड़ी कीमत भारत को भी चुकानी होगी. जहां पेट्रोल की कीमतें बढ़ेंगी वहीँ प्राकृतिक गैस पर भी असर पड़ने की संभावना है. बताते चलें कि यूरोपीय देशों को जाने वाले एक तिहाई गैस रूस से होकर जाती है. ऐसे में अगर रूस पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाया जाता है तो वो किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठने वाला.
Russia's use of trains to fuel its occupation & loot #Ukraine. Russia controls 2 rail lines into Ukr. Sat images show fuel trains entering. Red rail carriages being emptied of military supplies in IIovaisk. Long trains with petrol, covered wagons & coal wagons. #Donbas #Donbass pic.twitter.com/idwOju185Y
— Glasnost Gone (@GlasnostGone) February 6, 2019
विवाद के चलते यूक्रेन में गैस का संकट शुरू हो गया है. यूक्रेन में कीमतें पिछले साल के मुकाबले चार गुना बढ़ चुकी हैं. माना जा रहा है कि यदि रूस अपने पर आ गया तो कच्चे तेल की कीमतें आसमान छुएंगी. जिक्र भारत का हुआ है तो जैसा कि हमें ज्ञात है 2014 ले बाद हर बीतते दिन के साथ कीमतें बढ़ रही हैं. बाजार पर नजर डालें तो कच्चे तेल की कीमतों प्रति बैरेल कीमत 6000 रुपए के ऊपर है.
यदि रूस यूक्रेन विवाद और गहराता है और नौबत बड़े युद्ध की आती है तो पेट्रोल के मद्देनजर भारत में स्थिति गंभीर होगी जिसे संभालना सरकार के बस में नहीं होगा. जैसा कि हमें ज्ञात है भारत के 5 राज्यों में चुनाव है इसलिए अभी स्थिति नियंत्रित है चुनाव हो गए और युद्ध हो गया तो जनता को भी पेट्रोल बम के लिए तैयार रहना चाहिए.
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