सोनिया गांधी ने अमित शाह का इस्तीफा नहीं मांगा, बर्रे के छत्ते में हाथ डाल दिया है
सोनिया गांधी ने दिल्ली हिंसा (Sonia Gandhi on Delhi Violence) के लिए कठघरे में तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भी खड़ा किया है, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को पूरी तरह जिम्मेदार बताते हुए इस्तीफा मांग लिया है. सोनिया के बयान का नतीजा ये हुआ है कि बीजेपी 84 दंगों के बहाने कांग्रेस को घेर लिया है.
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दिल्ली में 20 लोगों की मौत के बाद भी हिंसा थमी नहीं है - और राजनीति भी तेज हो गयी है. राजधानी में जारी हिंसा और उपद्रव को को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi on Delhi Violence riots) ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर अमित शाह (Amit Shah) का इस्तीफा भी मांग लिया. कांग्रेस कार्यकारिणी (CWC) की तरफ से सोनिया गांधी ने पांच सवाल भी पूछे हैं जिसमें हिंसा के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया है - और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भी कठघरे में खड़ा किया है.
विपक्ष की तरफ से कांग्रेस ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च का कार्यक्रम भी रखा था, लेकिन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अनुपलब्धता के चलते एक दिन के लिए टाल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हालात का जायजा लेने के बाद ट्विटर पर लोगों से शांति और भाईचारे की अपील की है और कहा है कि पुलिस और दूसरी एजेंसियां स्थिति को समान्य बनाने के लिए काम कर रही हैं.
सोनिया गांधी के अमित शाह को टारगेट करने के बाद बीजेपी की तरफ से पलटवार किया गया है - और आरोप है कि तनाव की स्थिति में कांग्रेस नेता राजनीति कर रही हैं. लगता है कि सोनिया गांधी ने दिल्ली हिंसा के मामले में अमित शाह का इस्तीफा नहीं मांगा है, बल्कि 1984 के दंगों को लेकर बीजेपी को जवाबी हमले का न्योता दे डाला है.
दिल्ली हिंसा पर सोनिया के सवाल
दिल्ली हिंसा को लेकर राहुल गांधी ने एक और प्रियंका गांधी वाड्रा ने 24 फरवरी को ही दो ट्वीट किये थे, लेकिन आगे का मोर्चा संभालने आयीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी. तबीयत खराब हो जाने के कारण सोनिया गांधी दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर पायी थीं - और दोनों भाई बहन साथ निकले थे.
दिल्ली हिंसा में 20 लोगों की मौत के बाद सोनिया गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस बुलायी और इसे एक सोची समझी साजिश बताया. सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी हिंसा के बाद गैर जिम्मेदाराना रवैये के टारगेट किया है.
दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की तरफ से एक लिखा हुआ बयान बढ़ा - 'केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न करने की वजह से 20 से अधिक लोग मारे गये. दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल की भी मौत हो गई. एक पत्रकार समेत सैकड़ों लोग अस्पता में भर्ती हैं... कांग्रेस की ये समिति सब परिवारों के साथ अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती है, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है. इस स्थिति को देखते हुए कांग्रेस समिति का मानना है कि दिल्ली में मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र सरकार खासतौर पर गृह मंत्री जिम्मेदार हैं - जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.'
दिल्ली में हालात हद से ज्यादा बिगड़ जाने को लेकर सोनिया गांधी ने सवाल किया है - 72 घंटे में कोई कार्रवायी क्यों नहीं हुई? अर्ध-सैनिक बलों की तैनाती क्यों नहीं हुई?
दिल्ली जल रही है और राजनीतिक जंग शुरू हो चुकी है
सोनिया गांधी का आरोप है कि दिल्ली और केंद्र की दोनों सरकारों ने अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभायी, इसलिए राजधानी में ऐसे हालात पैदा हो गये. CWC की तरफ से ही सोनिया गांधी ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से 5 सवाल भी पूछे हैं -
1. रविवार से देश के गृह मंत्री कहां थे - और क्या कर रहे थे?
2. रविवार से दिल्ली के मुख्यमंत्री कहां थे - और क्या कर रहे थे?
3. दिल्ली चुनाव के बाद इंटेलिजेंस एजेंसी की तरफ से क्या जानकारी दी गई - और उन पर क्या कार्रवाई हुई?
4. रविवार की रात से कितनी पुलिस फोर्स दंगों वाले इलाकों में लगाई गई? जबकि ये साफ था कि दंगे और ज्यादा फैलने वाले हैं.
5. जब दिल्ली में हालात बेकाबू हो गए थे, पुलिस का कंट्रोल नहीं बचा था, तब तुरंत एक्शन की जरूरत थी. उस वक्त अतिरिक्त सुरक्षा फोर्स लगानी चाहिए थी ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके. शांति कमेटी बनाई जानी चाहिए थी, ताकि कोई और ऐसी घटना ना हो. सीनियर अफसरों को हर जिले में लगाने चाहिए थे ताकि स्थिति से निपटा जा सके. मुख्यमंत्री को प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों से बात करनी चाहिए थी - ऐसा क्यों नहीं हुआ?
शाह पर हमला बोल सोनिया गांधी ने गलती कर दी
सोनिया गांधी के अमित शाह का इस्तीफा मांगते ही सबसे पहले केंद्रीय मंत्री और दिल्ली चुनावों के प्रभारी रहे प्रकाश जावड़ेकर और फिर रविशंकर प्रसाद का बयान आया - और दोनों के जवाबी हमले का लहजा एक जैसा ही रहा.
प्रकाश जावड़ेकर ने माइक के सामने बैठते ही सोनिया गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री के उस बयान की याद दिलायी जिसमें उन्होंने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है. ये बयान राजीव गांधी ने तब दिया था जब 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे. कई कांग्रेस नेताओं पर दंगे भड़काने के आरोपी रहे हैं और सज्जन कुमार तो जेल की सजा भी काट रहे हैं. जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं को तो अब सार्वजनिक मंचों से कांग्रेस नेता दूर ही रखते हैं - और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी जब तब विरोधियों के निशाने पर आ ही जाते हैं.
प्रकाश जावड़ेकर ने सोनिया गांधी के बयान की आलोचना की और दुर्भाग्यपूर्ण बताया. फिर बोले - 'जिनके हाथ सिखों के नरसंहार से रंगे हों, वो अब यहां हिंसा को रोकने की सफलता और असफलता की बात करते हैं... उस समय हिंसा का समर्थन किया था... कांग्रेस प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है - ऐसी पार्टी सरकार से जवाब पूछने के लिए आती है तो आश्चर्य होता है.'
प्रकाश जावड़ेकर ने ये भी कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाये थे. आम चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर खूब बहस हुई थी - और दिल्ली चुनाव के दौरान भी बीजेपी नेताओं की रैलियों में ये मुद्दा उठाया गया.
हो सकता है हाल फिलहाल राहुल गांधी के बयानों पर बवाल मचने के चलते खुद मोर्चा संभालने का फैसला किया हो - क्योंकि दिल्ली चुनावों के दौरान राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'डंडा मार' बयान पर खूब विवाद हुआ था. उससे पहले 'सावरकर' और 'रेप इन इंडिया' वाले राहुल गांधी के बयान को लेकर भी खूब बवाल मचा था.
बेशक सोनिया गांधी ने दिल्ली हिंसा को लेकर अपनी बात रखने का फैसला किया और वो जरूरी भी था, लेकिन ऐसा लगता है जैसे सलाहकारों ने बगैर सोचे समझे बयान तैयार कर दिया हो. सोनिया गांधी ने दिल्ली के हालात चिंता और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जतायी है, ये अच्छी बात है. सोनिया गांधी ने अरविंद केजरीवाल की मौके से गैरमौजूदगी पर सवाल उठाया है उसमें भी कोई दिक्कत वाली बात नहीं है - लेकिन अमित शाह का इस्तीफा मांग कर वो बर्रे के छत्ते में हाथ डाल चुकी हैं.
कहीं और का मामला होता तो थोड़ा बहुत इधर-उधर चल भी जाता, लेकिन ये हिंसा दिल्ली में हो रही है - और 84 के दंगे भी दिल्ली में ही हुए थे. जब भी सिख दंगों की चर्चा छिड़ती है पीड़ितों के जख्म हरे हो जाते हैं और कांग्रेस को बचाव की मुद्रा में आना पड़ता है. 84 के दंगों को लेकर अरविंद केजरीवाल भी कांग्रेस पर हमलावर रहे हैं और एक बार तो वो बीजेपी को भी साथ में लपेट चुके हैं. केजरीवाल ने एक बार कहा था - अगर 84 के दंगा पीड़ितों को समय से इंसाफ मिल गया होता तो 2002 में गुजरात में दंगे नहीं हुए होते. हालांकि, अरविंद केजरीवाल अब संयम बरतने लगे हैं और दिल्ली हिंसा को लेकर उम्मीद जतायी है कि केंद्र सरकार हालात पर काबू पा लेगी.
बीजेपी नेता अब दिल्ली पीड़ित सिख परिवारों को इंसाफ दिलाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को देते हैं - और ऐसा होते ही कांग्रेस अपने आप निशाने पर आ जाती है. ऐसा लगता है कांग्रेस कार्यकारिणी में बैठे नेता सोनिया गांधी से बयान पढ़ा कर राहुल गांधी की तरह ही फंसा रहे हों.
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