सपा के तीन राज्यसभा प्रत्याशी, तीनों की अपनी अलग कहानी है!
चर्चा है कि समाजवादी पार्टी ने तीन नेताओं को राज्यसभा भेजने के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. आइये पहले उन पर एक नजर डाल लें और ये समझने का प्रयास करें कि आखिर अखिलेश ने इन्हीं नामों को राज्यसभा में भेजने का निर्णय क्यों लिया?
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अपने अतरंगे फैसलों के कारण अक्सर ही सुर्ख़ियों में रहने वाली समाजवादी पार्टी और पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एक बार फिर चर्चा में है. कारण है राज्यसभा जहां 11 सीटों के लिए बीते 24 मई से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अभी वहां सपा के 5 सदस्य हैं, जिनमें विशंभर प्रसाद निषाद, कुंवर रेवती रमन सिंह और चौधरी सुखराम सिंह यादव का कार्यकाल आगामी 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है. इसलिए समाजवादी पार्टी के पास 3 लोगों को राज्यसभा भेजने की जगह है. चाहे वो खुद समाजवादी पार्टी के नेता रहे हों या फिर विपक्ष के लोग हर कोई ये जानना चाह रहा था कि राज्यसभा की दहलीज तक जाने का मौका पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव किसको देते हैं? तमाम नाम थे जिनको लेकर लगातार चर्चा हो रही थी लेकिन अब जबकि कपिल सिब्बल, डिंपल यादव और जावेद अली खान का नाम हमारे सामने आ गया है तो चीजें शीशे की तरह साफ़ हो गयी हैं. इन नामों के बाद राज्य सभा जाने के मद्देनजर तमाम तरह की चर्चाओं और कयासों पर पूर्ण विराम लग गया है.
राज्यसभा के मद्देनजर जो फैसला अखिलेश यादव ने लिया है उसने सभी को हैरत में डाल दिया है
समाजवादी पार्टी की तरफ जो तीन लोग यानी कपिल सिब्बल, डिंपल यादव और जावेद अली खान राज्यसभा जा रहे हैं. इन तीनों ही नामों के पीछे जो कहानी है वो अपने आप में खासी रोचक हैं. समाजवादी पार्टी द्वारा राज्यसभा के लिए जिन नामों का चयन हुआ है आइये पहले उनपर एक नजर डाल लें और ये समझने का प्रयास करें कि आखिर अखिलेश ने इन्हीं नामों को राज्यसभा में भेजने का निर्णय क्यों लिया.
डिंपल यादव
कयास थे कि पार्टी अगर तीन लोगों को राज्यसभा भेज रही है तो अवश्य ही अखिलेश 'महिला फैक्टर' का इस्तेमाल करेंगे. अटकलें सही साबित हुईं। पार्टी के नेता उस वक़्त हैरत में आए जब राज्यसभा के लिए डिंपल यादव के नाम की घोषणा हुई. आलोचक कुछ कहें लेकिन अखिलेश के इस फैसले पर इस लिए भी हैरत नहीं होनी चाहिए क्योंकि पहले ही ये मान लिया गया था कि यदि समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्यसभा की तरफ कूच करने वाली कोई महिला होगी तो वो परिवार से ही होगी.
डिंपल को मैदान में उतारकर अखिलेश ने एक ही तीर से कई निशाने साधे हैं. डिंपल का राज्यसभा जाना अखिलेश के लिए आने वाले वक़्त में खासा फायदेमंद इसलिए भी होगा क्योंकि अखिलेश के विरोध के लिए उठी कुछ आवाजें इस फैसले के बाद शांत होंगी.
कपिल सिब्बल
पार्टी में मुद्दा राज्य सभा थी. कहा यही गया कि अखिलेश या तो कारोबारी और पूर्व नौकरशाहों को या फिर पार्टी के पुराने वफादारों को मौका दे सकते हैं. मगर पार्टी उस वक़्त सकते में आई जब समाजवादी पार्टी की तरफ से कपिल सिब्बल का नाम सामने आया. ध्यान रहे पूर्व कांग्रेसी नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है.
पहले ये अवधारणाएं बन रही थीं कि सिब्बल झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से अपना राज्यसभा का सफर तय करेंगे लेकिन अब जबकि ये क्लियर हो गया है कि सपा के समर्थन से सिब्बल राज्यसभा जाएंगे.
समाजवादी पार्टी द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद इसे वो तोहफा माना जा रहा है जो सिब्बल को आज़म खान की रिहाई के मद्देनजर समाजवादी पार्टी की तरफ से मिला है. कपिल सिब्बल ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने सपा नेता आजम खान की रिहाई में अहम भूमिका निभाई.
आजम, अखिलेश से नाराज हैं. जहां एक तरफ अखिलेश, सिब्बल को सपा से राज्यसभा भेजकर आजम खान की नाराजगी को दूर करना चाहते हैं तो वहीं सिब्बल ऐसे व्यक्ति हैं जो दिल्ली में अखिलेश की पकड़ को बहुत मजबूत कर सकते हैं.
हो सकता है सिब्बल का कांग्रेस का खेमा छोड़कर सपा में आना आम लोगों को साधारण लगे. ऐसे में ये बता देना भी अनिवार्य है कि जब अखिलेश ने ये घोषणा की तो उन्हें अपने ही लोगों से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा. सिब्बल को लेकर गतिरोध किस तरह का था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिब्बल की सपा के जरिये राज्यसभा में एंट्री का यदि किसी ने सबसे ज्यादा विरोध किया तो वो चाचा राम गोपाल थे.
राम गोपाल सिब्बल को लेकर अड़े थे उन्होंने अखिलेश के सामने कुछ शर्तें रखीं जिन्हें अखिलेश ने माना और इस तरह हम सिब्बल को हम साइकिल के सहारे राज्य सभा की दहलीज पर खड़ा देख रहे हैं.
जावेद अली खान
डिंपल अखिलेश की पत्नी हैं. वहीं सिब्बल वरिष्ठ वकील तो हैं ही साथ ही वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने आजम खान के लिए वो कर दिखाया जो अपने आप में एक टेढ़ी खीर थी. लेकिन राज्यसभा के लिए जिस नाम ने सपा के साथ साथ पूरे विपक्ष में खलबली मचा दी वो था जावेद अली खान. हर कोई जानने को बेक़रार है कि आखिर ये जावेद अली खान हैं कौन? जिन्होंने समाजवादी पार्टी के कई पुराने नेताओं के सपने को चकना चूर किया. (समाजवादी पार्टी की साइकिल पर चढ़कर राज्य सभा जाना.)
हम ऊपर ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जब सपा के सहयोग से कपिल सिब्बल के राज्यसभा जाने की बात हुई तो वो रामगोपाल यादव थे जिन्होंने अखिलेश के इस फैसले का विरोध किया था. रामगोपाल ने कुछ शर्तें रखी थीं जिन्हें अखिलेश ने माना उसी के बाद सिब्बल को हरी झंडी दी गयी.
बात शर्तों की हो तो यूपी के मुरादाबाद से ताल्लुख रखने वाले जावेद अली खान की वो शर्त थे जिसे जब अखिलेश ने पूरा किया तभी सिब्बल का रास्ता साफ़ हुआ. जावेद अली खान के बारे में दिलचस्प यही है कि रामगोपाल का 'करीबी' होना ही मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है. कुल मिलाकर सिब्बल ही वो व्यक्ति ने जिन्होंने जावेद अली की राजनीतिक किस्मत को बदल कर रख दिया है.
जावेद अली खान का मूल संभल से हैं जहां बर्क और नवाब इक़बाल जैसे नेताओं का दबदबा है. ऐसे में जावेद अली जैसे नेता का राम गोपाल का करीबी होना उनके लिए खासा फायदेमंद हुआ है. सिब्बल के कारण जावेद की पांचों अंगुलियां घी और सिर कड़ाई में है.
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