5 कारण, मौलाना मसूद अजहर चीन का लाड़ला क्यों है
15 सदस्यीय UNSC में चीन एकमात्र देश था जिसने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध का विरोध किया था. यदि इसके कारणों पर नजर डालें तो ऐसी तमाम बातें हैं जो बता रही हैं कि ऐसा करने के पीछे चीन के पास तमाम वजहें हैं.
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आतंकवाद के नियंत्रण और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी (Global terrorist) घोषित किये जाने के सम्बन्ध में अच्छी खबर है. भारत को फ्रांस का समर्थन मिला है. फ्रांस ने मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने के लिए यूएन में प्रस्ताव लाने की बात कही है. एक ऐसे समय में जब पुलवामा हमले में जैश का नाम आने के बाद पूरी दुनिया में पाकिस्तान की थू-थू हो रही हो. निश्चित तौर पर ये भारत के लिए एक बड़ी राहत है. ये दूसरी बार है जब फ्रांस यूएन में ऐसे किसी भी प्रस्ताव के लिए पक्ष बनेगा. 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के प्रमुख पर प्रतिबंध की मांग की गई थी. इस प्रस्ताव पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था.
जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को लेकर चीन लम्बे समय से पूरे विश्व को बहकाए हुए है
चूंकि बार-बार चीन जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का समर्थन करता हुआ दिखाई दे रहा है. तो हमारे लिए भी ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर एक दुर्दांत आतंकी मौलाना मसूद अजहर चीन का दुलारा क्यों बना हुआ है? क्यों जब बात मौलाना को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की आ रही है तो चीन उसके समर्थन में खड़ा दिखाई दे रहा है?
आखिर चीन मसूद अजहर का समर्थन क्यों कर रहा है:
पहला कारण: चीन और पाकिस्तान 'सच्चे दोस्त' हैं. बीजिंग इन्हीं प्रयासों में है कि वो दक्षिण एशिया के अपने सहयोगी को खुश रख सके. भारत चीन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है और चीन भी भारत को एक बड़े खतरे के रूप में देखता है. शायद यही कारण हैं कि चीन लगातार भारत को तमाम परेशानियों में उलझाने का काम कर रहा है. ताकि वो दक्षिण एशिया के अहम बिन्दुओं पर ध्यान न देकर अपनी घरेलू समस्याओं में उलझा रहे.
यदि चीन इस मुहीम में भारत के साथ आ जाता है और मौलाना को विश्व के आतंकियों की सूची में डालने में मदद करता है, तो इससे भारत को जहां एक तरह एक बड़ी मदद मिल जाएगी. सारी दुनिया के सामने चीन का दोस्त पाकिस्तान बेनकाब हो जाएगा. इन सब से भारत को एक बड़ा फायदा मिलेगा और पूरे दक्षिण एशिया के सामने भारत की पहचान एक अधिक शक्तिशाली देश के रूप में हो जाएगी. भारत शक्तिशाली बने चीन ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता और इसलिए वो इस गंभीर मामले में बार बार अड़ंगा डाल रहा है. आधिकारिक तौर पर चीन ने कहा है कि अजहर पर उसका वीटो, 'समिति को मामले पर विचार-विमर्श के लिए और संबंधित पक्षों पर आगे के परामर्श के लिए और अधिक समय की अनुमति देगा' साथ ही इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के मामले पर अलग अलग विचार भी सुनने को मिलेंगे.
दूसरा कारण: बीजिंग क्यों पाकिस्तान को समर्थन दे रहा है इसका एक अन्य कारण इस्लामिक सहयोग संगठन और गुटनिरपेक्ष आंदोलन भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें चीन की कोई भागीदारी नहीं है. ध्यान रहे कि चीन जैसा व्यवहार उईगर समुदाय के मुसलामानों के साथ कर रहा है उसपर पाकिस्तान ने इस्लामिक सहयोग संगठन के नाम पर उसे अपना समर्थन दे रखा है. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि जब उईगर मामले पर चीन की आलोचना हुई. तो पाकिस्तान ही वो पहला देश था जो खुले तौर पर चीन के समर्थन में आया और कहा कि मुसलमानों के उस समुदाय के साथ जो कुछ भी चीन कर रहा है वो पूर्णतः सही है.
हमें इस बात को समझना होगा कि मसूद अजहर को लेकर चीन एक बड़ी राजनीति कर रहा है
तीसरा कारण: मौलाना पर चीन क्यों रहम-दिल है इसकी एक बड़ी वजह भारत-अमेरिका संबंध को भी माना जा सकता है. ज्ञात हो कि भारत की नजदीकियां लगातार अमेरिका से बढ़ रही हैं और इस नजदीकी से जिसे सबसे ज्यादा खतरा है वो और कोई नहीं बल्कि चीन है.
अतः चीन ने मौलाना मसूद अजहर को एक बड़ा हथियार बना लिया है. चीन ये बात भली प्रकार जानता है कि जब तक उसके पास मौलाना के रूप में बड़ा हथियार है वो यूं ही भारत को दबाता रहेगा और उसे शक्तिशाली बनने से रोकता रहेगा. इसके अलावा दलाई लामा को भी इन सब के पीछे की एक बड़ी वजह माना जा सकता है. कई ऐसे मौके आए हैं जब भारत ने दलाई लामा को शरण देने की बात कही है. दलाई लामा जिन्हें चीन "विध्वंसक" और "विभाजनकारी मानता है लम्बे समय से चीन की आंख की किरकिरी हैं.
चौथा कारण: यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि जिस तरह भारत लश्कर ए तैयबा और हाफिज सईद को देखता है ठीक वैसे ही चीन दलाई लामा को. अब चूंकि भारत दलाई लामा को शरण दिए जाने का पक्षधर है तो मसूद अजहर को समर्थन देकर चीन कहीं न कहीं भारत को परेशानी में डालने का काम कर रहा है.
और पांचवां कारण: जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को लेकर चीन की राजनीति का सबसे बड़ा कारण है स्वार्थ. पाकिस्तान में चीन ने CPEC के अलावा भारी भरकम इन्वेस्टमेंट कर रखा है. जो आने वाले वक़्त में चीन को बड़ा फायदा देगा. चीन क्या कोई भी मुल्क ये बिल्कुल भी नहीं चाहेगा कि जब उसने कहीं पैसा लगाया हो तो उसे वहां से नुकसान उठाना और जग हंसाई का सामना करना पड़े.
मसूद अजहर के आतंकी कारनामे, जो अपने आप में सबूत हैं:
ध्यान रहे कि, चाहे 13 दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला हो. या फिर 2 जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुआ हमला और अब जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF जवानों को ले जा रही बस पर हमला. सभी घटनाओं के लिए जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को जिम्मेदार ठहराया गया है. जैश पर यूएन सख्त हो ये मांग लम्बे समय से की जा रही है.
ज्ञात हो कि साल 2016 में दो बार ऐसे मौके आए जब जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी घोषित करने में चीन ने अवरोध डाला था. एक तरफ पूरी दुनिया के सामने चीन ये कहता हो कि वो तमाम तरह के आतंकवाद के खिलाफ है. वहीं दूसरी तरफ जैसे वो मसूद और उसकी संस्था पर "टेक्नीकल होल्ड" के नाम रहमदिली दिखा रहा है कहीं न कहीं उसका दोहरा चरित्र जाहिर कर देता है. चीन की ये हरकत दुनिया को बताती है कि आतंकवाद के प्रति कही गई बातों के मद्देनजर चीन की कथनी और करनी में एक बड़ा अंतर है.
रिपोर्ट्स के अनुसार 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के बीच चीन एकमात्र ऐसा देश था जिसने अजहर पर प्रतिबंध का विरोध किया था. दिलचस्प बात ये है कि तब सऊदी अरब जैसे देश में भी भारत का समर्थन करते हुए कहा था कि जैश ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए.
भारत लम्बे समय से मांग कर रहा है कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए
इस कदम पर तब चीन की खूब आलोचना हुई थी. मौलाना को वैश्विक आतंकी की लिस्ट में डालने के संबंध में जब चीन के उप विदेश मंत्री ली बोडॉन्ग से पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि, चीन ने सभी तरह के आतंकवाद का विरोध किया है. कांउटर टेररिज्म पर किसी तरह के डबल स्टैंडर्ड्स नहीं होने चाहिए. न ही आतंकवाद-निरोध के नाम पर किसी को अपना राजनीतिक लाभ हासिल करना चाहिए. यानी चीन ने तब इस बात को साफ कर दिया था कि भारत, मौलाना मसूद अजहर के मामले में राजनीतिक लाभ ले रहा है.
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