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Updated: 24 दिसम्बर, 2021 09:29 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ बयान पर बवाल शुरू हो गया है. धर्म संसद में भड़काऊ बयान देने को लेकर उत्तराखंड पुलिस ने एफआईआर (FIR) भी दर्ज कर ली है. बताते हैं कि धर्म संसद में शामिल लोगों ने मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिये. ये सब एक वायरल वीडियो के जरिये सामने आया है.

ये आयोजन ऐसे वक्त हुआ है जब कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना मुस्लिम जिहादी गुटों से करते हैं - और फिर राहुल गांधी आगे बढ़ कर हिंदुत्व और हिंदुत्ववादियों में फर्क समझाने की राजनीतिक मुहिम चला रहे हैं.

ऐसा भी नहीं कि इस तरह का आयोजन कोई पहली बार हुआ है, लेकिन चुनावी माहौल में भाषण के वीडियो ने हर किसी का ध्यान खींचा है. बीबीसी से बातचीत में पत्रकार धर्मेंद्र चौधरी कहते हैं, 'जूना अखाड़े के प्रबोधानंद गिरी चर्चा में आने के लिए इस तरह की बातें कहते रहते हैं... लेकिन नरसिंहानंद और अधीर कौशिक इसे मिशन के तौर पर लेकर काम कर रहे हैं.' धर्मेंद्र चौधरी के मुताबिक, हरिद्वार में हर छह-आठ महीने पर ऐसे आयोजन होते रहते हैं, जाहिर है बातें भी ऐसी ही होती हैं, लेकिन सोशल मीडिया के जरिये ये फैल जाने से सभी लोग जान गये हैं.

17 से 19 दिसंबर तक ये तीन दिनों का आयोजन रहा - और उसी दौरान 18 दिसंबर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हरिद्वार में विजय संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी. धर्म संसद में दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय भी शामिल हुए थे. मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि धर्म संसद में वो 'भगवा संविधान' लेकर पहुंचे थे.

बीबीसी से बातचीत में हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक धर्म संसद के आयोजन से खुद को अनजान बताते हैं. नड्डा के कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मदन कौशिक भी मौजूद थे. मदन कौशिक उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं.

yati narsinhanand, wasim rizvi, ashwini upadhyayऐसी धर्म संसद में हिंदुओं की कितनी फिक्र होती है?

ध्यान देने वाली बात ये है कि वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई है, जबकि धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद हैं जो पहले से ही मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयानों को लेकर विवादित रहे हैं.

FIR में रिजवी का नाम ही क्यों?

पुलिस ने भड़काऊ बयान देने को लेकर वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. रिजवी और बाकियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए (लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आपसी सद्भाव के लिए नुकसानदेह) के तहत केस दर्ज किया गया है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिख कर धर्म संसद में भाषण देने वालों पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तराखंड में अपने पार्टी के पदाधिकारी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात ट्विटर पर बतायी है.

सामने आयी जानकारी के मुताबिक, धर्म संसद में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और हिंदू रक्षा सेना के स्वामी प्रबोधानंद, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मां अन्नपूर्णा सहित एक हजार से ज्यादा महामंडलेश्वर, महंत और साधु-संत शामिल हुए थे.

धर्म संसद में जब ज्यादातर धार्मिक गुरु ही शामिल रहे तो वसीम रिजवी और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय खास मेहमान कैसे बने? वसीम रिजवी तो अभी अभी हिंदू बने हैं. उपलब्धि के नाम पर बस एक हिंदू नाम मिला है - जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी. फिर उनमें ऐसी कौन सी खासियत है जो वो हिंदू धर्म संसद में शामिल हो रहे हैं?

वसीम रिजवी के धर्म संसद में शामिल होने का स्पष्ट कारण तो एक ही लगता है - क्योंकि धर्म संसद कर्ताधर्ता समझ में आ रहे यति नरिंहानंद ने ही वसीम रिजवी को मुस्लिम से हिंदू धर्म में शामिल कराया था.

सवाल ये है कि क्या वसीम रिजवी ऐसे ही कामों के लिए मुस्लिम धर्म से पाला बदल कर हिंदू धर्म अपनाये हैं? फिर तो इसे महज शुरुआत समझ सकते हैं. मतलब, जिस काम के लिए वसीम रिजवी हिंदू बने हैं उसके रुझान भी आने लगे हैं.

अब सवाल ये उठता है कि जब इतने बड़े बड़े लोग धर्म संसद में शामिल रहे तो वसीम रिजवी के खिलाफ ही नामजद केस क्यों दर्ज किया गया?

उत्तराखंड पुलिस की तरफ से मिले जवाब से साफ होता है कि शिकायत दर्ज कराने वाले ने एप्लीकेशन में एक ही नाम दिया था, लेकिन पुलिस कह रही है कि धीरे धीरे सामने आने पर और भी नाम जोड़े जाएंगे.

उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, 'जिस व्यक्ति की तरफ से लिखित शिकायत मिली, उसने एक ही नाम दिया था. बाकियों को उसने अज्ञात बताया क्योंकि वो किसी और का नाम नहीं जानता.'

शिकायत अपनी जगह है, लेकिन पुलिस का धर्म संसद में शामिल किसी एक व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज कर लेना काफी अजीब लगता है. अगर वसीम रिजवी ने धर्म संसद का आयोजन कराया होता तो भी चल जाता. अंग्रेजी अखबार से बातचीत में डीजीफी ने भी ये बात स्वीकार की है और कहा है कि जल्द और भी नाम जोड़े जाएंगे.

धर्म संसद से जारी गाइडलाइंस

धर्म संसद को लेकर जो वीडियो सामने आये हैं, मालूम होता है कि धर्म की रक्षा के लिए लोगों से कॉपी-किताब त्याग कर शस्त्र उठाने की सलाह दी जा रही है. किसी भी सूरत में किसी मुस्लिम को देश का प्रधानमंत्री न बनने देने की भी सलाहियत है.

बीजेपी नेता का भड़काऊ भाषण से इनकार: हरिद्वार धर्म संसद में शामिल रहे बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय पर भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगाये जा रहे हैं. हालांकि, अश्विनी उपाध्याय ने ऐसी बातों से साफ तौर पर इनकार किया है.

अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ से बातचीत में अश्विनी उपाध्याय कहते हैं, धर्म संसद में वो सिर्फ 19 दिसंबर को आधे घंटे के लिए पहुंचे थे. अश्विनी उपाध्याय बाकी चीजों से खुद को अनजान बताते हैं और कहते हैं कि उनके सामने कोई भाषण नहीं हुआ जो नफरत फैलाने वाला हो.

ज्यादा दिन नहीं हुए, अगस्त, 2021 में ही अश्विनी उपाध्याय को ऐसे ही एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय पर आरोप लगा था कि दिल्ली के जंतर मंतर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले नारे लगाये और लगवाये थे.

मनमोहन सिंह का भी नाम लिया गया: ऐसे ही एक वायरल वीडियो में बिहार के धर्मदास महाराज को नाथूराम गोडसे का रास्ता अख्तियार कर लेने तक की बात की गयी है.

धर्मदास महाराज का कहना है, 'अगर मैं उस वक्त संसद में मौजूद होता... जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है, तो मैं नाथूराम गोडसे का अनुसरण करता - मैं उनके सीने में छह गोलियां उतार देता.'

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में सख्त ऐक्शन लिये जाने की मांग की है. कांग्रेस नेता का कहना है कि जिस किसी ने भी नफरत और हिंसा भड़काने की कोशिश की है, कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिये.

धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद कह रहे हैं कि हर हाल में ये सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि 2029 में कोई मुस्लिम देश का प्रधानमंत्री न बनने पाये - और मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ देने की अपील के साथ सलाह देते हैं कि हिंदुओं को अब शस्त्र उठा लेना चाहिये.

वीडियो के सही होने की पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन यति नरसिंहानंद ने 2024 के अगले आम चुनाव का जिक्र न करके 2029 के लिए तैयारी की बात की है. मतलब वो ये तो मान कर चल रहे हैं कि 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज करने वाला कोई नहीं है, लेकिन आगे के लिए आश्वस्त नहीं लगते.

आखिर यति नरसिंहानंद को क्यों लगने लगा है कि 2024 के बाद बीजेपी चुनाव नहीं जीत पाएगी और अगर कोई और राजनीतिक पार्टी सत्ता में आयी तो वो किसी मुस्लिम को भी प्रधानमंत्री बना सकती है - सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या कोई हिंदू या मुसलमान होने की वजह से देश का प्रधानमंत्री बनता है?

आर्थिक बहिष्कार को नाकाफी बता रहे: सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में यति नरसिंहानंद ये भी कह रहे हैं कि सिर्फ आर्थिक बहिष्कार से काम नहीं चलने वाला है.

यति नरसिंहानंद हिंदुओं को अपग्रेड करने की सलाह दे रहे हैं. उनकी नजर में ज्यादा बच्चे पैदा करने से भी कुछ नहीं होने वाला है. कहते हैं, तलवारें भी मंच पर ही अच्छी लगती हैं - ये लड़ाई बेहतर हथियार वाले लोग ही लड़ेंगे.

बीजेपी नेता 2014 के पहले वाले यूपीए शासन के दौरान कांग्रेस नेताओं के भगवा आतंकवाद के दावे पर सवाल उठाते रहे हैं - लेकिन धर्म संसद में अगर ऐसी ही बातें हुई हैं तो उनको भी ये आरोप स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ेगा.

शस्त्र उठाओ, मार डालो: निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां का वीडियो भी तूफान मचा रहा है. कहते हुए सुना गया है, 'हम सब मिलकर इनके 20 लाख मार देंगे तो विजयी कहलाएंगे... कॉपी किताब रखो और हाथ में शस्त्र उठा लो.'

उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है, 'हरिद्वार धर्म संसद में जो कुछ भी हुआ वो गलत था... पुलिस इसमें शामिल और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगी.'

खबर है कि अप्रैल-मई में मथुरा के वृंदावन में अगली धर्म संसद की तैयारी चल रही है. अगर हरिद्वार में हुए कार्यक्रम की भनक पुलिस प्रशासन को नहीं लगी तो क्या वृंदावन को लेकर जरूरी स्क्रीनिंग और एहतियात बरते जाएंगे.

आम आदमी के लिए भूख की लड़ाई ही बेहद तकलीफदेह और मुश्किल पड़ रही है. महंगाई और बेरोजगारी से संघर्ष जारी है. ऊपर से कोरोना वायरस आफत बन कर टूट पड़ा है. कहते हैं 'भूखे भजन न होंहि गोपाला...' - शस्त्र उठाने की कौन कहे!

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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