कानून और व्यवस्था के मामले में खट्टर सरकार बार-बार विफल क्यों हो जाती है ?
अपनी कानून व्यवस्था को लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार लगातार सवालों के घेरे में हैं और जो हालात हैं उनको देखकर यही कहा जा सकता है कि प्रदेश में कानून अपने सबसे खराब दौर में है.
-
Total Shares
हाल ही में गुरुग्राम में स्कूली बच्चों के बस पर हुए हमले ने एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है. कथित तौर पर पद्मावत फिल्म का विरोध कर रहे लोगों ने इसे अंजाम दिया. ऐसा कहा जा सकता है कि इस फिल्म का विरोध कर रहे लोगों पर इस सरकार का रवैया पूरी तरह से प्रभावी नहीं रहा जिसकी वजह से सरकार की आलोचना हुई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इस सरकार पर पहली बार इस तरह का आरोप लगा हो. कानून व्यवस्था को लेकर इससे पहले भी सरकार के रवैये पर सवाल उठते रहे हैं.
अभी हाल ही में रेप की घटनाओं को लेकर हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर की सरकार पर खूब हमले हुए हैं. ख़बरों की माने तो 10 दिनों में10 रेप की घटनाओं के लिए प्रदेश सरकार सवालों के घेरे में थी. इस दौरान प्रदेश में दो गैंगरेप की घटनाओं ने तो सबको हिलाकर रख दिया. इसमें से एक घटना को तो दिल्ली में हुए "निर्भया" कांड जैसे जघन्य अपराध की श्रेणी में बताया गया.
कानून व्यवस्था को लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार लगातार सवालों के घेरे में हैं
जनवरी 13, 2018: हरियाणा के जिंद में दसवीं क्लास में पढ़ने वाली 15 साल की एक दलित लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गयी. लड़की का शव एक नहर के किनारे मिला था. शव को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था की उसके साथ भी 'निर्भया' जैसी करतूत को अंजाम दिया गया हो.
जनवरी 13, 2018: फरीदाबाद में एक तेईस साल की महिला के साथ तीन लोगों ने चलती कार में गैंगरेप किया. ऐसा नहीं हैं कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामले में राज्य पर पहली बार सवाल उठा हो. देश में हुई गैंगरेप की घटनाओं के मामले में प्रदेश की छवि बहुत ही ख़राब है. साल 2016 में भी यह प्रदेश प्रति 1 लाख की आबादी पर गैंगरेप की दर में लगातार तीसरे साल भी शीर्ष पर रहा. साल 2016 में राज्य की प्रति 1 लाख महिलाओं पर गैंगरेप की दर 1.5 थी. राज्य में वर्ष 2016 में 191 गैंगरेप की वारदात हुई थीं. वर्ष 2014 और 2015 में राज्य में गैंगरेप की दर क्रमशः 1.9 और 1.6 थीं. बात प्रदेश में हुए रेप की घटनाओं की करें तो इसमें भी साल 2015 की तुलना में इजाफा हुआ था और 2016 में 1187 वारदातें दर्ज हुईं थीं. कह सकते है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार में कमी कि वजाय इजाफा ही हो रहा है.
लेकिन बात सरकार की नाकामी की करें तो इसके सबसे बड़े उदहारण हैं जाट आरक्षण और राम रहीम कि गिरफ्तारी के मामलों से जुड़ी हिंसा. जाट आरक्षण को लेकर हुई हिंसा में 30 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. इस मामले को संभालने में प्रदेश सरकार पूरी तरह से नाकाम दिखी थी जिसे आखिरकार सेना की मदद से काबू में लाया गया था. कुछ ऐसा ही डेरा सच्चा के प्रमुख राम रहीम के खिलाफ कार्रवाई करने से भड़की हिंसा के वक़्त भी हुआ जब प्रदेश सरकार मामले कि गंभीरता को ना तो पूरी तरह समझ पायी थी नहीं इसपर काबू पाने की लिए उसने जरूरी इंतजाम किये थे. उस हिंसा में 35 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी थी और करोड़ों रूपये की सम्पति का नुकसान हुआ था.
साल 2014 के नवम्बर महीने में सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल से जुड़े मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब खट्टर सरकार की विफलता देखने को मिली थी लेकिन उस समय ऐसा कहा जा सकता है कि उन्हें सरकार में आये महज कुछ ही दिन हुए थे. लेकिन सत्ता में इतने दिन बिताने के बाद भी आखिर मुख्यमंत्री कानून व्यवस्था को काबू करने में नाकाम क्यों हो रहे है.
कह सकते हैं कि हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कई मौकों पर फेल साबित हुए है. लेकिन फ़िलहाल उनकी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा. क्योंकि पार्टी के भीतर से किसी नेता ने उनकी क्षमता पर सवाल अभी तक नहीं उठाया है.
ये भी पढ़ें -
हरियाणा और छत्तीसगढ़ में गिर जाएगी भाजपा सरकार!
क्या फांसी की सज़ा से रुकेगा बलात्कार का सिलसिला !
कभी सोचा है - कितना मुश्किल होता है सियासी जिंदगी में 'मन की बात' करना
आपकी राय