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Updated: 28 सितम्बर, 2020 02:14 PM
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बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पक्ष में लड़ाई को एकतरफा बनाने की कोशिश की जा रही है. नीतीश कुमार की टीम के साथ इसमें बीजेपी भी पूरा सपोर्ट कर रही है - और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोर्चा संभाल लिया है. एनडीए उम्मीदवार नीतीश कुमार के मुकाबले महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) टिक न सकें, इसके लिए बीजेपी धीरे धीरे अपनी ताकत झोंकने लगी है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाये जाने के बाद अब बीजेपी के युवा कमांडो तेजस्वी सूर्या भी पटना पहुंच रहे हैं. तेजस्वी सूर्या को बीजेपी के युवा मोर्चा की कमान अभी अभी सौंपी गयी है.

तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं की अगली कतार में देखे जा रहे हैं. बिहार चुनाव में बेंगलुरू साउथ के सांसद को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को काउंटर करने के मकसद से बुलाया जा रहा है - बीजेपी को मालूम होना चाहिये कि प्रधानमंत्री मोदी तो नीतीश कुमार के मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन बाकी बाहरियों पर ज्यादा भरोसा किया तो दिल्ली चुनाव का हाल होते देर नहीं लगेगी!

तेजस्वी यादव को घेरने की BJP की तैयारी

नीतीश कुमार को चुनौती देने के लिए तेजस्वी यादव तरह तरह की तरकीबें आजमा रहे हैं. जंगलराज के लिए माफी मांगने के बाद फेमिली पॉलिटिक्स की तोहमत से बचाव के लिए तेजस्वी यादव ने आरजेडी के पोस्टर से लालू यादव और राबड़ी देवी के साथ साथ तेज प्रताप यादव और मीसा भारती को भी हटा दिया है. ऐसा करके तेजस्वी यादव बदलाव की नयी बयार का भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं - और अपनी तरफ युवाओं को खींचने के लिए भी हर जतन कर रहे हैं.

नीतीश कुमार ने हाल ही में दलितों की हत्या होने की सूरत में परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान किया था, जिस पर तेजस्वी यादव ने कड़ी आपत्ति जतायी थी. तभी तेजस्वी यादव ने कहा था कि नौकरी देने में युवाओं के साथ भेदभाव का कोई मतलब नहीं है, बल्कि रोजगार की सबको जरूरत है और वो मिलना चाहिये.

फिर नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार सरकार की तरफ से 5,50,246 योजनाओं में 14 लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन किया गया है - और औसतन रोजाना तकरीबन 10 लाख लोगों को काम मिल रहा है.

tejasvi surya, nitish kumar, tejashwi yadavतेजस्वी सूर्या बिहार में नीतीश कुमार के मददगार होंगे या दिल्ली जैसा हाल कराएंगे?

अब तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि अगर आरजेडी ने चुनाव जीता तो सरकार बनते ही कैबिनेट की पहली बैठक में पहली दस्तखत से 10 लाख नौकरियां निकाली जाएंगी. बिहार में 60 फीसदी से ज्यादा युवा आबादी है और लॉकडाउन के चलते 26 लाख युवा कामधाम छूट जाने की वजह से घर लौट आये हैं. तेजस्वी यादव ऐसे ही युवाओं पर फोकस कर रहे हैं.

आरजेडी की तरफ से एक बेरोजगार पोर्टल भी बनाया गया है जहां रजिस्टर करने वालों को तेजस्वी यादव के सत्ता में आने पर नौकरी पाने का मौका मिलेगा. आरजेडी के मुताबिक, बेरोजगार पोर्टल पर अब तक 9.47 लाख लोगों ने रजिस्टर किया है. मिस कॉल नंबर पर 13.11 लाख लोगों ने कॉल किया है और इस तरह 22.58 लाख लोग अपना बॉयोडाटा जमा कर चुके हैं. तेजस्वी यादव का कहना है कि 10 लाख में से तो आधे पद पहले से ही खाली पड़े हैं और बाकी जरूरत के हिसाब से तैयार किये जाएंगे.

RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने जेडीयू पर ये कहते हुए हमला बोला था कि वो युवाओं की बात कैसे करेंगे क्योंकि उनके यहां कोई युवा तो है नहीं. ध्यान रहे, नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को जेडीयू में उपाध्यक्ष बनाने के बाद उनको एक ही बड़ा काम सौंपा था - बिहार के युवाओं को जेडीयू से जोड़ने का. और कुछ नहीं तो प्रशांत किशोर ने पटना यूनिवर्सिटी में जेडीयू के युवा ब्रिगेड के कैंडीडेट को चुनाव तो जिता ही दिया था. ये बात अलग है कि प्रशांत किशोर के खिलाफ दूसरी चीजें भारी पड़ी और उनके बाहर होते ही वे काम भी ठप हो ही गये होंगे.

आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि तेजस्वी यादव युवा हैं और युवाओं का दर्द भी समझते हैं - और उनको पता है कि किस तरह से बिहार के युवा पलायन किये तो कैसी कैसी तकलीफें उठानी पड़ेंगी.

बीजेपी के युवा मोर्चा की कमान मिलने के बाद और बिहार कूच करने से पहले ही तेजस्वी सूर्या ने अपने तेवर दिखा दिये हैं. बिहार चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव के साथ साथ राहुल गांधी को भी टारगेट करते हुए तेजस्वी सूर्या ने कहा है कि वे लोग बेरोजगारी की बात कर रहे हैं जिन्होंने कभी नौकरी नहीं की - और न ही उनको पता है कि पहली सैलरी मिलने की खुशी क्या होती है. तेजस्वी सूर्या का कहना है कि ऐसे लोग युवराज हैं और उनको नहीं मालूम की नौकरी क्या होती है. तेजस्वी सूर्या कहते हैं कि उनके कई मित्र बिहार से हैं और वो जानते हैं कि वहां के लोग काफी मेहनती होते हैं - और उनकी मेहनत का फल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही दिला सकते हैं.

नीतीश के लिए मोदी का समर्थन काफी, बाकी बेकार है

मुख्यमंत्री नीतीश कु्मार को लेकर नया सर्वे बिहार चुनाव में बीजेपी को भी राहत देने वाला है. बीजेपी को अपने आंतरिक सर्वे में नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की रिपोर्ट मिली थी - और यही वजह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को लेकर काफी एक्टिव हो गये और चुनाव की तारीख आने से पहले कई उद्घाटन और ताबड़तोड़ घोषणाएं करने लगे थे. सी-वोटर के ताजा सर्वे के अनुसार बिहार के 57 फीसदी लोग नीतीश कुमार के कामकाज से नाखुश बताये जाते हैं, बावजूद इसके लोगों की मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद नीतीश कुमार ही बने हुए हैं. बिहार के 30.9 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया है - 15.4 फीसदी लोगों ने तेजस्वी यादव को, जबकि 9.2 फीसदी लोग सुशील मोदी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पसंद कर रहे हैं. सर्वे में पाया गया है कि अभी के हिसाब से एनडीए को बिहार चुनाव में 141-161 सीटें मिल सकती हैं, जबकि आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 64-84 सीटें मिलने का अनुमान है - अन्य उम्मीदवारों को 13-23 सीटें मिलने की संभावना जतायी गयी है. बिहार विधानसभा में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं.

नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को काटने में प्रधानमंत्री मोदी तो मददगार हो सकते हैं लेकिन बीजेपी अगर बाहर के नेताओं के भरोसे चलेगी तो दिल्ली की तरह लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

तेजस्वी सूर्या भी फायरब्रांड नेता इसीलिए कहलाते हैं क्योंकि वो कट्टर हिंदुत्व की बात करते हैं और मुस्लिम समुदाय को लेकर तीखे बयान देते हैं. वो हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण कराने में मददगार साबित जरूर हो सकते हैं, लेकिन क्या अब भी ये चीजें उतना ही मायने रखती हैं जितना रोजगार और नौकरी. वो भी लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाने के बाद - थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन जनता के मूड को कौन जानता है.

बीजेपी ने सुशांत सिंह राजपूत केस को देखते हुए महाराष्ट्र से देवेंद्र फडणवीस को बिहार बुलाया है और अब तेजस्वी यादव के युवा जोश को ठंडा करने के मकसद से तेजस्वी सूर्या पहुंच रहे हैं - हो सकता है जल्दी कंगना रनौत भी बिहार चुनाव में प्रचार करते देखने को मिलें. याद रहे, तेजस्वी सूर्या दिल्ली में भी बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं.

बीजेपी ने ऐसे ही प्रयोग दिल्ली चुनाव में किये थे. आखिर अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा की भी शोहरत तेजस्वी सूर्या जैसी ही तो रही है. वे सब भी तो तेजस्वी सूर्या की तरह ही जोशीले बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं. दिल्ली चुनाव में जोश में वे होश गंवा बैठे और शाहीन बाग के चक्कर में अरविंद केदरीवाल को ही आतंकवादी साबित करने पर आमादा हो गये.

अरविंद केजरीवाल को तो बस मौका चाहिये था. जैसे ही बीजेपी के जोश ब्रिगेड ने मौका दिया, अरविंद केजरीवाल ने एक ही बात तो कही थी - अगर आपको लगता है कि मैं आतंकवादी हूं तो वोटिंग वाले दिन बीजेपी के पक्ष में ईवीएम का बटन दबा देना. बस इतनी सी बात थी और पूरी बाजी पलट गयी. बाद में अमित शाह को भी मानना पड़ा कि खुद उनके बयान को राजनीतिक विरोधियों ने मुद्दा तो बनाया ही बीजेपी के जोशीले नेताओं की बयानबाजी भी भारी पड़ी.

बीजेपी के लिए वोट मांगने नीतीश कुमार भी तो गये थे और अमित शाह के साथ जिंदगी में पहली बार मंच भी शेयर किये थे - नतीजे आये तो मालूम हुआ अरविंद केजरीवाल के कैंडीडेट को पूरी दिल्ली में उसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट मिले थे.

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