Karim Lala-Indira Gandhi meeting: संजय राउत को बाकी नेताओं के नाम बताने ही होंगे!
करीम लाला और इंदिरा गांधी मुलाकात (Karim Lala-Indira Gandhi meeting controversy) का दावा कर संजय राउत (Sanjay Raut) ने जो विवाद खड़ा किया, उसे सफाई देकर और बढ़ा दिया है. देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के सवालों का जवाब तो कांग्रेस देगी, बाकी नेताओं के नाम तो शिवसेना प्रवक्ता को ही बताने पड़ेंगे.
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संजय राउत (Sanjay Raut) ने करीम लाला के साथ इंदिरा गांधी (Indira Gandhi and Karim Lala meeting controversy) का नाम जोड़ कर जो विवाद खड़ा किया - सफाई देकर तो ऐसा लगता है जैसे घी में आग डाल दी हो. अब तो संजय राउत को कई बार सफाई देनी पड़ सकती है. एक इंटरव्यू में संजय राउत ने कहा था कि इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने जाया करती थीं. संजय राउत के बाद कांग्रेस ने वैसे ही रिएक्ट किया है जैसे वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान के बाद शिवसेना की ओर से प्रतिक्रिया आयी थी. वैसे देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने तो कांग्रेस पर धावा बोल ही दिया है.
ऐसा भी तो नहीं कि संजय राउत कोई कच्चे खिलाड़ी हैं. अब तक तो यही देखा गया है कि 'संजय उवाच्' का मतलब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मन की बात हुआ करती रही. सवाल ये है कि संजय राउत इस बार भी उद्धव ठाकरे की जबान बोल रहे हैं या अपने मन की कर रहे हैं?
'बयान' से ज्यादा विवादित है संजय राउत की 'सफाई'!
संजय राउत पुणे में एक पुरस्कार समारोह में शिरकत कर रहे थे, तभी इंटरव्यू देने की भी बारी आ गयी. मुंबई के गुजरे जमाने की बात चली तो संजय राउत दास्तां सुनाने लगे - एक दौर रहा जब अंडरवर्ल्ड के लोग तय किया करते रहे कि पुलिस कमिश्नर कौन बनेगा और मंत्रालय में कौन बैठेगा? अपने बार में भी बताया कि कैसे वो दाऊद इब्राहिम से मिले और उसे झिड़क भी दिया था - लेकिन वो यहीं नहीं रुके.
संजय राउत ने यहां तक दावा कर डाला कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने जाया करती थीं.
संजय राउत के बोलते ही करीम लाला के साथ इंदिरा गांधी की तस्वीर भी आ गयी
संजय राउत के इतना कहते ही कांग्रेस और शिवसेना में तो जैसे तलवारें खिंच गयीं और लोग करीम लाला के बारे में गूगल करने लगे. मालूम हुआ कि करीम लाला को लेकर फिल्में तक बनाई गयीं - मसलन, अमिताभ बच्चन वाली जंजीर में प्राण का किरदार. अफगानिस्तान से मुंबई पहुंचा अब्दुल करीम शेर खान को पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता रहा है और हाजी मस्तान नहीं बल्कि करीम लाला को ही शहर का पहला डॉन जो 90 साल की उम्र तक जिंदा रहा.
संजय राउत ने तो दाऊद इब्राहिम को झिड़की भर लगायी थी, ये करीम लाला ही रहा जिसके हत्थे चढ़ते ही दाऊद इब्राहिम दया की भीख मांगने लगा था और करीम लाला ने पीट पीट कर लहूलुहान कर डाला था.
राहुल गांधी के रामलीला मैदान वाले डायलॉग - 'मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं राहुल गांधी है' पर संजय राउत ने बड़ी संजीदगी से टिप्पणी की थी, लेकिन मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा तो शिवसेना प्रवक्ता से बयान ही वापस लेने की मांग कर डाली थी, लेकिन सवाल है की तस्वीर सामने आने के बाद क्या कहेंगे? एक जमाने में सामना में संजय राउत वाली भूमिका में रहे संजय निरुपम ने संजय राउत को 'मिस्टर शायर' कहते हुए सलाह दी है कि वो हल्की-फुल्की शायरी से महाराष्ट्र के लोगों का मनोरंजन करते रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
Indira ji was a true patriot who never compromised on India’s national security.
As former @INCMumbai President, I demand that @rautsanjay61 ji withdraws his ill-informed statement.
Political leaders must show restraint before distorting the legacies of deceased Prime Ministers
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) January 16, 2020
बेहतर होगा कि शिवसेना के मि.शायर दूसरों की हल्की-फुल्की शायरी सुनाकर महाराष्ट्र का मनोरंजन करते रहें।पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के खिलाफ दुष्प्रचार करेंगे तो उन्हें पछताना पड़ेगा।कल उन्होंने इदिराजी के बारे में जो बयान दिया है वो वापस ले लें।
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) January 16, 2020
कांग्रेस नेताओं के तीखे तेवर और तंज कसने के बाद संजय राउत ने सफाई भी दी है. दिलचस्प बात ये है कि संजय राउत ने सफाई में जो बात कही है वो तो पहले से ज्यादा गंभीर लगती है. अमूमन ऐसे मामलों में नेताओं की फितरत यू-टर्न ले लेने की होती है - लेकिन शिवसेना प्रवक्ता ने ऐसा बिलकुल नहीं किया है.
अपनी सफाई में संजय राउत ने शायरी वाले ही हल्के-फुल्के अंदाज में कहने की कोशिश की है कि करीम लाला से तो सारे नेता मिला करते थे.
तो संजय राउत ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि इसमें कौन सी बड़ी बात है - जैसे हर कोई मिलता था, इंदिरा गांधी भी मिलती रहीं.
फिर तो अगला सवाल यही होगा - इंदिरा गांधी की तरह मुलाकात करने वालों में और कौन कौन थे?
संजय राउत के बयान का मकसद क्या हो सकता है?
संजय राउत की अपने बयान पर सफाई और भी ज्यादा गंभीर है. सफाई में संजय राउत का कहना है कि वो इंदिरा-नेहरू का हमेशा से सम्मान करते रहे हैं, एकबारगी डैमेज कंट्रोल भी समझा जा सकता है, लेकिन उससे आगे तो यही लगता है कि सबको लपेट डाला है.
संजय राउत ने कहा है, 'करीम लाला से कई नेताओं की मुलाकात होती थी. अफगानिस्तान के पठानों के नेता के रूप में नेताओं की उनसे मुलाकात होती थी. करीम लाला के दफ्तर में कई नेताओं की तस्वीरें भी थीं - समस्या जानने के लिए करीम लाला से सभी नेता मिलते थे.'
Kareem Lala was leader of Pathan community, he led an organisation called 'Pakhtun-e-Hind'. It was in this capacity of the leader of Pathan community that he met several top leaders including Indira Gandhi However, those who do not the history of Mumbai, r twisting my statement
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 16, 2020
पहले तो सवाल भी यही उठता कि इंदिरा गांधी क्यों मिलने जाती रहीं? अब तो सवाल ये भी उठेगा कि इंदिरा गांधी के अलावा कौन कौन करीम लाला से मिलने जाता रहा? महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो फौरन ही कांग्रेस को घेर लिया है. इस बाबत फडणवीस ने ये ट्वीट मराठी में किया है - और इसके भी खास मायने भी होंगे. ये संवाद महाराष्ट्र के लोगों के साथ है - राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के दूसरे नेता ये काम करेंगे.
देवेंद्र फडणवीस का सवाल है - क्या कांग्रेस उस समय अंडरवर्ल्ड के भरोसे चुनाव जीतती थी? क्या कांग्रेस को अंडरवर्ल्ड से फंडिंग भी हुआ करती रही?
इंदिराजींसारख्या सर्वोच्च नेत्यावर आरोपानंतर काँग्रेस गप्प का?निवडणुका जिंकण्यासाठी काँग्रेस अंडरवर्ल्डची मदत घ्यायची का?पोलिस आयुक्त अंडरवर्ल्डच्या संमतीने ठरवित होता काय?मुंबईत स्फोट घडविणार्यांशी काँग्रेसचा काय संबंध?सोनियाजी, राहुलजी, प्रियंकाजी उत्तर द्या... pic.twitter.com/Cs7CRJtgVS
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) January 16, 2020
फडणवीस के सवाल का जवाब तो कांग्रेस को देना होगा, लेकिन संजय राउत की मुश्किल इससे कम नहीं हो जाती. अब संजय राउत को सबके नाम बताने ही होंगे - क्योंकि इंदिरा गांधी को लपेटते हुए बयान देने के बाद विवाद खत्म करने की जगह खुद ही उन्होंने बात आगे तक बढ़ा दी है.
अगर संजय राउत को इंदिरा गांधी और करीम लाला की मुलाकात की जानकारी होगी तो जाहिर है मिलने वाले बाकी नेताओं के नाम भी वो जानते ही होंगे. मसलन, इंदिरा गांधी के अलावा कांग्रेस के और कौन कौन से नेता करीम लाला से मिलते थे? कांग्रेस के अलावा किन दलों के नेता करीम लाला से मिलते रहे - क्या उनमें शिवसेना का भी कोई नेता शामिल रहा? क्या संघ से जुड़ा कोई व्यक्ति भी मिलने वालों में शुमार रहा? आखिर करीम लाला ने किन नेताओं की तस्वीरें लगा रखी थीं?
अब एक सवाल और - आखिर संजय राउत के बयान का मकसद क्या हो सकता है?
सवाल है कि क्या ये बात संजय राउत ने अपने स्तर पर की है - या फिर ये भी उद्धव ठाकरे के कहने पर किया है?
अगर संजय राउत ने अपने स्तर पर ये फैसला लिया तो इसे उनके भाई को मंत्री पद न मिलने वाली नाराजगी से जोड़ कर देखा जा सकता है - तो क्या वो कांग्रेस को नाराज कर शिवसेना से मतभेद पैदा करना चाहते हैं? क्या इसके पीछे बीजेपी की कोई चाल भी हो सकती है या ऐसा करके संजय राउत बीजेपी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश में हैं?
अगर संजय राउत के बयान को उद्धव ठाकरे की भी मंजूरी मिली हुई है तो उसकी भी खास वजह है. लगातार ये देखने को मिल रहा था कि कांग्रेस उद्धव ठाकरे पर दबाव बनाये हुए है - CAA पर शिवसेना का स्टैंड कांग्रेस को ठीक नहीं लगा था. हो सकता है कांग्रेस को सोनिया गांधी की तरफ से बुलायी गयी मीटिंग में शिवसेना का न आना भी बुरा लगा हो और आगे वो रिएक्ट भी करे. ऐसा भी तो हो सकता है कि शिवसेना ने कांग्रेस की तरफ से बढ़ाई जाने वाली मुसीबतों से निकलने का रास्ता खोजा हो - और संजय राउत अपनी शेरो-शायरी में वजन बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों को पिरोने की कोशिश कर रहे हों!
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