New

होम -> सियासत

 |  6-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 30 मार्च, 2022 04:50 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

बयानबाजी कैसी भी हो लेकिन राजनीति में शालीनता की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए... मानी जाती रही होगी ये बात किसी दौर में लेकिन दौर बदल चुका है. राजनीति बदल चुकी है इसलिए हम ऐसा बहुत कुछ देख रहे हैं जो हमारी सोच और कल्पना दोनों से परे है. इन बातों को समझने के लिए कहीं बहुत दूर क्या ही जाना. बंगाल चलते हैं और टीएमसी के विधायक नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की उस धमकी को सुनते हैं जो उन्होंने भाजपा समर्थकों को खुले रूप में दी है. भाजपा के मद्देनजर जो कुछ भी तृणमूल विधायक ने कहा है उसके बाद आलोचनों का दौर शुरू हो गया है और उनकी घेराबंदी की जा रही है लेकिन हमें इस लिए भी हैरत में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि टीएमसी विधायक नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने जो कुछ भी किया है वो पार्टी लाइन पर किया है. बंगाल में टीएमसी क्यों शासन कर रही है इसकी एक बड़ी वजह वो गुंडागर्दी है जिसके बल पर आज ममता बनर्जी के हाथ में सत्ता की चाभी है. चूंकि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बंगाल में ऐसी धमकियां एक आम बात हैं इसलिए कोई भी यदि इन्हें सुन रहा है तो उसे बहुत ज्यादा भावुक होने की कोई जरूरत नहीं है.

TMC, Mamata Banerjee, BJP, MLA, Threat, Law, West Bengal Elections, Violence, Mamata Banerjeeभाजपा समर्थकों को लेकर जो कुछ भी बंगाल में तृणमूल विधायक ने कहा है उसपर हैरत न होने के कारण तमाम हैं

दरअसल, पश्चिम बर्धमान जिले के पांडवेश्वर से टीएमसी विधायक नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती का एक वीडियो वायरल हुआ है. वायरल वीडियो बंगाली में है जिसमें वे भाजपा समर्थकों को 'घर में रहने' और वोट नहीं करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं. लाउदोहा ब्लॉक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में विधायक ने जोर देकर कह दिया है कि कट्टर बीजेपी वोटर बाहर ना निकलें.

इसके अलावा तृणमूल विधायक ने ये भी कहा कि जो कट्टर भाजपा समर्थक हैं उन्हें डराएं -धमकाएं, उनसे कहें कि वे लोग वोट देने न जाए, अगर वे लोग वोट देने जाते हैं तो उसके बाद वे लोग कहां रहेंगे खुद तय कर लें और अगर वह लोग वोट देने नहीं जाते हैं तो हम लोग समझेंगे कि वह हमारे समर्थन में हैं.

जैसा कि लाजमी था तृणमूल विधायक ये इस इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैल रहे वीडियो ने राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी हैं. भाजपा ने इस मामले को किसी बड़े विषय की तरह उठाया है और पूरे खेमे में रोष है. बंगाल में भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय सहित तमाम भाजपा नेताओं ने वीडियो को शेयर किया है और तृणमूल, उसकी नीतियों और उसकी विचारधारा पर बड़ा हमला किया है.

वीडियो साझा करते हुए अमित मालवीय ने कहा है कि इस तरह की खुली धमकी देने वाले अपराधियों को सलाखों के पीछे होना चाहिए लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी उन्हें संरक्षण देती हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि, चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए.

ध्यान रहे तृणमूल विधायक ने ये बातें उस वक़्त कहीं हैं जब बीरभूम मामले के बाद बंगाल में पॉलिटिकल वायलेंस अपने चरम पर है और हम ऐसी तमाम चीजों के साक्षी बन रहे हैं जो एक लोकतंत्र के रूप में सीधे सीधे देश को प्रभावित कर रही हैं.

बाकी बात तृणमूल की गुंडागर्दी या कहें कि उसकी संस्कृति की हुई है तो ये बता देना बहुत जरूरी है कि 10.1 करोड़ की आबादी वाले पश्चिम बंगाल में पॉलिटिकल वायलेंस कोई नयी बात नहीं है. 47 में स्वतंत्रता मिलने के फ़ौरन बाद से बंगाल ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेतृत्व वाली सरकारों को देखा है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) शामिल है, जिसने दो दशकों से अधिक समय तक शासन किया, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा ने तीन दशकों से अधिक समय तक शासन किया, और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ) जो मौजूदा सरकार का नेतृत्व करती है.

इन सभी शासनों में, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों की संस्कृति, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, पिछले कुछ वर्षों में ही फली-फूली है. इसने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटना को भारत में व्यापक रूप से चर्चित सार्वजनिक नीति विषय बना दिया है.

वर्तमान में जैसे हालत बंगाल में हैं कहना गलत नहीं है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक डर जरूर होगा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) तेजी से अपने मूल वामपंथ को प्रतिबिंबित कर रही है. पार्टी अहंकार और अंकगणित का एक भयावह परिचित शंखनाद दिखा रही है, जो पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के शासन का आधार था.

उपरोक्त पंक्तियों में जिक्र अहंकार का हुआ है तो बताते चलें कि पिछले दो दशकों में अधिकांश वाम शासन का वस्तुतः कोई विरोध नहीं था, और इसलिए बहुत कम जवाबदेही थी. और अंकगणित पर बात इसलिए हुई, क्योंकि मतदान पैटर्न, बूथ वाइज इंटेलिजेंस, ग्राउंड लेवल पर निगरानी और विवेकपूर्ण आर्थिक निर्भरता के अनुमानित समीकरण ने वामपंथियों को वर्षों तक चुनावी रिटर्न का आश्वासन दिया. ऐसा ही कुछ अब टीएमसी के साथ होता दिख रहा है.

पिछले मई में भाजपा के खिलाफ जोरदार चुनावी जीत और चुनावों के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में हार के बाद, वाम नेतृत्व द्वारा समान रूप से चुनौती न देने वाली टीएमसी ने महसूस किया है कि उसके लिए शायद ही कोई राजनीतिक खतरा है. और स्थिर चुनावी रिटर्न का वही अंकगणित अब कथित तौर पर इसके गुंडों के पदानुक्रम द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है.

जैसा कि हम बता चुके हैं हमें नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की बताओं को सुनकर हैरत में नहीं आना चाहिए ये बात सिर्फ जुमला नहीं है. जैसी कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस यही नियम नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती द्वारा लाउदोहा ब्लॉक में लागू किया गया है. कह सकते हैं कि टीएमसी और उसके लोगों को इस बात का पूरा अंदाजा है कि उसे वोट कैसे और कहां से मिलेंगे इसलिए आज वो जो भी कह रहे हैं साफ़ है कि पार्टी डर को कायम कर वोट जुटाने में लगी है और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार है.

ये भी पढ़ें -

क्या एक मुसलमान का भाजपा को पसंद करना गुनाह-ए-अजीम है?

'पढ़ी-लिखी' स्त्रियों की कूढ़मगजी आखिर क्यों पितृसत्ता से भी ज्यादा घातक है

समाजवादी कुनबे में फिर बगावत के आसार हैं!

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय