क्यों मायावती इतनी अहम हो गई हैं?
लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व भी मायावती को अपने साथ जोड़ने को लेकर उत्सुक है. हालिया दिनों में जिस प्रकार से अनुसूचित जातियों को अपने साथ लाने के लिए भाजपा प्रयत्न में लगी है उसमें मायावती का साथ उनके लिए सोने में सुगंध के सामान हो सकता है.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा में 19 सीट (403 में से), राज्यसभा में चार सीट और लोकसभा में कोई भी सीट नहीं. आंकड़ों की नजर में वर्तमान में मायावती और उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की कुल हैसियत इतनी ही है. हालांकि इसके उलट इन चुनावों के दौर में मायावती की अहमियत सीटों के आंकड़ों से कई गुना ज्यादा हो गई है, या यू कहें कि अगले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मायावती सत्ता की चाभी हो गयी हैं तो कहना गलत नहीं होगा.
दरअसल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में विपक्ष एक महागठबंधन बन सत्तासीन नरेंद्र मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी से लोहा लेना चाहता है. और इसके लिए कांग्रेस सभी विपक्षी पार्टियों को एकसाथ लाने की कोशिश में लगी है, और सत्ता पाने के लिहाज से 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की अहमियत काफी बढ़ जाती है. ऐसे में कांग्रेस की हरसंभव कोशिश होगी कि वो मायावती को अपने पाले में ले आये.
लोकसभा चुनावों में मायावती सत्ता की चाभी की तरह हो गयी हैं
हालांकि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही है, एकतरफ जहां कांग्रेस लोकसभा के लिए तो मायावती की पार्टी का साथ चाहती है मगर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के आगामी चुनाव में वो मायावती के साथ गठबंधन करने के मूड में दिखती नहीं है. शायद कांग्रेस को लगता है कि वह इन राज्यों में मजबूत है और वह अपनी सीटों में कटौती करना नहीं चाहती. और इसी का नतीजा है कि मायावती ने छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी, भले ही इस गठबंधन को कोई विशेष लाभ मायावती की पार्टी को ना मिले मगर यह गठबंधन कांग्रेस को जरूर नुकसान पहुंचा सकता है.
कांग्रेस के लिए परेशानी यह भी है कि बिना सपा- बसपा को साथ लिए वह लोकसभा के चुनावों में उत्तर प्रदेश में बेहतर कर पाए इसकी संभावना कम ही है. भले ही लोकसभा चुनावों में मायावती को एक भी सीट नहीं मिली थी मगर उनकी पार्टी को मिले वोट प्रतिशत में कोई खास कमी नहीं आयी थी, कह सकते हैं कि मायावती का वोट बैंक उनसे बहुत ज्यादा छिटका नहीं था. और ऐसे में मायावती को अपने साथ लाने या कहें कि सपा बसपा के गठबंधन में जगह पाने को लेकर कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
दूसरी तरफ उड़ती उड़ती खबर यह भी है कि लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व भी मायावती को अपने साथ जोड़ने को लेकर उत्सुक है. हालिया दिनों में जिस प्रकार से अनुसूचित जातियों को अपने साथ लाने के लिए भाजपा प्रयत्न में लगी है उसमें मायावती का साथ उनके लिए सोने में सुगंध के सामान हो सकता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भाजपा देश भर में बसपा को सीट देकर गठबंधन करना चाह रही है, हालांकि इनको लेकर बहुत ज्यादा सूचना नहीं आई हैं.
कह सकते हैं कि देश के दोनों प्रमुख दल आने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर मायावती की अहमियत को समझ रहे हैं, हालांकि मायावती किसके साथ जाना पसंद करेंगी यह तो कुछ समय बाद ही पता चल पाएगा, मगर इस स्थिति ने मायावती की अहमियत काफी बढ़ा दी है.
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