स्टेचू ऑफ यूनिटी पर उमड़ी भीड़ ने उसके कद को न्याय दिला दिया
जो लोग सरदार पटेल की प्रतिमा पर उंगली उठा रहे थे, उन्हें पिछले 10 दिनों में स्टेचू ऑफ यूनिटी पर उमड़ी लोगों की भीड़ को देखकर ही जवाब मिल गया होगा.
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पिछले ही महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की मूर्ति स्टेचू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया था. मोदी सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल को उनके कामों के बदले उन्हें एक पहचान देने के लिए दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति लगाई, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है. लेकिन बहुत से लोग हैं, जिन्होंने लौह पुरुष की इस विशाल मूर्ति का विरोध किया. कहा गया कि इतनी विशालकाय मूर्ति को बनाने में जितने पैसे खर्च किए, उतने में तो लोगों के भले के बहुत सारे काम हो सकते थे. लेकिन स्टेचू ऑफ यूनिटी को लोगों के लिए खोले जाने के दस दिनों में जिस तरह लोगों की भीड़ उमड़ी है, उससे सरदार पटेल की प्रतिमा पर उंगली उठा रहे लोगों को जवाब मिल गया है.
सरदार पटेल की प्रतिमा देखने के लिए कैसी भीड़ उमड़ी, ये दो तस्वीरें बयां कर रही हैं.
भीड़ ने बना दिया रिकॉर्ड
पीएम मोदी ने 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की मूर्ति का अनावरण किया और 1 नवंबर से उसे आम जनता के लिए खोल दिया गया. स्टेचू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए हर रोज हजारों लोग पहुंच रहे हैं और अब तक करीब 1.8 लाख लोग पटेल की प्रतिमा देख चुके हैं और उनसे सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट की कुल मिलाकर करीब 2.1 करोड़ रुपए की कमाई हो चुकी है. शनिवार को महज एक दिन में ही 27,000 लोग मूर्ति देखने पहुंचे. मूर्ति देखने के लिए लोगों की ऐसी भीड़ उमड़ी कि 10 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम तक लग गया. दिवाली के दिन यहां 16 हजार पर्यटक आए थे और भाई दूज के दिन 20 हजार, लेकिन शनिवार को तो संख्या 27 हजार पहुंच गई. रविवार को 33,576 लोगों ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखा, हालांकि, इसमें से सिर्फ 10,361 लोग ही गैलरी देख सके, क्योंकि गैलरी की क्षमता सिर्फ 5000 तक की है, जबकि लोग 33 हजार हो गए थे. महज एक दिन में ही टिकट से 33,62,860 रुपए की कमाई हुई. लोगों की भीड़ कितनी तेजी से उमड़ी है, इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं स्टेचू ऑफ यूनिटी के साथ बनी टेंट सिटी के सारे टेंट पहले ही बुक हो चुके हैं. आपको बता दें कि इस टेंट सिटी में करीब 250 टेंट हैं.
शनिवार को महज एक दिन में ही 27,000 लोग मूर्ति देखने पहुंचे.
दिवाली के चलते उमड़ी है भीड़
सरदार पटेल की मूर्ति देखने वालों की जो भीड़ उमड़ी है, उसका सबसे बड़ा कारण है दिवाली की छुट्टी. इस मूर्ति को देखने आने वालों में अधिकतर लोग गुजरात के ही हैं. दिवाली की छुट्टी के दौरान गुजरात में शहरों में दुकानें तक बंद रहती हैं और लोग दिवाली की छुट्टी मनाने के लिए कहीं घूमने चले जाते हैं. दिवाली की छुट्टी होने के चलते काम-धंधे बंद हैं और लोग खाली हैं. ऐसे में लोग अपने शहर से बाहर घूमने के लिए निकल रहे हैं. अब जब दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का हाल ही में उद्घाटन हुआ हो, वो भी कहीं आस-पास तो कौन उसे देखना नहीं चाहेगा. यही वजह है कि लोग अपनी छुट्टी का इस्तेमाल करते हुए सरदार पटेल की मूर्ति देखने जा रहे हैं, जिसकी वजह से भीड़ काफी बढ़ जा रही है. आपको बता दें इन छुट्टियों के दौरान शहरों में सारी दुकानें बंद हो जाती हैं और यूं लगता है मानो कर्फ्यू लग गया हो. सरदार पटेल की मूर्ति देखने उमड़ी लोगों की भीड़ का एक वीडियो भाजपा ने ट्वीट भी किया है.
Just a week after the inauguration of #StatueOfUnity, people are coming in huge number to see the World's tallest statue of Sardar Patel Sahab. pic.twitter.com/VvIJfon5wt
— BJP (@BJP4India) November 8, 2018
50 लाख से अधिक की कमाई
स्टेचू ऑफ यूनिटी को बनाने में कुल 2989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इस मूर्ति का विरोध सबसे अधिक तो इसी वजह से हो रहा था कि इसमें सरकार ने पैसे बर्बाद कर दिए हैं, लेकिन जितनी तेजी से इस मूर्ति की वजह से कमाई हो रही है, वह हैरान करता है. महज 10 दिनों में मूर्ति देखने आए पर्यटकों से 50 लाख रुपए से भी अधिक की कमाई हो चुकी है. हालांकि, दिवाली की छुट्टी होने की वजह से इतनी अधिक कमाई हुई है. माना जा रहा है कि छुट्टियां खत्म होने के बाद कमाई में भी कमी आ जाएगी. आपको बता दें कि मूर्ति के साथ-साथ इसमें करीब 135 मीटर की ऊंचाई पर बनी गैलरी देखने के लिए 350 रुपए का टिकट लगता है.
रोजगार भी पैदा कर रही है मूर्ति
इस मूर्ति की वजह से आस-पास के लोगों को रोजगार भी मुहैया हुआ है. बहुत से लोग तो मूर्ति के रख-रखाव में ही रोजगार पा रहे हैं, जबकि आस-पास की दुकानें और होटल यहां आने वाले पर्यटकों से खूब कमा रहे हैं. आलम ये है कि इन दिनों आस-पास के इलाकों के सारे होटल पूरी तरह से बुक हो चुके हैं. यानी इस मूर्ति की वजह से सरकार की तो कमाई हो ही रही है, साथ ही रोजगार भी पैदा हो रहा है.
क्या कहकर हो रहा था विरोध?
विरोध की सबसे बड़ी वजह थी इस मूर्ति को बनाने में खर्च की गई राशि, जो 2989 करोड़ रुपए है. भारत जैसे देश में, जहां लाखों बच्चे भूख और गरीबी से हर साल मर जाते हैं, उस देश के लिए ये बहुत बड़ी रकम है. तर्क था कि इस पैसे से स्कूलों या अस्पतालों की चेन बनाई जा सकती थी, जिन्हें सरदार पटेल का नाम दिया जा सकता था. पटेल के नाम पर इन पैसों का इस्तेमाल करके सड़कों का जाल बिछाया जा सकता था. या फिर उनके नाम पर फूड सिक्योरिटी स्कीम लाकर भी उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सकती थी. इंडियास्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार जितना बजट स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का है, उतने में तो दो नए आईआईटी कैंपस, दो एआईआईएमएस कैंपस, 5 नए स्थायी आईआईएम कैंपस, 5 नए सोलर पावर प्लांट या 6 मंगल ग्रह पर जाने के मिशन किए जा सकते थे. लेकिन स्टेचू ऑफ यूनिटी की कमाई देखकर ये कहा जा सकता है कि पैसे भले ही खर्च हुए हैं, लेकिन उससे कमाई भी हो रही है.
गुजरात सरकार बार-बार ये घोषणा कर रही है कि एक दिन 5000 से अधिक लोग गैलरी नहीं देख सकते हैं, इसलिए उसी हिसाब से टिकट बुक कराएं. आपको बता दें कि 135 मीटर की ऊंचाई पर बनी इस गैलरी में एक बार में सिर्फ 200 लोग ही खड़े हो सकते हैं. यानी दिनभर में 5000 से अधिक लोग गैलरी नहीं देख सकते हैं, जबकि वहां आने वाले लोगों की संख्या इससे कई गुना अधिक है. जब से सरदार पटेल की मूर्ति का अनावरण हुआ है, तब से विपक्ष की तरफ से मोदी सरकार की आलोचना हो रही है, लेकिन लोगों की उमड़ी भीड़ स्टेचू ऑफ यूनिटी के कद को न्याय दिलाने का काम कर रही है.
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