बिहार के लाल को नशेड़ी साबित करने वालों की सियासी ओवरडोज घातक होगी!
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Death) के बाद सुर्ख़ियों में आए बिहार (Bihar) के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (DGP Gupteshwar Pandey) वीआरएस ले चुके हैं और नेता बनने वाले हैं. माना जा रहा है कि पांडे अपने राजनीतिक गुरु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के राइट हैंड बनकर उनकी ताकत बनेंगे.
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सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Death) के प्रकरण में वर्दी में नेतागिरी करने वाले डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (DGP Gupteshwar Pandey) अब नेता बनेंगे. उनके इरादे कल तक गुप्त थे, आज जगजाहिर हो गये हैं. विरोधी आरोप लगा रहे थे कि भाजपा-जदयू (BJP-JDU) सुशांत की मौत पर सियासत कर रहे हैं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के ख़ासमख़ास गुप्तेश्वर पांडे ने इन आरोपों को सच के क़रीब ला दिया. ख़ाकी से खादी का सफर तय करने वाले पांडे जी मौत की पिच पर सियासी खेल के बड़े खिलाड़ी साबित हो गये. वीआरएस (VRS) लेने के बाद अब ये बिहार चुनाव में ना सिर्फ एनडीए गठबंधन के जदयू प्रत्याशी होंगे बल्कि अपने राजनीतिक गुरू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राइट हैंड बनकर उनकी ताकत बनेंगे. ब्राह्मण चेहरा बन कर चुनाव मेें स्टार प्रचारक बन कर ये अपनी वाक दक्षता के गुण भी दिखायेंगे. इन सबके बावजूद डर है कि मौत पर सियासत का ये गेम लाभ के बजाय नुकसानदायक साबित ना हो जाये.
मरणोपरांत सुशांत राजपूत और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गये थे. इस दिवंगत सिने अभिनेता को लेकर लोगों में हमदर्दी के भाव थे. संघर्ष करके बड़ा मुकाम हासिल करने वाले बिहार के इस बेटे की मौत का सबको ग़म था. लेकिन जब बिहार सरकार ने मुंबई पुलिस पर दबाव बनाया और ममला सीबीआई और तमाम एजेसियों के सुपुर्द पंहुचा तब बहुत कुछ बदल गया. सुशांत की मौत की जिस जमीन पर जहां बिहार चुनाव में एनडीए गठबंधन की चुनावी फसल लहलहाना थी, वो जमीन ही खिसक गई.
सुशांत मौत पर सियासत के आरोप को खुद गुप्तेश्वर ने सही साबित कर दिया
जांच के शुरुआती संकेतों में हीरो सुशांत की छवि जीरो हो गई. मौत के बाद मुंबई पुलिस ने जिस बात को नजरअंदाज कर दिया था उसे बिहार और केंद्र सरकार के दबाव में कुरेदा गया तो सुशांत नशेड़ी/ड्रग एडिक्ट साबित होते गये. बिहार के गौरव का ये फूल मुरझा गया.
अभिनेता सुशांत राजपूत की मौत को सियासी बनाने में बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की अहम भूमिका थी. इस मामले में उनकी सक्रियता और बयानबाजी ने सुशांत, रिया और कंगना प्रकरण की सियासत को हवा दी. इस सियासी हवा ने तमाम रिश्तों के बीच चिंगारियों को शोलों में तब्दील कर दिया.
बिहारियों का महाराष्ट्र में रोज़गार का रिश्ता रहा है. इस विवाद ने इस रिश्ते की बदमजगी को बढ़ा दिया. शिवसेना और भाजपा के बीच भविष्य में टूटे रिश्ते जुड़ने की संभावना पर विराम लगा दिया. सदी के महानायक और बॉलीवुड के बड़े धड़े को ट्रोल करने वाली टोलियों द्वारा बेवजह मोदी सरकार विरोधी साबित करने का माहौल पैदा कर दिया. अभिनेता सुशांत राजपूत बिहार की शान थे. छोटे शहर से निकल कर एक नौजवान बिना किसी सपोर्ट के अपनी प्रतिभा के बूते पर मुंबई की भव्य मुंबई फिल्म नगरी में अपनी पहचान बनाता है.
दुर्भाग्य कि वो आत्महत्या कर लेता है. प्राथमिक तफ्तीश में मुंबई पुलिस को संकेत मिल रहे हैं कि मृतक ड्रग लेता था. ये माना जा रहा है कि मौत के बाद कोई बदनाम ना हो, इस मानवीय दृष्टि से मुंबई पुलिस ने नशे वाला खुलासा नहीं किया था. इधर बिहार चुनाव नज़दीक था इसलिए बिहारी सुशांत राजपूत की आत्महत्या को भाजपा और जदयू ने सियासी मुद्दा बना लिया. कल तक जो सुशांत हीरो और आइडियल था, इस मुद्दे की आंधी ने बिहार के इस लाल को नशेड़ी साबित कर दिया.
अब आप खुद सोचिए कि जिनके आइडियल हीरो को जिन लोगों ने मौत के बाद नशेड़ी साबित किया, बिहार की जनता क्या उनका साथ देगी?
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