केरल की वायनाड सीट क्यों राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए संजीवनी है
राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. आइये नजर डालते हैं उन कारणों पर, जिन्हें जानने के बाद हमारे लिए ये समझने में आसानी होगी कि आखिर क्यों ये सीट कांग्रेस के लिए बहुत जरूरी है.
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आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर केरल की वायनाड सीट जो पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय बनी हुई थी अब कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण सीट बन गई है. ये सीट चर्चा में क्यों आई वजह हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी. अमेठी के अलावा राहुल गांधी वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ेंगे. राहुल गांधी के इस सीट से चुनाव लड़ने से कांग्रेस को केरल में संजीवनी मिल सकती है जो भविष्य में विधानसभा चुनाव में खासी फायदेमंद साबित होगी.
कांग्रेस हेडक्वार्टर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ए.के.एंटनी ने राहुल गांधी के वायनाड सीट से लड़ने की खबर दी. वैसे तो इस सीट से लड़ने के कई अहम कारण हैं पर अभी तो घोषणा के साथ ही इसपर राजनीति शुरू हो गई है. CPI(M) के प्रकाश करात के अनुसार राहुल गांधी जैसे कैंडिडेट का वायनाड सीट से लड़ना ये बताता है कि कांग्रेस केरल में लेफ्ट के खिलाफ जंग छेड़ चुकी है. हम इसके खिलाफ हैं और हम काम करेंगे ताकि राहुल गांधी को हराया जा सके.
Prakash Karat, CPI(M) ex-General Secy: To pick a candidate like Rahul Gandhi against Left means that Congress is going to target the Left in Kerala. This is something which we will strongly oppose & in this election we will work to ensure the defeat of Rahul Gandhi in Wayanad. pic.twitter.com/uIjLgDhxF4
— ANI (@ANI) March 31, 2019
ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव ओमान चांडी ने कहा था कि, 'राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने को लेकर कोई भ्रम नहीं है. यहां हमारी पार्टी ने पहले ही हमारी इच्छा व्यक्त कर दी है कि ऐसा होना चाहिए. अब यह फैसला गांधी को लेना है'.
माना जा रहा है कि यदि वायनाड से राहुल चुनाव लड़ते हैं तो इससे केरल में कांग्रेस को बल मिलेगा
पूरे मामले में एक मजेदार बात ये भी है न सिर्फ चांडी बल्कि विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मुल्लपल्ली रामचंद्रन और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वी.एम.सुधीरन, एम.एम. हसन समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी से इस सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था.
keral के सभी प्रमुख नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ें
आपको बताते चलें कि लोकसभा का परिसीमन होने के बाद साल 2008 में वायनाड लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. यह कोझिकोड, मलाप्पुरम और वायनाड संसदीय क्षेत्र को मिलाकर बनी है. परसीमन के बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. कह सकते हैं कि साल 2009 में बना वायनाड संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का के लिए किसी महत्वपूर्ण दुर्ग से कम नहीं है. बात अगर साल 2009 और 2014 के संसदीय चुनावों की हो तो में यहां से कांग्रेस नेता एम.आई. शानवाज जीते थे. लेकिन 2018 में उनके निधन के बाद से यह सीट खाली है. वहीं यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष टी सिद्दीकी, जिन्हें पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था, उन्होंने इस सीट को लेकर पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि यह मेरे और राज्य के लिए एक सम्मान की बात थी कि मैं पीएम इन वेटिंग के लिए अपनी सीट का त्याग करूं.
तो आइये नजर डालते हैं उन कारणों पर, जिन्हें जानने के बाद हमारे लिए ये समझने में आसानी होगी कि आखिर क्यों ये सीट कांग्रेस के लिए जरूरी है और कैसे ये डूबती हुई कांग्रेस को तिनके का सहारा दे सकती है.
वायनाड सीट को कांग्रेस का एक मजबूत किला माना जा सकता है
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र
वायनाड लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. 2009 और 2014 में इस सीट से जीते एम आई शानावाज के इतिहास पर अगर गौर करा जाए तो मिलता है कि उन्होंने अपने दोनों ही कार्यकाल में कम्यूनिस्ट पार्टी को एक बहुत बड़े अंतर से हराया था और इस जीत में इन्हें क्षेत्र के मुसलमानों से पूरा समर्थन मिला था. चूंकि ये सीट कोझिकोड में आती है जो मालाबार की राजधानी है. साथ ही एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते केरल की राजनीति में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है. अतः पार्टी का ये फैसला कहीं न कहीं आगामी विधानसभा में पार्टी कोमजबूती प्रदान करेगा.
कह सकते हैं कि केरल में राहुल को लाकर कांग्रेस मुस्लिम समुदाय का विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है
बड़ी मुस्लिम आबादी
देश की राजनीति में कांग्रेस की पहचान एक ऐसी पार्टी के रूप में है जो मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए जानी जाती है. करीब 50 प्रतिशत की मुस्लिम आबादी वाले वायनाड लोकसभा क्षेत्र का यदि अवलोकन करा जाए तो मिलता है कि एरानाड, वंडूर और निलाम्बूर इस सीट के अंतर्गत आने वाले मलाप्पुरम के वो जिले हैं जहां एक बड़ी मुस्लिम आबादी वास करती है. इसके अलावा सुल्तान बथेरी और कल्पेट्टा में भी काफी मुस्लिम हैं. इसलिए अगर कांग्रेस यहां से राहुल गांधी को उतारती है तो कहीं न कहीं मुस्लिम समुदाय के वो लोग अवश्य ही राहत की सांस लेंगे जो पिछले काफी दिनों से इस बात को लेकर परेशान हैं कि पार्टी ने अपनी राजनीति से मुसलामानों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. कह सकते हैं कि शायद ये फैसला लेकर कांग्रेस सूबे के मुसलमानों के बीच विश्वास पैदा करने का जतन कर रही है.
अतः उपरोक्त बातों से खुद ब खुद ये साफ हो जाता है कि ये सीट कांग्रेस सके लिए बहुत जरूरी है. बहरहाल, कांग्रेस की ये सीट राहुल गांधी को मैदान में तो ले आई है, अब इस सीट पर जीत दर्ज करवाने के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस किस तरह अपनी रणनीति बनाती है ये देखना होगा.
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