1943 की 5वीं कक्षा में कॉमर्स पेपर था, जरा सबूत देखिए कि क्यों पढ़ाई करना टेढ़ी खीर था!
इंटरनेट पर वायरल एक 80 साल पुराने कॉमर्स के पेपर ने बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों के माथे पर बल ला दिया है. और वो भी इस बात को मान गए हैं कि पुराने ज़माने में हाई स्कूल तक की पढ़ाई करना वाक़ई अपने में टेढ़ी खीर थी.
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कहावत, बड़े बुजुर्गों के बीच आज भी जस की तस है कि चाहे वो पुराने दौर की खिलाई पिलाई हो या फिर लिखाई पढ़ाई उसका आज भी किसी से कोई मुकाबला नहीं है. अब तक जब भी किसी बड़े के मुंह से इस कहावत को सुना महसूस यही हुआ था कि शायद पुराने लोग अपना भौकाल मेंटेन करने के लिए बातों को अतिरंजित कर रहे हैं लेकिन आज आंखें तब खुली जब नजरों के सामने से कॉमर्स का वो अर्धवार्षिक प्रश्न पत्र गुजरा जो 1943-44 के बीच का है. सवालों का जो लेवल 80 साल पुराने उस पेपर में है दिल इस बात पर यकीन करने को मजबूर हो जाता है कि तब हाई स्कूल पास करना आज आईआईएम में एडमिशन के लिए कैट की सीरियस तैयारी करने जैसा है.
आज पढ़ाई भले ही सुगम हो लेकिन अब से 80-90 साल पहले ऐसा नहीं था
दरअसल इंटरनेट पर आज से 80 साल पुराना 1943-44 का कक्षा 5 का कॉमर्स का एक पेपर जंगल की आग की तरह वायरल हुआ है. वायरल क्वेश्चन पेपर में जैसे सवाल हैं उन्होंने बड़े बड़े ज्ञानियों और बुद्धिजीवियों को सकते में डाल दिया है. तमाम लोग हैं जिन्होंने इन सवालों को हल करने की कोशिश तो की लेकिन क्वेश्चन पेपर इतना टफ था कि उन्होंने फ़ौरन ही अपने हथियारों को डाल दिया.
Look at the standard of #Class_V papers in the half yearly #examination in 1943-44 in #India. The #matric_system has made the system so easy! pic.twitter.com/kMYoP2fgnL
— Badri Lal Swarnkar IAS (Retired) (@BLSwarnkar2) May 2, 2023
जिक्र जब शिक्षा का हो रहा हो तो विषय खुद में बहुत सीधा है. आज भले ही स्कूल, कॉलेज, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स बच्चों को स्मार्ट लर्निंग की तरफ प्रेरित कर रहे हों. लिखाई पढ़ाई को मनोरंजक बनाने के लिए तमाम तरह के शार्ट कट्स लिए जा रहे हों. लेकिन पूर्व में ऐसा नहीं था. शिक्षा का हक़ समाज में हर किसी को नहीं हासिल था इसलिए जो भी लोग पढ़ाई कर रहे थे वो सिर्फ पढ़ाई कर रहे थे और पूरी शिद्दत से कर रहे थे. नतीजा ये निकला कि जो भी लोग पढ़ लिख कर निकले वो सच में जानकार थे और उन्हें विषयों की समझ थी.
बात वायरल क्वेश्चन पेपर की हुई हुई है तो बताते चलें कि इस प्रश्न-पत्र का पूर्णांक 100 है, जिसमें पास होने के लिए कम से कम 33 अंक लाना अनिवार्य है. पेपर में सिर्फ 10 प्रश्न दिए गए हैं, जिन्हें हल करने के लिए 2.30 घंटे का समय दिया गया है. प्रश्न-पत्र में एक नोट भी है जिसमें एग्जाम देने आए बच्चों से कहा गयाहै कि, 'निम्नांकित प्रश्नों के गुरू लिखो तथा गुरू की रीति से ही हल करो और कोई आठ प्रश्न करो.'
पेपर में दिए गए इन 10 प्रश्नों में से 8 को हल करना अनिवार्य है. 1943-44 के बीच पढ़ाई कितनी टफ थी उसका अंदाजा इस क्वेश्चन पेपर को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. क्वेश्चन पेपर में कॉमर्स से जुड़े अलग-अलग तरह के सवाल पूछे गए हैं और इन सवालों की खास बात ये है कि इन्हें लॉजिक और रीजनिंग के जरिये ही हल किया जा सकता है.
पेपर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक अलग किस्म की बहस की शुरुआत हो गयी है. कुछ लोग हैं जिन्होंने इस क्वेश्चन पेपर को देखने के बाद अपने ज्ञान में छींटे मारने शुरू कर दिए हैं और इसे फेक बताया जा रहा है तो वहीं इंटरनेट पर ऐसे भी यूजर्स हैं जिनका एक सुर में यही कहना है कि सोचने वाली बात यही है कि जब कक्षा 5 का प्रश्न पत्र इतना तफ है तो फिर आठवीं, हाई स्कूल और इंटर में सवालों का लेवल क्या होता होगा?
वाक़ई आज जब पांचवी के जवाब निकालने में लोगों को पसीने आ रहे हैं तो सोचिये सवाल अगर उसकी बाद के क्लास के होते तो लोगों का क्या हाल होता? सच है आज से 80 -90 साल पहले न तो पढ़ाई आज की तरह आसान थी और न ही तब के बच्चे आज के बच्चों की तरह चीजों को सहज और सुगम बनाने के लिए शर्ट कट्स का इस्तेमाल करते थे.
वायरल क्वेश्चन पेपर ने इस बात की पुष्टि स्वतः ही हमारे सामने कर दी है कि अगर आज भी पुराने ज़माने की लिखाई पढ़ाई की ताऱीफ हमारे पिता या दादा दादी, नाना नानी करते हैं तो वो यूं ही नहीं है. उसके पीछे माकूल वजह थी जिसे आज वायरल हुए क्वेश्चन पेपर ने हमें बखूबी बता दिया है.
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