प्रधानमंत्री मोदी को लेकर राहुल गांधी के इस यू टर्न को आखिर क्या समझें
राहुल गांधी अमेरिका से लौट कर सीधे गुजरात दौरे पर गये थे और पूरे तीन दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर रहे. हिमाचल प्रदेश में भी यही देखने को मिला, लेकिन आगे से वो ऐसा नहीं करने वाले.
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गुजरात में साढ़े चार करोड़ वोटर हैं जिनमें आधे ही ऐसे हैं जिनकी उम्र चालीस पार है. युवाओं की इतनी बड़ी तादाद को देखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों का वीडियो कैंपेन पर जोर है. नतीजा ये है कि चुनाव प्रचार वीडियो वॉर में तब्दील हो चुका है. बताते हैं बीजेपी इसी वीकेंड से हर रोज एक नया वीडियो पेश करने का फैसला किया है.
कांग्रेस की ओर से भी ऐसे कम से कम बीस वीडियो पेश किये जाने हैं. जाहिर है बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही वीडियो कैंपेन एक दूसरे का काउंटर ही करेंगे. लेकिन कांग्रेस की कैंपेन टीम को राहुल गांधी की ओर से खास निर्देश मिले हुए हैं. ये निर्देश सोशल मीडिया टीम को भी है और आम कार्यकर्ताओं को भी.
मोदी पर निजी हमले नहीं
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी टीम से साफ तौर पर कह दिया है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट कर चुनाव प्रचार नहीं करना है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये निर्देश पार्टी नेताओं के साथ साथ सोशल मीडिया टीम के लिए भी है. सोशल मीडिया टीम को खास हिदायत है कि वो कैंपेन में मोदी पर निजी हमले न बिलकुल करे.
मोदी को लेकर बदली रणनीति
बताते हैं कि टीम राहुल की तरफ से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को भी ऐसे किसी भी बयानबाजी से बचने की हिदायत है जिससे पार्टी की छवि पर असर पड़ता हो. नेताओं और कार्यकर्ताओं को बताया गया है कि पार्टी का जोर सकारात्मक मुद्दों पर चुनाव लड़ने पर है.
वैसे गुजरात कांग्रेस के नेताओं को मिला ऐसा निर्देश काफी हैरान करने वाला है - क्योंकि अब तक तो खुद राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट करते रहे हैं.
पहले तो ऐसा न था
राहुल गांधी जब अमेरिका से लौटे तो गुजरात में कांग्रेस का कैंपेन जोर पकड़ चुका था. हर किसी की जबान पर चढ़ा हुआ था - विकास पागल हो गया है. जैसे ही राहुल गांधी गुजरात पहुंचे मंदिरों में दर्शन पूजन किया और कैंपेन में जुट गये और पूरा जोर कांग्रेस के कैंपेन को एनडोर्स करने पर ही रहा. तीन दिन के दौरे में राहुल गांधी तकरीबन हर मीटिंग में गुजरात में विकास को लेकर सवाल जरूर पूछते रहे.
निजी हमले से परहेज अब क्यों...
लोगों से सवाल जवाब के बीच ही राहुल गांधी कहा करते, "मोदी जी ने एक के बाद एक इतने झूठ बोले कि विकास पागल हो गया."
बाद में भी जब राहुल गांधी गुजरात के दौरे पर गये तो मोदी को लेकर वैसे ही हमलावर रहे. यहां तक कि हिमाचल प्रदेश में भी हवाई चप्पल पहन कर पहाड़ पर चढ़ जाने जैसे किस्से सुनाते रहे. राहुल गांधी की ऐसी हर बात का लब्बोलुआब यही रहता कि मोदी झूठ बोलते हैं.
कांग्रेस की ओर से मोदी पर निजी हमलों की जब भी चर्चा होती है 2007 में सोनिया गांधी के उस बयान का जिक्र जरूर आता है जिसमें उन्होंने मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था. सोनिया के इस बयान को बीजेपी ने फौरन लपक लिया और कांग्रेस के खिलाफ खूब प्रचार किया. माना गया कि कांग्रेस की हार में इस बयान का बड़ी भूमिका रही. सोनिया ने फरवरी, 2014 में भी मोदी को टारगेट कर बयान दिया था लेकिन उसके बाद कभी ऐसी बात नहीं कही. प्रधानमंत्री मोदी को लेकर निजी हमले से बचने की राहुल गांधी की हिदायत को कांग्रेस में कोई रणनीतिक बदलाव या यू टर्न क्या समझा जाये?
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