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Updated: 06 फरवरी, 2023 04:54 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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पाकिस्तान से जुड़े किसी भी मुद्दे को लेकर कांग्रेस को आखिर बचाव की मुद्रा में क्यों आ जाना पड़ता है? और वो भी तब जबकि कांग्रेस की ही सरकार के दौरान भारत जंग के मैदान में पाकिस्तान को शिकस्त दे चुका है - ये 1971 की बात है जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हुआ करती थीं.

पाकिस्तान के फौजी शासक रहे परवेज मुशर्रफ (Parvez Musharraf) की मौत पर एक कांग्रेस नेता के एक ट्वीट के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है - और राहुल गांधी को लेकर मुशर्रफ के एक पुराने बयान का वीडियो भी चर्चा में आ गया है.

ये वीडियो 2019 के आम चुनाव से पहले का है जब एक इंटरव्यू में परवेज मुशर्रफ ने कहा था कि राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनना चाहिये. ऐसे बयान के पीछे परवेज मुशर्रफ ने इंटरव्यू में दलील दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं.

असल में इंटरव्यू के दौरान परवेज मुशर्रफ से भारत में हो रहे लोक सभा चुनाव से उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा गया था, जिस पर पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति का कहना था, "मैं चाहता हूं कि लोक सभा चुनाव के बाद राहुल गांधी भारत के अगले प्रधानमंत्री बनें."

मुशर्रफ से ये भी पूछा गया कि क्या उनको लगता है कि राहुल गांधी एक बेहतर नेता हैं? जाहिर है ये सवाल भी प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी की तुलना को लेकर रहा होगा - और इस पर परवेज मुशर्रफ का कहना रहा, 'हां, मुझे लगता है कि वो बहुत सज्जन व्यक्ति हैं.' ये बताने के लिए परवेज मुशर्रफ ने भारत यात्रा से जुड़े अपने कुछ संस्मरण भी सुनाये थे.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में तबाही वाली गिरावट के बाद से कांग्रेस के हमलों ने बीजेपी को बहुत हद तक बचाव की मुद्रा में ला दिया था. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित सरकार की तरफ सभी का यही कहना है कि अदानी ग्रुप के कारोबार से देश की आर्थिक सेहत पर कोई असर नहीं होने वाला है.

कांग्रेस की तरफ से नया कैंपेन भी शुरू किया जा चुका है - हम अदानी के हैं कौन? लेकिन परवेज मुशर्रफ को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) के एक ट्वीट पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है.

पाकिस्तान ही नहीं चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर भी कांग्रेस और बीजेपी अक्सर ही आमने सामने आ जाते रहे हैं. बीजेपी कांग्रेस की फंडिंग पर सवाल खड़े करती है और ये मुद्दा उठते ही राहुल गांधी की चीन राजदूत से हुई मुलाकात को लेकर सवाल खड़े होने लगते हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी गलवान संघर्ष के बाद से ही चीन का मुद्दा उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाये रहते हैं.

अब तो ये हाल हो चुका है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों से आगे बढ़ कर बीजेपी कांग्रेस को पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाली पार्टी के तौर पर प्रचारित करना शुरू कर दिया है. मुस्लिम पार्टी की छवि से बेहाल कांग्रेस नेतृत्व के लिए ये और भी बड़ी मुश्किल है.

भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को चाहे जितना भी फायदा मिला हो, लेकिन कांग्रेस के सामने चुनौतियों का जो अंबार खड़ा है, उसमें कोई कमी नहीं आयी है - और राहुल गांधी के लिए अब पाकिस्तान के मुद्दे पर भी कांग्रेस का स्टैंड सही तरीके से पेश करना एक बड़ी चुनौती लगती है.

मुशर्रफ को थरूर का ट्वीट सही है या गलत?

किसी भी युद्धबंदी के साथ कैसा सलूक होना चाहिये, पूरा प्रोटोकॉल बना हुआ है. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा और उसी दौरान ऐसी स्थिति आयी कि पाकिस्तान ने 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को बंदी बना लिया था - बाद में दबाव में आने के बाद वाघा बॉर्डर तक छोड़ना भी पड़ा था.

लेकिन एक वाकये के अलावा ऐसी कई घटनाएं हैं जिसमें पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया है, जिसमें सैनिकों के सिर तक काट कर ले जाने की भी घटना हो चुकी है.

rahul gandhi, parvez musharrafपरवेज मुशर्रफ ने जाते जाते राहुल गांधी को मुश्किल में डाल दिया

हर सैनिक अपने देश के लिए जंग लड़ता है. दिल्ली में पैदा होने वाले परवेज मुशर्रफ भी भारत के खिलाफ जंग लड़ चुके हैं. 1971 में वो पाकिस्तानी फौज में कंपनी कमांडर हुआ करते थे - लेकिन आगे चल कर तो वो भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध के आर्किटेक्ट ही बन गये.

और देश पर कारगिल युद्ध थोपने वाले परवेज मुशर्रफ को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने श्रद्धांजलि दी है. शशि थरूर देश की राजनीति में आने से पहले संयुक्त राष्ट्र में लंबे समय तक काम कर चुके हैं - और डिप्लोमेसी भी उनके कॅरियर का बड़ा हिस्सा रही है.

जाहिर है, अपने पुराने दिनों के चलते शशि थरूर ने मुशर्रफ से मुलाकातों को याद करते हुए कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं - लेकिन देश के लोग इसे गलत मानते हैं या सही ये फैसला उनको करना चाहिये.

वैसे शशि थरूर ने मुशर्रफ के बारे में जो लिखा है, वो जानना भी जरूरी है. ट्विटर पर शशि थरूर लिखते हैं, "पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ नहीं रहे. वो दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे. एक दौर में वो भारत के एक कट्टर दुश्मन रहे, लेकिन वही मुशर्रफ 2002-2007 के बीच में शांति के लिए एक वास्तविक ताकत बनकर उभरे... मैं उन दिनों संयुक्त राष्ट्र में साल में एक बार उनसे मिला करता था - और उनको अपनी रणनीतिक सोच में स्मार्ट और स्पष्ट पाया."

शशि थरूर के ट्वीट का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे कांग्रेस की पाकपरस्ती बताया है. शहजाद पूनावाला लिखते हैं, परवेज मुशर्रफ कारगिल युद्ध के आर्किटेक्ट, तानाशाह, जघन्य अपराधों के आरोपी थे... तालिबान और ओसामा उनके लिए भाई जैसे और हीरो थे. कांग्रेस की तरफ से उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े जा रहे हैं.

शहजाद पूनावाला ने याद दिलाया है कि एक जमाने में परवेज मुशर्रफ ने भी सज्जन व्यक्ति बता कर राहुल गांधी की तारीफ की थी. शायद इसीलिए परवेज मुशर्रफ कांग्रेस को प्रिय हैं. धारा 370 से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक बालाकोट पर शक करने वाली कांग्रेस ने पाकिस्तान की जुबान बोलती है और मुशर्रफ की जयकार की है.

कांग्रेस को पाकिस्तान पर रुख साफ करना होगा

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग कर कांग्रेस को विवादों में ला दिया था. राहुल गांधी से सवाल पूछा जाने लगा और वो उनकी निजी राय बता कर पल्ला झाड़ लिये.

शशि थरूर की ही तरह महबूबा मुफ्ती ने भी परवेज मुशर्रफ की तारीफ करते हुए श्रद्धांजलि दी है. ध्यान रहे पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेस के नेता फारूक अब्दुला जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत में पाकिस्तान को शामिल किये जाने के हमेशा ही पक्षधर रहे हैं.

हाल ही में फारूक अब्दुल्ला ने कहा था, कश्मीर समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करेगा. पाकिस्‍तान के नाम लिये बिना ही फारुक अब्‍दुल्‍ला का कहना रहा, 'कश्मीर की समस्या खत्म नहीं होगी... मुझे ये कहते हुए दुख हो रहा है कि आतंकवाद तब तक बना रहेगा, जब तक हम अपने पड़ोसी से बात नहीं करते - और इसका सही समाधान नहीं निकालते.'

दिग्विजय सिंह के बयान को निजी राय बता कर राहुल गांधी पीछा छुड़ा सकते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष में राय देने वाले फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ अगर वो चलते हैं, तो आगे बढ़ कर पाकिस्तान को लेकर कांग्रेस का स्टैंड साफ करना ही होगा. और लोगों को ये समझाना राहुल गांधी के लिए काफी मुश्किल हो सकता है.

लोक तंत्र में ऐसी बहुत सारी छूट हासिल हैं. कांग्रेस की तरफ से ये दलील दी जा सकती है कि आखिर बीजेपी ने भी तो पीडीपी के साथ सरकार बनायी ही थी. बिलकुल, सही बात है - लेकिन राहुल गांधी को बीजेपी और कांग्रेस का ये फर्क समझना भी होगा और अपने नेताओं को समझाना भी होगा.

एक बार अगर बीजेपी कांग्रेस को पाकिस्तान परस्त बता देती है तो लोग मान लेते हैं - और राहुल गांधी के लाख सफाई देने के बाद भी लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. 2019 में पूरे चुनाव राहुल गांधी लोगों को समझाते रहे 'चौकीदार चोर है' - और उन लोगों ने ही मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को पहले से भी ज्यादा सीटों के साथ सत्ता सौंप दी.

अब ये जरूरी हो गया है कि राहुल गांधी ऐसे मुद्दों पर साफ साफ स्टैंड लें. और ऐसी घटनाओं से बचने की कोशिश करें जो लोगों के बीच कांग्रेस के बारे में भ्रम पैदा करने वाली होती हैं - वरना, कश्मीर से कन्याकुमारी तक तिरंगा लहराते हुए पदयात्रा के बाद लाल चौक पर झंडा फहराने से भी कोई फायदा नहीं होने वाला है.

ये पिछले आम चुनाव के बीच का ही वाकया है, जब राहुल गांधी ने विपक्षी दलों की तरफ से एक संयुक्त बयान पढ़ा था. विपक्ष के बयान में शहीदों की कुर्बानियों पर राजनीति करने का बीजेपी पर आरोप लगाया गया था - और उसी को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी की तरफ से समझाया जाने लगा कि कैसे कांग्रेस और विपक्षी नेताओं के बयानों और हरकतों पर पाकिस्तान में सुर्खियां बनती रहती हैं.

महाराष्ट्र के लातूर में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के घोषणा पत्र को ढकोसला पत्र करार दिया था. तब मोदी लोगों से कह रहे थे, 'कांग्रेस कहती है कि धारा 370 नहीं हटायी जाएगी... ढकोसला पत्र बिलकुल वैसा ही है जैसा पाकिस्तान का होता है... उनका वादा है कि वे जम्मू और कश्मीर के अलगाववादियों से बात करेंगे. पाकिस्तान भी तो यही चाहता है.'

और फिर लोगों ने मोदी की बात पर दोबारा सत्ता सौंप दी. कुछ ही महीने बाद मोदी सरकार संसद में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने का प्रस्ताव लेकर आयी और अब वो सब इतिहास है. और ये सारा प्रकरण राहुल गांधी की राजनीति के लिए बहुत बड़ा सबक है - जितना जल्दी संभल जायें और कांग्रेस को संभाल लें, बेहतर होगा.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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