योगी आदित्यनाथ सरकार का रिपोर्ट-कार्ड सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है
भले ही उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री सुशासन के लाख दावे कर लें मगर उन्नाव रेप केस पर सुनवाई के दौरान जो सुप्रीम कोर्ट का रुख रहा उसने योगी आदित्यनाथ के दावों की पोल खोल दी है और उनका रिपोर्ट कार्ड देश के सामने रख दिया है.
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भले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुशासन के लाख दावे कर लें मगर जो रिपोर्ट कार्ड उन्नाव रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ को सौंपा है उसने खुद ब खुद उन दावों को झूठा साबित कर दिया है. मामला प्रकाश में आने के बाद जिस तरह से अब तक जांच हुई और जैसे इस मामले में सूबे के मुखिया की कार्यप्रणाली और पुलिस का रवैया रहा उससे सर्वोच्च न्यायालय खासा असंतुष्ट नजर आया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने न सिर्फ इस केस को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने की बात कही. बल्कि पीड़ित लड़की और उसके परिवार के लिए 25 लाख रुपए की घोषणा करते हुए ये तक कहा कि अब इस पूरे मामले की सारी सुनवाई दिल्ली में होगी.
CJI द्वारा मामले के ट्रायल के लिए कोर्ट का 45 दिन का समय और एक्सीडेंट की जांच को 7 दिन में पूरा करने का निर्देश देना ये बता देता है कि मामले में ऐसी तमाम खामियां थीं जिसके कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनका निजाम शर्मसार हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी...
गौरतलब है कि पीड़िता के एक्सीडेंट से कुछ दिन पहले ही उसके परिजनों ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को पत्र लिखा था. 12 जुलाई को सीजेआई को लिखी इस चिट्ठी में पीड़ित परिवार की तरफ से इस बात का उल्लेख किया गया था कि किसी भी क्षण आरोपी विधायक के लोगों द्वारा उन्हें जान माल की हानि पहुंचाई जा सकती है. पत्र में सबसे दिलचस्प बात ये भी है कि परिवार ने धमकी देने संबंधी वीडियो भी सलंग्न करने की बात कही थी. चिट्ठी पीड़िता की मां, बहन और चाची (जिनकी उस एक्सीडेंट में मौत हो गई )ने लिखी थी. आपको बताते चलें कि पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी.
सुरक्षा: यूपी पुलिस नहीं, सीआरपीएफ
अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश या फिर अपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस जैसी बातें कहने वाली यूपी पुलिस उन्नाव मामले में लड़की के एक्सीडेंट के बाद से ही सवालों के घेरे में है. मामला प्रयास में आने के बाद न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट बल्कि सूबे के आम लोग तक यूपी पुलिस के काम करने के तरीके को शक की निगाह से देख रहे हैं, जिस कारण पूरा महकमा आलोचना और बयानबाजी का शिकार हो रहा है.
In the backdrop of Unnao incident, a school girl in UP's Barabanki district fires salvos at local police officials who were stunned by girl's pointed and sharp questions over safety and security of women in the state.
Listen in. pic.twitter.com/Q8mjl6p8R8
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) July 31, 2019
इस पूरे मामले पर जैसी पुलिस की कार्यप्रणाली रही है और जैसे वो लड़की और उसके परिवार को सुरक्षा देने में नाकाम रहे उसपर CJI खासे नाराज दिखे. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राय बरेली स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडमेंट को आदेश दिया है कि वह पीड़िता के परिवार और उसके वकील को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके लोगों से खतरा है.
सुनवाई के दौरान जैसा इस मामले पर CJI का रुख रहा और जैसे उन्होंने सीआरपीएफ को लड़की और उसके परिवार की सुरक्षा में नियुक्त किया उसने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के उस दावे के मुंह पर करारा तमाचा मारा है जिसमें उनके द्वारा अक्सर ही यूपी पुलिस की उसके द्वारा किये जा रहे काम को लेकर तारीफ की जाती है. CJI का इस मामले में CRPF को लाना खुद ब खुद इस बात की पुष्टि कर देता है कि इस मामले की जांच से लेकर परिवार को सुरक्षा देने तक पुलिस ने कहीं भी पारदर्शिता नहीं रखी है.
उन्नाव मामले के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है
जांच: यूपी पुलिस नहीं, सीबीआई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को बड़ी ही प्रमुखता से बल दिया कि अब मामले की जांच पुलिस नहीं बल्कि सीबीआई करेगी. ऐसा क्यों हुआ यदि इसकी वजहों पर बात करें तो मिलता है कि जहां एक तरफ इसकी वजह लड़की की मां का बयान हैं तो वहीं एक्सीडेंट वाले दिन लड़की की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों का गयाब होना भी है. यानी कहीं न कहीं सुप्रीम कोर्ट को भी इस बात का शक है कि एक्सीडेंट वाले दिन पीड़िता के साथ जो भी हुआ वो एक बड़ी प्लानिंग के तहत हुआ.
इसके अलावा सुनवाई के दौरान खुद सुप्रीम चीफ जस्टिस ने भी लड़की के पिता की मौत पर सवाल करते हुए कहा कथा कि क्या पिता की मौत पुलिस की कस्टडी में हुई है? इसके अलावा CJI ने उनकी गिरफ्तारी, पिटाई और मौत के बीच का अंतर भी पूछा था? चूंकि इस मामले में पारदर्शिता नहीं बरती गई है इसलिए अब ये पूरी जांच सीबीआई को सौंपी गई है.
न्यायालय: सारे मामले दिल्ली अदालत में
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस केस से जुड़ी सभी सुनवाई को 45 दिन के अंदर पूरा किया जाए. साथ ही साथ अब इन मामलों की सुनवाई रोजाना की जाएगी. साथ ही एक्सीडेंट मामले की जांच को 7 दिन के अंदर पूरा किया जाएगा. उन्नाव से जुड़े जो 5 केस थे, सभी को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया है.
कुलदीप सिंह सेंगर: निष्कासित या निलंबित
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर पार्टी की किरकिरी थमने का नाम नहीं के रही. पार्टी में कुलदीप सिंह सेंगर की स्थिति क्या है इसपर सस्पेंस जस का तस बरकरार है. मामला चर्चा में आने के बाद जेवीएल नर सिम्हा राव ने दावा किया है कि आरोपी विधायक को पार्टी से निकाल दिया गया है जबकि यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि फिल्हाल वो पार्टी से सस्पेंड हैं. बीजेपी के राज्यसभा सांसद जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने उन्नाव मामले में कहा कि पार्टी ने किसी दबाव में नहीं बल्कि पीड़िता को न्याय मिल सके इस वजह से विधायक कुलदीप सेंगर पर कार्रवाई की है.
बीजेपी सांसद ने इस मामले पर भरपूर राजनीति की और कहा कि,' मैं पूछना चाहता हूं उन पार्टियों से जिनको लेकर अदालतें आदेश देती रहीं, लेकिन फिर भी वो अपने आरोपी नेताओं को बचाते रहे. बीजेपी किसी के दबाव में काम नहीं करती है.
वहीं जब यूपी के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कुलदीप सिंह सेंगर के स्टेटस को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने ये कहकर सबको हैरत में डाल दिया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाला गया है या नहीं, मगर उन्होंने सेंगर को पार्टी से निलंबित बताया. जब उनसे इस बारे में और सवाल हुए तो उन्होंने ये कहकर अपना पिंड छुड़ाने का प्रयास किया कि यदि आरोपी विधायक निकाले जाते हैं तो इसपर जल्द ही पार्टी की तरफ से स्पष्टीकरण आ जाएगा.
मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष मौन
इस पूरे मामले में जो बात सबसे ज्यादा विचलित करने वाली है वो ये कि इसपर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी के अध्यक्ष तक सब मौन हैं. कह सकते हैं कि एक ऐसे समय में जब इस मामले को लेकर यूपी सरकार की देश भर में फजीहत हो रही है इसे ठीक वैसे ही ट्रीट किया जा रहा है जैसे ये कोईमारपीट का छोटा मोटा मामला हो.
वहीं बात अगर सूबे के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की हो तो मामले के बाद उनका कहना है कि सरकार इस मामले में सकारात्मक कदम उठा रही है. पीड़ित पक्ष ने इस मामले में सरकार को जो भी बताया उसपर समय के साथ एक्शन लिया गया है. विवादों से पल्ला झाड़ते और सरकार का पक्ष रखते हुए दिनेश शर्मा ने कहा कि पहले पीड़ित परिवार ने रेप मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी, फिर उन्होंने एक्सिडेंट की जांच भी सीबीआई को सौंपने को कहा था.
परिवार के सुझाव पर अमल करते हुए सरकार ने ऐसा ही किया. यानी जो बातें सूबे के डिप्टी सीएम कह रहे हैं उन्होंने कहीं न कहीं ये दिखाने का प्रयास किया कि शुरू से ही इस मामले को लेकर सरकार गंभीर थी और विरोधियों या ये कहें कि विपक्ष ने उसे व्यर्थ ही बदनाम किया.
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