कैसे गेट्स से मिलना, उत्तर प्रदेश और योगी आदित्यनाथ दोनों के लिए फायदेमंद है
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिल गेट्स से मिले हैं और उन्होंने उनसे स्वास्थ्य कई अहम मुद्दों पर बात कर उन आलोचकों के मुंह पर ताला लगा दिया है जो अब तक लगातार उनकी आलोचना कर रहे थे.
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शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश चर्चा का विषय न बने. एक बार फिर उत्तर प्रदेश सुर्ख़ियों में है, कारण है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के साथ मुलाकात की है. सीएम हाउस में चली इस मुलाकात में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिल गेट्स ने कई अहम मुद्दों पर बात की और इस पूरी मुलाकात में स्वास्थ्य पर विशेष बल दिया गया. इस पूरे मुलाकात में योगी, प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य और उनको मिल रही स्वास्थ्य सेवाओं पर खासे फिक्रमंद दिखे.
योगी ने जानकारी देते हुए बताया कि तमाम तरह की बीमारियों से निपटने के लिए उनकी सरकार द्वारा अभी हाल ही में 92 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया है जिसे आगे भी जारी रखा जा रहा है साथ ही मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा मिल रही मदद पर बात करते हुए योगी ने ये भी कहा कि उनकी सरकार ने फाउंडेशन के साथ एक पांच साल का करार किया है. इस करार के तहत फाउंडेशन इंसेफलाइटिस से निपटने के लिए सरकार को आर्थिक सहयोग देकर उसकी मदद करेगा. मुख्यमंत्री के मुताबिक इस महामारी को खत्म करना यूपी सरकार के टॉप एजेंडे में शामिल है.
बात अगर स्वास्थ्य सेवाओं के मद्देनजर हो तो आज उत्तर प्रदेश अपने सबसे निचले पायदान पर है
उत्तर प्रदेश पर माइक्रोसॉफ्ट जायंट बिल गेट्स का मत है कि वो यहां आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हीं के जरिये पोषाहार, बच्चों के बेहतर स्वास्थय को लेकर काम हो सकता है और योजनाओं का निर्धारण किया जा सकता है. गेट्स बच्चों के जन्म के समय से ही योजना लागू करना चाहते हैं. जिससे महिलाओं का स्वास्थ्य के साथ देश का स्वास्थ्य दर ठीक हो सके.
क्यों है ये मुलाकात उत्तर प्रदेश के लिए खास
उत्तर प्रदेश का शुमार भारत के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्यों में है साथ ही ये बात भी किसी से नहीं छुपी है कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं अपने सबसे निचले पायदान पर है. आंकड़ों कि मानें तो पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की जनसंख्या 25 प्रतिशत पर बढ़ी है जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र, जो सरकार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अगुआ हैं, उनमें 8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है. बात अगर प्रदेश में छोटे सामुदायिक स्वास्थ्य उप केन्द्रों पर हो तो पिछले 25 वर्षों में और 2015 तक, ये 2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़े हैं वो भी तब जब प्रदेश की जनसंख्या 51 प्रतिषत तक की वृद्धि हुई है.
2015 के रूरल हेल्थ स्टैटिक्स के ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि कैसे अब तक उत्तर प्रदेश में अलग-अलग सरकारों द्वारा स्वास्थ्य जैसी अहम और बुनियादी चीज को सिरे से नकार दिया गया. इतना सब जानने बुझने के बाद मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बैनर तले बिल गेट्स का उत्तर प्रदेश आना. और प्रद्रेश की लगातार गिरती स्वास्थ्य सेवाओं पर मदद मुहैया कराना ये साफ बताता है कि यदि गेट्स की योजनाओं को योगी ने अमली जामा पहना दिया तो ये प्रदेश के विकास में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा.
गोरखपुर हादसे के बाद यूपी सरकार की जम कर आलोचना हुई थी
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में एक नवजात शिशु पड़ोसी राज्य बिहार की तुलना में चार साल कम जिंदा रहता है. जबकि हरियाणा की तुलना में ये पांच साल और हिमाचल प्रदेश की तुलना में ये अवधि सात साल है. बात अभी मौजूदा दौर की हो तो हम कुछ दिनों पहले ही योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से नवजातों की मौत का दृश्य देख चुके हैं. बीआरडी मेडिकल में हुई ये मौतें ये बताने के लिए काफी हैं कि उत्तर प्रदेस्ध में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कैसी है.
योगी आदित्यनाथ की छवि सुधार सकती है ये मुलाकात
जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने. माइक्रोसॉफ्ट फाउंडर बिल गेट्स से योगी की ये मुलाकात इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये मुलाकात आम लोगों के बीच उनकी छवि सुधारने में एक बड़ा कारक होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश के अधिकाँश लोगों का मत है कि योगी अपनी फायरब्रांड हिन्दूवादी नेता वाली छवि को बरक़रार रखे हुए हैं और विकास जैसे बेहद अहम मुद्दे से कोसों दूर हैं. अगर योगी, गेट्स की मदद से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर काम करते हैं तो ये उनके द्वारा उठाया हुआ एक बड़ा कदम होगा.
कहा जा सकता है कि ये मुलाकात गेट्स से ज्यादा योगी आदित्यनाथ के लिए महत्वपूर्ण है
साथ ही उनका ये प्रयास उन बयानों को भी धुलने का काम करेगा जो इनकी पार्टी के तब दिए थे जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस के चलते बच्चों की मौत हुई थी. शायद याद आपको भी हो, तब उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पिछले साल में हुई बच्चों की मौतों के आंकड़े दिखाकर साबित करना चाहा था कि ये कोई नई बात नहीं है कि अगस्त में बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने कहा था कि, हर साल ऐसी मौतें होती चली आईं हैं. बच्चों की अकाल मौत पर माननीय स्वास्थ्य मंत्री तब इस बात पर अडिग थे कि बच्चों की मौत में ऑक्सीजन का कोई हाथ नहीं है और ये मौतें केवल और केवल बीमारी के चलते हुई हैं.
इस मुलाकात के राजनीतिक मायनें
योगी आदित्यनाथ की बिल गेट्स के साथ हुई इस मुलाकात को राजनीतिक परिदृश्य में रखकर देखें तो मिलता है कि यदि योगी इस अवसर को भुना ले गए और उन्होंने प्रदेश की गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था पर काम कर लिया तो निस्संदेह ही ये उनके उन आलोचकों के मुंह पर करारा तमाचा होगा जो लगातार ये मानते आएं हैं कि योगी केवल एक ऐसे वर्ग के लिए काम कर रहे हैं जिसे न तो विकास से मतलब है और न ही तमाम मूल मुद्दों से. ये वर्ग केवल हिंदू हितों की बात करता है और योगी केवल इन्हीं को खुश करने का काम कर रहे हैं .
स्वास्थ्य के सुधार के लिए बिल गेट्स के प्रयास
माइक्रोसॉफ्ट संस्थापक बिल गेट्स के बारे में ये मशहूर है कि वो न सिर्फ विश्व के सबसे ज्यादा धनी व्यक्ति हैं बल्कि एक ऐसे इंसान भी हैं जिसने विश्व के प्रत्येक नागरिक के स्वस्थ होने का सपना भी अपनी आंखों में संजोया हुआ है. ऐसे में ये कहना गलत न होगा कि यदि ये मुहीम कामयाब हुई और इस मुलाकात पर योगी गंभीर हुए तो न सिर्फ ये योगी के लिए वोटों की दृष्टि से चुनावों में कारगर होगा बल्कि इससे वाकई उत्तर प्रदेश को अच्छे दिन मिलेंगे.
बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि बिल गेट्स के जरिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक बड़ा मौका मिला है. कह सकते हैं कि ये उनके लिए एक ऐसा मौका है जो उनकी राजनीतिक दशा और दिशा को बदल सकता है और उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है.
इस पूरी मुलाकात के बाद देखने वाली बात ये होगी कि कैसे योगी गेट्स की योजनाओं को अमली जामा पहनते हैं और उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य को आगे ले जाते हैं. साथ ही भविष्य में ये भी देखना दिलचस्प रहेगा कि योगी की अगुवाही में अब तक बेहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते बदनाम उत्तर प्रदेश कैसे अपना खोया हुआ सम्मान दोबारा हासिल करता है.
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