उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने साधा बड़ा वोट बैंक
योगी सरकार ने एक निर्णय लेकर उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी की सूची में शामिल कर दिया है. योगी सरकार का कहना है कि ये जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा पिछड़ी हुई हैं.
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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने प्रदेश की पिछड़ी जातियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. हाल ही में योगी सरकार ने एक निर्णय लेकर उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी की सूची में शामिल कर दिया है. इन जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने के पीछे योगी सरकार का कहना है कि ये जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा पिछड़ी हुई हैं. अब इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र दिया जाएगा. राज्य सरकार ने इसके लिए जिला अधिकारियों को इन 17 जातियों के परिवारों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया गया है.
अनुसूचित जाति में शामिल की गयी ये 17 पिछड़ी जातियां निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा, गौड़ हैं. इन पिछड़ी जातियों को अब एससी कैटेगरी की लिस्ट में डाल दिया गया है. अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल की गयी ये सभी 17 जातियां वास्तव में बहुत पिछड़ी हुयी है तथा इनकी आर्थिक स्थिति भी काफी कमजोर है. इन जातियों के लोग काफी समय से उनको अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की मांग करते आ रहें हैं. मुख्यमंत्री योगी के इस फैसले से इन सभी 17 जातियों के लोगों को सरकारी योजनाओं को और अधिक लाभ मिलने लगेगा जिनसे उनका जीवन स्तर उपर उठेगा. उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगा. योगी सरकार द्वारा लिये गये इस फैसले को इन सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ प्रदान करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. योगी सरकार ने इन 17 जाति समूहों द्वारा 15 साल से की जा रही मांग को पूरा किया है.
योगी सरकार ने अन्य पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल कर दिया है.
इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा कि इन सभी जातियों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति निम्न स्तर की है और ये जातियां अनुसूचित जाति की सूची में शामिल होने की सभी शर्तें पूरी करती हैं. साथ ही इन जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग की सूची में शामिल किए जाने से वर्तमान अनुसूचित जातियों को कोई नुकसान भी नहीं होगा. उत्तर प्रदेश की 12 विधानसभा सीटों पर शिघ्र ही होने वाले उपचुनाव से पहले राज्य सरकार द्वारा उठाये गये इस कदम से भारतीय जनता पार्टी को फायदा होने के आसार हैं. इससे बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में कमी आना स्वाभाविक है.
हालांकि, इससे पहले की सरकारों ने भी ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन वो सफल नहीं हो पायी थी. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इस कोशिश पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी. लेकिन कुछ महीने पहले कोर्ट ने लगायी गयी रोक हटा दी थी जिसके बाद ये सरकारी आदेश जारी हुआ है. इस पर अभी अंतिम फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट से आना बाकी है. ऐसा माना जा रहा है कि योगी सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ेगी. माना कुछ दिनों में ही यूपी में विधानसभा के उप चुनाव होने हैं, ऐस में सरकार का यह फैसला पिछड़ी जातियों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है.
2004 में मुलायम सिंह यादव मे मुख्यमंत्रीत्व काल में भी एक प्रस्ताव पेश कर तत्कालीन सपा सरकार ने पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित वर्ग में शामिल करने के लिए उप्र लोक सेवा अधिनियम, 1994 में संशोधन किया था. लेकिन किसी भी जाति को अनुसूचित जाति घोषित करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है. उस समय केंद्र सरकार की सहमति नहीं मिलने के कारण मुलायम सरकार का फैसला निर्थक साबित हुआ था. बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को असंवैधानिक और व्यर्थ घोषित कर फैसले को रद्द कर दिया.
2012 में जब अखिलेश यादव सत्ता में आए तो उनकी सरकार द्वारा एक और प्रयास किया गया. सरकार ने तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर इस संबंध में समाज कल्याण विभाग से विवरण मांगा गया था. जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर 17 से अधिक पिछड़ी उप-जातियों को हिस्सा बनाना शामिल था. हालांकि इस मामले को बाद में केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले को प्रदेश में एक बड़े वोट बैंक को साधने के मास्टर स्ट्राक के तौर पर देखा जा रहा है. इससे जहां मायावती का अनुसूचित जाति वर्ग के वोटो पर से एक छत्र प्रभाव कम होगा वहीं भाजपा से इन जातियों के सहारे एक बड़ा वोट बैंक जुड़ेगा जिसका उसे आने वाले चुनावों में लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री योगी के इस फैसले से बसपा नेता मायावती व सपा नेता अखिलेश यादव के पिछड़े वोट बैंक में भाजपा ने सेंध लगा दी है. वहीं योगी मंत्रीमंडल से बर्खास्त किये गये मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी सरकार के फैसले से हासिये पर आयेगें. उनके राजभर समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने ये उनकी जाति के वोटो का भी भाजपा से पूर्णतया जुड़ाव होगा.
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