मेट्रोमैन श्रीधरन ने बीजेपी से जुड़े कई भ्रम एक झटके में तोड़ दिये
मेट्रोमैन ई. श्रीधरन (E Sreedharan) की राजनीति में एंट्री ने 'मार्गदर्शक मंडल' सहित बीजेपी से जुड़ी कई धारणाओं पर पड़ा परदा उठा दिया है - केरल (Karala Election) में बीजेपी (BJP) का चेहरा होने के संकेत देकर श्रीधरन ने कुछ धुंधली तस्वीरें भी साफ कर दी है.
-
Total Shares
ये ई. श्रीधरन (E Sreedharan) ही हैं जो उम्र के इस पड़ाव पर बिलकुल नया प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं - पॉलिटिक्स. ई. श्रीधरन फिलहाल बीजेपी के ट्रायल रन वाले फेज से ही गुजर रहे हैं, लेकिन खुद के साथ साथ बीजेपी को लेकर भी ई. श्रीधरन ने बहुत कुछ काफी पहले ही साफ कर दिया है.
देश और दुनिया भर में मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई. श्रीधरन सार्वजनिक तौर पर केरल में बीजेपी की विजय यात्रा के दौरान शामिल होंगे. ये यात्रा केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन के नेतृत्व में 21 फरवरी को कासरगोड से शुरू होगी.
भगवा धारण करने से पहले ही ई. श्रीधरन ने PTI और बीबीसी से बातचीत में अपने साथ साथ बीजेपी के भी इरादे काफी हद तक साफ कर दिये हैं - मेट्रो मैन का कहना है कि अगर बीजेपी (BJP) चाहेगी तो वो केरल विधानसभा चुनाव (Karala Election) लड़ेंगे और कहा जाएगा तो मुख्यमंत्री का पद भी संभाल सकते हैं. मतलब, तैयारी पूरी है लेकिन ये सब हैरान भी करता है, खासकर पश्चिम बंगाल चुनाव के मद्देनजर.
ये भी काफी अजीब लगता है कि पश्चिम बंगाल से पहले ही बीजेपी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा सामने आ गया - वो भी तब जबकि बीजेपी नेतृत्व केरल और तमिलनाडु में अभी पांच साल बाद सरकार बनाने के बारे में सोच रहा है. दोनों राज्यों को लेकर अमित शाह के बीजेपी कार्यकर्ताओं को दिये संदेश से तो यही लगता है.
केंद्र की सत्ता में बीजेपी की वापसी कराने के काफी पहले से ही अमित शाह पश्चिम बंगाल और केरल में सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. 2019 के आम चुनाव में पश्चिम बंगाल के नतीजों ने बीजेपी का जोश हाई कर दिया, लेकिन केरल में कुछ खास नजर नहीं आया तो खामोशी सी अख्तियार कर ली.
88 साल की उम्र में बीजेपी के साथ राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे ई. श्रीधरन ने बीजेपी को लेकर उन आम धारणाओं पर पड़ा परदा भी हटा दिया है जिन्हें अभी तक मार्गदर्शक मंडल जैसे नामों से जाना जाता रहा है.
मार्गदर्शक मंडल सबके लिए तो नहीं है
बीजेपी के सबसे सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी को जब मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया उस वक्त उनकी उम्र अभी के ई. श्रीधरन से भी एक साल कम थी. वैसे उम्र में लालकृष्ण आडवाणी से ई. श्रीधरन पांच साल छोटे भी हैं.
2014 में केंद्र की सत्ता पर कब्जे के साथ ही बीजेपी में एक मार्गदर्शक मंडल का गठन किया गया था - और उसमें लालकृष्ण आडवाणी के साथ साथ डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को भेज दिया गया. तब ये बताया गया कि मार्गदर्शक मंडल का काम उसके नाम के मुताबिक ही होगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं देखने को मिला. हां, 2015 में जब दिल्ली के बाद बीजेपी बिहार चुनाव भी बुरी तरह हार गयी तो मार्गदर्शक मंडल से गुस्से के इजहार के साथ एक बयान जरूर जारी किया गया - और वो मार्गदर्शक मंडल की आखिरी अंगड़ाई साबित हुई.
2019 के चुनाव में तो लालकृष्ण आडवाणी को लोक सभा भी नहीं जाने दिया गया. लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काट कर गांधी नगर से अमित शाह चुनाव लड़े और संसद पहुंच कर गृह मंत्री का कार्यभार संभाल लिया. ध्यान रहे लालकृष्ण आडवाणी के पास भी अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में गृह मंत्रालय की ही जिम्मेदारी रही और उनको प्रमोशन देकर उप प्रधानमंत्री बना दिया गया था.
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हाशिये पर भेजे जाने वाले नेताओं में आडवाणी और जोशी के अलावा जसवंत सिंह, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा जैसे नेता भी रहे जिनमें से कुछ बीच बीच में अपनी मौजूदगी का अहसास भी कराते रहते हैं. अरुण शौरी जहां आम चुनाव के दौरान विपक्षी खेमे के साथ एक्टिव दिखे वहीं यशवंत सिन्हा ने बिहार चुनाव में काफी हद तक खुद को आजमाया भी. नतीजे तो पहले से मालूम होंगे ही.
पश्चिम बंगाल का तो नहीं मालूम, लेकिन केरल में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार मेट्रो मैन ई. श्रीधरन होंगे
बीजेपी में उम्रदराज एक्टिव नेताओं में अब तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ही नजर आते रहे, लेकिन उनसे 10 साल से भी ज्यादा बड़े ई. श्रीधरन ने तो मेट्रो की स्पीड से पीछे छोड़ दिया है. अगर कहीं केरल में बीजेपी सत्ता में आ गयी और ई. श्रीधरन मुख्यमंत्री बन गये तो वो सबसे बुजुर्ग सीएम होंगे.
देखा जाये तो ई. श्रीधरन ने ये तो साबित कर ही दिया है कि मार्गदर्शक मंडल तो महज नाम दिया गया था. असल में तो वो सिर्फ और सिर्फ आडवाणी-जोशी को मुख्यधारा से दूर करने की कवायद रही - और ई. श्रीधरन ने ये सब साबित कर दिया है.
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर प्रयोग जारी है
अव्वल तो बीजेपी की तरफ से पहले पश्चिम बंगाल को लेकर मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा सामने आना चाहिये था, लेकिन उससे पहले केरल से नाम सामने आ चुका है.
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर काफी कन्फ्यूज किया था. तब दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के मुकाबले अमित शाह कई मौकों पर पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को प्रोजेक्ट करते देखे गये थे. हालांकि, 2015 में बीजेपी ने बाहर से किरण बेदी को बुलाकर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था और काफी नुकसान उठाना पड़ा. वैसे ज्यादा नुकसान से बचने के लिए ही किरण बेदी को अभी अभी पुडुचेरी के उप राज्यपाल के पद से भी चुनावों के ऐन पहले हटा दिया गया है. 2016 में बीजेपी ने असम चुनाव में पहले से ही सर्बानंद सोनवाल को सीएम फेस के तौर पर पेश कर दिया था, लेकिन वही साल भर बाद 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में कोई चेहरा नहीं घोषित किया - हो सकता है बीजेपी कोई चेहरा घोषित कर फिर से मुसीबत नहीं मोल लेना चाह रही हो. ये तो सच है कि पश्चिम बंगाल को लेकर बीजेपी को जो उम्मीदें हैं वे केरल को लेकर तो कतई नहीं होंगी.
ई. श्रीधरन को लेकर बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अभी नहीं दी गयी है, लेकिन अगर ई. श्रीधरन खुद ही ऐसी बातें कर रहे हैं तो वो अपने मन से तो करेंगे नहीं, ये तो मान कर चलना होगा. बीजेपी प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने ई. श्रीधरन का स्वागत जरूर किया है.
Welcome #padmashri #padmavibhushan Shri.E Sreedharan to BJP family.His track record speaks for itself,a man of impeccable character& integrity.His expertise&experience will help fast track Kerala's development.@narendramodi @AmitShah @JPNadda @blsanthosh @BJP4India @BJP4Keralam pic.twitter.com/vFfQX2MF1g
— ????????Tom Vadakkan (@TomVadakkan2) February 19, 2021
बीबीसी हिंदी से बातचीत में ई. श्रीधरन का कहना रहा, 'मैंने बीजेपी ज्वाइन कर ली है और पार्टी चाहती है कि मैं विधानसभा का चुनाव लड़ूं - अभी विधानसभा सीट तय नहीं हुई है.'
साथ ही, न्यूज एजेंसी पीटीआई को ई. श्रीधरन ने बताया कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो विधानसभा चुनाव लड़ेंगे - और पार्टी कहेगी तो मुख्यमंत्री का पद भी संभाल सकते हैं.
बीबीसी के ये ये पूछने पर कि केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्ता में आने की उम्मीद कितनी है, ई. श्रीधरन कहते हैं, 'बीजेपी सत्ता में आ सकती है. जब मैंने बीजेपी ज्वाइन की है तो ढेरों लोग बीजेपी को ज्वाइन करेंगे, समर्थन करेंगे. वे लोग जानते हैं कि किस प्रशासन में सुधार हो सकता है. यहां शासन व्यवस्था पंगु हो चुकी है. यहां एक अच्छी सरकार की ज़रूरत है - और बीजेपी एक स्थायी सरकार देने में सक्षम है.'
PTI से ई. श्रीधरन ने कहा, ‘मेरा मुख्य मकसद बीजेपी को केरल में सत्ता में लाना है. अगर बीजेपी केरल में चुनाव जीतती है तो तीन-चार ऐसे क्षेत्र होंगे जिन पर हम ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं - इसमें बड़े स्तर पर आधारभूत संरचना का विकास और राज्य में उद्योगों को लाना शामिल है.’
पांव जमाने के लिए भी चेहरे का टोटा है
बीजेपी के ब्रांड मोदी की चमक फीकी नहीं पड़ी है, बल्कि इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे से पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का मुकाबला अब भी देश में कोई भी नेता नहीं कर पा रहा है. मोदी को लगातार चैलेंज करने वाले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी काफी पीछे हैं और कांग्रेस की कमान संभाल रहीं सोनिया गांधी तो बेटे से भी पीछे नजर आ रही हैं.
ब्रांड मोदी उत्तर भारत में तो चल जाता है, लेकिन उसके अलावा बीजेपी को क्षेत्रीय स्तर पर एक सपोर्ट सिस्टम की कमी खलती रही है - पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु तीनों ही राज्यों में जहां विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, बीजेपी लोकल करिश्माई चेहरों के लिए परेशान रही है.
पश्चिम बंगाल में लग रहा था कि बीजेपी बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को लेकर मन ही मन विचार कर चुकी है, लेकिन उनकी खराब सेहत के चलते फिलहाल मामला होल्ड हो गया लगता है. चेहरे की तलाश में तो संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर से मुंबई मिथुन चक्रवर्ती से मिलने पहुंच जाते हैं - और चेन्नई जाकर भी अमित शाह को सुपरस्टार रजनीकांत से मिले बगैर ही लौटना पड़ता है.
इन्हें भी पढ़ें :
बंगाल ही क्यों मोदी-शाह के मिशन-2021 में केरल से तमिलमाडु तक हैं
ममता बनर्जी बनाम मोदी के मुकाबले में 'राम कार्ड' कौन और किसे दिखा रहा है?
Rihanna के लिए तो कंगना ही काफी हैं, अमित शाह ने फालतू में एक Tweet खर्च कर दिया
आपकी राय