समझ लीजिए कि बुर्का पुरुषों के लिए भी जरूरी क्यों है
चौक चौहरों से लेकर सोशल मीडिया तक लगातार बुर्के को लेकर चर्चा हो रही है. बुर्के को लेकर समाज दो धड़ों में बंटा हुआ है जिसमें एक धड़ बिना तार्किक बातों के इसे सही ठहराने में लगा हुआ है.
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हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात का समर्थन करते हैं कि बुर्का महिलाओं के लिए होता है और ये इन्हें बुरी नजर से बचाता है. अब तक हमने बुर्के को लेकर तरह-तरह के तर्क सुने हैं. बुर्के को लेकर कुछ तर्क सही हैं तो कुछ बेबुनियाद हैं. बुर्के के समर्थन में एक बात जो हमने सुनी है वो ये है कि जिस तरह मिठाई पर लगा रैपर मिठाई को गंदगी, धूल और मक्खियों से बचाता है उसी तरह बुर्का भी एक महिला की रक्षा बुरी नजरों से करता है.
फेसबुक पर बुर्के की एक तस्वीर लगातार वायरल हो रही है
इसी बात को ध्यान में रखकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस तस्वीर में एक महिला और एक पुरुष को दिखाया गया है. पहली दो तस्वीरों में जैसा कि होता चला आ रहा है महिला ने बुर्का पहना है और उसका मुंह ढका है जबकि तीसरी तस्वीर में महिला अपना चेहरा दिखा रही है. बाक़ी की तीन तस्वीरों में पुरुष ने बुर्का पहना है और महिला आराम से बैठी है. इस तस्वीर में अंग्रेजी भाषा में एक कैप्शन भी दिया गया है. जो कुछ इस प्रकार है "Women stare at my man in public.That infuriates me, you know? He must cover, because the beauty of a man only belongs to his wife. It is not for display. He is my lollipop, and I like my lollipops wrapped."यानी पब्लिक में महिलाएं मेरे पुरुष को घूरती है. जो मुझे परेशान करता है, तुम्हें पता है? उसे पर्दे में रहना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि एक पुरुष की सुन्दरता केवल उसकी महिला के लिए होनी चाहिए. ये प्रदर्शन के लिए नहीं है. मेरा पुरुष मेरा लॉलीपॉप है और मुझे मेरा लॉलीपॉप ढंका हुआ अच्छा लगता है.
आपको बताते चलें कि फेसबुक पर इम्तिआज़ महमूद नाम के व्यक्ति की इस पोस्ट को लगातार शेयर किया जा रहा है. लोग इस मुद्दे पर अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस तस्वीर को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि ये तस्वीर व्यंग्य है. ये एक ऐसी तस्वीर है जो उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ती है जो बुर्के का समर्थन तो करते हैं मगर जब उनसे तार्किक बात की जाती है तो वो अपनी अज्ञानता के कारणवश अपनी बगले झांकने लगते हैं.
आज पर्दे और बुर्के को लेकर लोगों के पास अजीब अजीब तर्क हैं
ध्यान रहे, बात जब बुर्के के समर्थन की आती है तो बुर्के और पर्दे के हिमायती ऐसे-ऐसे अनोखे तर्क रखते हैं जो न सिर्फ हास्यास्पद हैं. बल्कि ये भी बता देते हैं कि तमाम तरह के शिक्षा के दावों के बादजूद विकास के क्रम में ये आज भी अपनी आदिम सोच के कारण कहीं पीछे हैं. कहना गलत नहीं है कि आज बुर्के का समर्थकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो तमाम मुस्लिम देशों को कॉपी करते हुए अपने घर की महिलाओं पर बुर्का थोप रहा है. ऐसे कट्टरपंथी लोगों को इस बात से भी कोई मतलब नहीं है कि वो जिनपर अपनी मर्जी थोप रहे हैं उन महिलाओं को बुर्का धारण करने में कोई रूचि है भी या नहीं.
बहरहाल, बात इस तस्वीर की हो रही है तो हमारे लिए ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि इस तस्वीर ने उन लोगों की मानसिकता को बेनकाब किया है जिनका चरित्र तब दोहरा हो जाता है जब बात महिलाओं और उनकी स्वतंत्रता की आती है. ये लोग खुद तो अपना जीवन खुलकर जीना चाहते हैं मगर बात जब इनके अपने घर की महिलाओं की आजादी की होती है तो इन्हें सांप सूंघ जाता है. ऐसे समय में ये लोग यही जतन करते हैं कि कैसे भी वो महिलाओं की नकेल कस लें और उन्हें काबू कर लें.
इस पूरे मामले से एक निष्कर्ष ये भी निकालता है कि बुर्के के लिए जितने जिम्मेदार पुरुष हैं उतनी ही जिम्मेदार महिलाएं हैं. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यदि पुरुष अपने तरीके से अपनी जिंदगी जीना चाहता है तो महिलाओं को भी अधिकार है कि वो अपनी जिंदगी को एन्जॉय करें. जिन महिलाओं को बुर्के के लिए बाध्य किया जा रहा है उन महिलाओं को सोचना होगा कि उन्हें अपनी आवाज खुद उठानी होगी. जब तक वो अपनी मदद खुद नहीं करेंगी कोई भी उनकी मदद के लिए सामने नहीं आने वाला.
चूंकि बात तस्वीर से शुरू हुई है तो हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि इस तस्वीर के जरिये महिलाओं को एक बड़ा सन्देश मिला है. यदि पुरुष उन्हें टॉफ़ी समझ रहे हैं तो उन्हें भी अधिकार है अपने पुरुष को लॉलीपॉप समझ कर ढंक कर रखने का.
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