Shramik Special Trains पर रेल मंत्री पीयूष गोयल को राज्यों से पंगा लेने में मजा क्यों आ रहा है?
श्रमिक स्पेशल ट्रेनें (Shramik Special Trains) की नींव ही लगता है विवाद पर पड़ी है. अब ये रेल मंत्री (Piyush Goyal) और राज्यों (State Governments) के बीच टकराव के रूप में सामने आ रहा है - और ऐसा सिर्फ पश्चिम बंगाल के साथ नहीं हो रहा है.
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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (Shramik Special Trains) की शुरुआत ही विवादों की नींव पर पड़ी और अब तो लगता है इससे निजात भी नहीं मिलने वाली है. मजदूरों से किराया लेने को लेकर शुरू हुआ विवाद अब धीरे धीरे रेल मंत्रालय और राज्यों के बीच टकराव की वजह बनता जा रहा है.
रेल मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) पहले तो सिर्फ ममता बनर्जी से ही खफा थे, लेकिन अब बाकी राज्यों (State Governments) को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. नतीजा ये हो रहा है कि पीयूष गोयल के ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रियाएं होने लगी हैं - और ऐसे वाकये सिर्फ ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से ही नहीं हो रहा है.
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों पर इतना विवाद क्यों हो रहा है
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल के ट्वीट देखें तो ज्यादातर में ये साबित करने की कोशिश लगती है जैसे राज्यों को मजदूरों की कोई फिक्र ही नहीं हो और रेल मंत्रालय मजदूरों का सबसे बड़ा हमदर्द हो.
पीयूष गोयल का एक ताजातरीन ट्वीट उत्तर प्रदेश के औरैया में हुए सड़क हादसे को लेकर है. औरैया में 16 मई को सूर्योदय से पहले ही ट्रकों के टकराने से 24 मजदूरों की मौत हो गयी और तीन दर्जन घायल हो गये. पीयूष गोयल ने औरैया की घटना के जरिये देश के सभी राज्यों को सलाह दी है कि वे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की अनुमति दें ताकि ऐसी घटनाएं न हों.
औरैया, उत्तर प्रदेश में हुई दुर्घटना से बहुत दुख हुआ, मेरी संवेदनायें दुर्घटना में मारे गये प्रवासी मजदूरों के परिजनों के साथ हैं।
हमारे मजदूर भाई ट्रकों से घर जा रहे हैं जो खतरनाक है। मेरा सभी राज्यों से आग्रह है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को अनुमति दें, ताकि ये घटनायें ना हों।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) May 16, 2020
क्या औरैया में मजदूर ट्रकों से इसलिए जा रहे थे क्योंकि यूपी सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेनें नहीं चलने दे रही है?
पीयूष गोयल भले ही औरैया में मजदूरों की मौत पर दुख जताते, लेकिन उसे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की अनुमति से जोड़ देना कहां तक ठीक माना जाएगा. गनीमत यही है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और योगी आदित्यनाथ को केंद्र का लिहाज करना पड़ रहा होगा, वरना रेल मंत्री का ये ट्वीट किसी और पार्टी के मुख्यमंत्री को शायद ही हजम हो पाता. कहने की जरूरत नहीं है योगी आदित्यनाथ मन मसोस कर रह गये होंगे.
ध्यान देने वाली बात है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनें कोई रेल मंत्रालय की पहल पर नहीं चल रही हैं. ये ट्रेनें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकारों की मांग पर चलायी जा रही हैं. मुख्यमंत्रियों की एक मीटिंग में नीतीश कुमार ने मजदूरों और दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की वापसी के लिए एक दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की थी. केंद्र सरकार ने फौरन ही इसकी अनुमति देते हुए गाइडलाइन जारी कर दी. फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई और भी राज्य सरकारों ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि चूंकि मजदूरों की तादाद काफी ज्यादा है इसलिए बसों से उनको भेज पाना मुश्किल है, इसलिए कुछ स्पेशल ट्रेनें चलाने की अनुमति दी जाये. तब जाकर श्रमिक स्पेशल ट्रेने चलनी शुरू हुईं.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन कोई रेल मंत्रालय की पहल नहीं है, बल्कि राज्यों की डिमांड पर चलायी जा रही है
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के नोटिफिकेशन को लेकर भी कई बार विवाद हुआ और बार बार स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी. रेलवे मंत्रालय के नोटिफिकेशन ने तो बीजेपी की ही फजीहत करा दी - और सोनिया गांधी ने मजदूरों का किराया देने की घोषणा कर बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया. फिर राज्य सरकारें एक दूसरे से उलझी रहती हैं - हाल ही में दिल्ली और बिहार सरकार के बीच भी ऐसा ही विवाद हो रहा था.
बार बार ऐसा टकराव क्यों
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सबसे पहले तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बनाना शुरू किया था. लेकिन वो केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच के रूटीन टकराव जैसा ही लगा था.
ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी ही ऐसे रहे जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के खिलाफ रहे. हालांकि, बाद में हालात की गंभीरता को समझते हुए ममता बनर्जी ने ट्विटर पर आकर पश्चिम बंगाल के लिए 105 ट्रेने चलाये जाने की जानकारी दी. जब रेल मंत्री ने उसमें भी खामी खोज डाली तो तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां ने मोर्चा संभाला और बोला कि वो अपने काम से काम रखें.
Towards our commitment to helping all our people stuck in different parts of the country and who want to return back to Bengal, I am pleased to announce that we have arranged 105 additional special trains. (1/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) May 14, 2020
Instead of raising issues on Twitter, it would be wise on your part to reflect on the lack of action and farsightedness as a Railway Minister when lockdown first began. https://t.co/kdtG4jhuqO
— Nusrat (@nusratchirps) May 15, 2020
पीयूष गोयल यहीं तक नहीं रुके - 15 मई को फिर से पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों को लपेट डाला. अशोक गहलोत ने तो इतना ही कहा कि वो अपनी विफलता को छुपाने में कुशल हैं, लेकिन उनके मंत्री ने कह डाला कि रेल मंत्री झूठ बोल रहे हैं.
राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सच्चाई ये है कि हम लगातार मांग रहे हैं, लेकिन भारत सरकार की तरफ से ही ट्रेन नहीं दी जा रही है. बोले, रेल मंत्री पीयूष गोयल अब जाकर दिखे हैं जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सबसे पहले ट्रेन मांगने वालों में से थे और अभी भी लगातार भारत सरकार से कह रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा ट्रेनें चलाई जाए.
झारखंड के मुख्यमंत्री को भी पीयूष गोयल के ट्वीट पर गुस्सा आया. हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर पीयूष गोयल के ट्वीट के जवाब में लिखा - 'हमने अब तक 110 ट्रेनों की NOC दे दी है और 50 ट्रेनों में लगभग 60 हजार से ज्यादा श्रमिक घर लौट चुके हैं.'
माननीय रेल मंत्री जी, ऐसा प्रतीत हो रहा है की आपके विभाग द्वारा आप तक सही जानकारी नहीं पहुँचायी गयी है।
हमने अब तक 110 ट्रेनों की NOC दे दी है और 50 ट्रेनों में लगभग 60 हज़ार से ज़्यादा श्रमिक घर लौट चुके हैं।
मैंने जहां देश में सबसे पहले ट्रेन चलाने की गुहार लगायी थी, अब 1/2 https://t.co/xRzZb4mEzd
— Hemant Soren (घर में रहें - सुरक्षित रहें) (@HemantSorenJMM) May 15, 2020
पीयूष गोयल के ट्वीट पर योगी आदित्यनाथ ने तो कोई रिएक्शन नहीं दिया है, लेकिन पूरे प्रदेश में मजदूरों के पैदल चलने के साथ ही अवैध वाहनों जैसे ट्रकों या ऐसे दूसरे पब्लिक कैरियर की सवारी पर पाबंदी लगा दी है.
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