योगी आदित्यनाथ की फिल्म सिटी से क्या हो पाएगा बॉलीवुड का समुंद्र मंथन?
फिल्म इंडस्ट्री पर तमाम गंभीर आरोप लगे हैं उक्त आरोपों से कुछ फिल्मीं हस्तियां सहमत हैं और कुछ असहमत. जो असहमत हैं वो मुंबई फिल्म नगरी (Mumbai Film City) में काम करते रहेंगे और जो सहमत हैं वो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की प्रस्तावित पवित्र फिल्म सिटी को बसाने मुंबई (Mumbai) से यूपी (UP) चले आ सकते हैं.
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दाऊद और दाऊद जैसे आतंकवादियों की कठपुतली बनी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री (Mumbai Film Industry) को आक्-थू कहकर राष्ट्रवादी फिल्मी हस्तियां योगी की यूपी वाली फिल्म सिटी (Film City) में प्रवेश कर सकती हैं. ड्रग्स, बाबर, नारी शोषण, भाई-भतीजवाद और परिवारवाद वाली मुंबइया इंडस्ट्री में राष्ट्रद्रोही शौक़ से रहें. अभिनेत्री कंगना (Kangana Ranaut) की मानें तो मुंबई पीओके है. यहां की फिल्म इंडस्ट्री में मुगलिया और तुगलकी फरमान चलते हैं. एक धर्म विशेष का वर्चस्व और कब्ज़ा है. दाऊद और तमाम आतंकवादियों के इशारे पर नाचती है ये इंडस्ट्री. गांजा, चरस, अफीम और तमाम प्रतिबंधित नशे यहां आम हैं. बॉलीवुड की गोद में अरबों-खरबों रुपये का ड्रग्स का कारोबार फलता फूलता है. उक्त आरोपों से कुछ फिल्मीं हस्तियां सहमत हैं और कुछ असहमत. जो असहमत हैं वो मुंबई फिल्म नगरी में काम करते रहेंगे और जो सहमत हैं वो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की प्रस्तावित पवित्र फिल्म सिटी को बसाने मुंबई (Mumbai) से यूपी (UP) चले आ सकते हैं.
कंगना की बातों के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में फिल्म सिटी बनवाने की कवायद तेज कर दी है
पूरी फिल्म बिरादरी दो ख़ेमों में बंट चुकी है. कंगना के आरोपों से सहमत एक फिल्मी जमात सांसद/अभिनेत्री जया बच्चन के तर्क से नाराज हुई. राज्य सभा की चर्चा में सांसद जया बच्चन ने कहा था कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद कर रहे हैं. जया के इस आरोप से असहमत लोगों ने ये भी कहा कि थाली इतनी गंदी हो गई है कि इसे पटक-पटक कर साफ करना होगी.
ऐसे में इसमें छेद भी हो जाये तो कोई दूसरा विकल्प खोज लेंगे. थाली पर गंदगी की पर्ते अब नहीं जमने देंगे. इन तमाम तर्क-वितर्क को समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बेहतरीन विकल्प तैयार किया है. यूपी में एक पवित्र फिल्म सिटी का निर्माण होगा. जाहिर सी बात है कि यहां के पवित्र फिल्म उद्योग में गंजेड़ी-चरसी या किसी भी ड्रग्स एडिक्ट को घुसने नहीं दिया जायेगा.
उम्मीद है कि सारी जांच पड़ताड़ के बाद ही नशा मुक्त फिल्मी हस्तियों को यूपी फिल्म सिटी में सरवाइव करने का मौका दिया जायेगा.आरोप लगते रहे हैं कि कांग्रेस सरकारों में पार्टीवाद के तहत कांग्रेसी कलाकारों को ही बड़े अवसर मिलते थे, सम्मान मिलते थे और इन्हें प्रोत्साहित किया जाता था. जो कलाकार कांग्रेस और कांग्रेस सरकारों का गुणगान करते थे या जिनके परिजन कांग्रेस से जुड़े थे उनपर राष्ट्रीय पुरस्कार तक लुटाये जाते थे.
अभिनेत्री शर्मीला टैगोर कांग्रेसी थीं इसलिए उन्हें फिल्म सेंसर बोर्ड का चेयरपर्सन बनाया गया था. उनके पुत्र सैफ अली ख़ान का अभिनय बेमिसाल नहीं था तब भी कांगेस सरकार ने जब उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया तो लोगों ने सवाल उठाये थे. इसी तरह कंगना रनौत का परिवार कांग्रेसी रहा. कंगना खुद कहतीं थी कि मेरा रिकार्ड अच्छा नहीं है. मैं ड्रग्स से जुड़ी रही.
इसके बाद भी कांग्रेस सरकार ने तमाम कलाकारों को नजरअंदाज कर कांग्रेसी परिवार की अभिनेत्री कंगना रनौत पर राष्ट्रीय पुरस्कारों की बारिश कर दी.यूपी की फिल्म सिटी को ड्रग्स के नशे, भाई-भतीजवाद, पार्टीवाद, विचारधारावाद, चाटूकारितावाद से दूर रखना होगा तभी ये एक पवित्र विकल्प साबित होगा.मुंबई फिल्म नगरी की तमाम गंदगियों से दूर यूपी फिल्म सिटी पवित्र कला के व्यवसायिक मापदंड तय करेगा, ऐसी आशा सब को है.
लेकिन बुनियादी तस्वीर में कुछ और ही नजर आ रहा है. फिल्म सिटी के निर्माण की योजना पर विमर्श के लिए योगी सरकार ने ज्यादातर उन फिल्मी हस्तियों को बुलाया जिनके बयान सुनकर लोग कहते हैं कि ये लोग भाजपा के प्रचारतंत्र का हिस्सा हैं. कुछ आरोप लगाते हैं कि कोई पद पाने के लिए ये लोग सत्ता की चाटूकारिता करते हैं. अब इन्हें सिला मिलेगा. संभावित नई फिल्म सिटी इन्हें काम, ओहदा, रुतबा और सरकारी सब्सिडी देगी.
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