Baba Ka Dhaba के बाद 'अम्मा की रसोई' इंटरनेट का नया सेंसेशन है!
दिल्ली में बाबा का ढाबा (Baba Ka Dhaba) की अपार सफलता के बाद आगरा की 'अम्मा की रसोई' (Amma Ki Rasoi) इंटरनेट का नया सेंसेशन है. ये देखना सुखद है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया ने नफरत के इस दौर में कुछ तो अच्छा किया और लोगों का जीवन बदला.
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अभी दिन ही कितने हुए हैं. मानो कल की बात है. दिल्ली के मालवीय नगर में हनुमान मंदिर के पास खाने का एक ठीहा हुआ करता था. रिक्शे वाले, ऑटो वाले, कामगार, मजदूर आते और खाना खा कर चले जाते. ग्राहक जब ऐसे हों तो सुविधा और रेट क्या होंगे इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. ढाबे से बाबा की दो जून की रोटी चल रही थी फिर लॉक डाउन हुआ तो बाबा का बिजनेस बिल्कुल ठप हो गया. दिन के 80 - 100 रुपए कमाना मुश्किल. 80 साल के बाबा की हालत पतली हो गयी. बात बीते दिनों की है एक यूट्यूबर बाबा के ढाबे (Baba Ka Dhaba) में आया और उसने बाबा के ढाबे की हालत का मार्मिक वर्णन करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला. वीडियो जंगल की आग की तरह वायरल (Baba Ka Dhaba Viral Video) हुआ नतीजा ये निकला कि आज देश के सभी बड़े ब्रांड बाबा के ढाबे में जगह पाने को बेकरार हैं. हालिया दिनों में जिस ठीहे पर परिंदा पर नहीं मार रहा था आज वहां महंगी गाड़ियों और लोगों की लंबी लाइन है. लोग खाना खा रहे हैं. पैक करा रहे हैं सेल्फी ले रहे हैं भरपूर एन्जॉय कर रहे हैं. वो बाबा जो कल तक अपनी दुकान पर बैठकर मक्खियां हांकते थे आज उन्हें बात करने की फुरसत नहीं है. ये थी सोशल मीडिया की पावर. आज बाबा जिस मुकाम पर हैं उसकी एकमात्र वजह सोशल मीडिया है. बाबा से ही मिलती जुलती कहानी है ताज नगरी आगरा की रोटी वाली अम्मा (Roti Wali Amma) की. बाबा का ढाबा को सफल बनाने के बाद सोशल मीडिया योद्धाओं का अगला पड़ाव रोटी वाली अम्मा (Amma Ki Rasoi) को समृद्धि दिलाना है. आगरा के सेंट जॉन्स चौराहे पर एमजी रोड के पास रोटी वाली अम्मा की दुकान है. किसी सोशल मीडिया यूजर की नजर इसपर पड़ी वीडियो वायरल हुए. मीडिया में ख़बर आई और वो अम्मा जो अब तक सन्नाटे में थीं उनके हाथ की चूल्हे पर पकी रोटी खाने लोग आने लगे हैं.
बाबा जा ढाबा के बाद सोशल मीडिया ने आगरा की अम्मा की भी किस्मत बदल दी है
अभी दो दिन पहले की बात है अम्मा रोटियों के न बिकने से परेशान थीं मगर आज जब सोशल मीडिया पर उनकी रोटियों का चर्चा है लोगों की ठीक ठाक संख्या उनके पास रोटी खाने आ चुकी है. अम्मा खुश हैं उनके चेहरे पर मुस्कान है वो उन सभी को दुआएं दे रही हैं जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव में उनकी मेहनत और खुद्दारी को समझा और उसे उचित सम्मान दिया. बताते चलें कि अम्मा की दुकान कोई आज की नहीं है.
ये बूढ़ी अम्मा आगरा में St.John कॉलेज के पास लोगों को खाना खिलाकर अपना पेट पालती हैं। लॉकडाउन के बाद से बहुत परेशान हैं। आइये हम सब सोशल मीडिया के ज़रिए इनका सहारा बनना का प्रयास करें। जो भी आगरा में रहता है, इनके पास ज़रूर जाएं। इनका आशीर्वाद अमूल्य है।#RotiWaliAmma pic.twitter.com/qSNr8CERgM
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) October 19, 2020
अम्मा यानी 80 साल की भगवान देवी गुजरे 15 साल से आगरा के सेंट जॉन्स चौराहे पर चूल्हे पर पकी रोटियां बेच रही हैं. ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है कि अम्मा के बच्चों ने उन्हें अपने साथ रखने से मना कर दिया लेकिन ये अम्मा का जज्बा ही था कि किसी के सामने हाथ फैलाने से बेहतर उन्होंने दुकान खोली और रोटियां बेच कर अपना जीवनयापन किया.
Agra wali Amma ki Rasoi @ranveerbrar #VocalForLocal #SupportLocal #BabaKaDhaba #ammakirasoi #agra #streetfood pic.twitter.com/znDqL58WbM
— Gaurav Wasan (@gauravwasan08) October 17, 2020
बात अम्मा के मेन्यू कि हो तो महंगाई के इस दौर में आज भी उनकी दुकान पर दस रुपए में एक प्लेट चावल तो वहीं 20 रुपए में 4 रोटियों के साथ 2 तरह की सब्जी मिलती है. बीते कुछ दिनों से मुफ़लिसी का शिकार अम्मा भगवान देवी का कारोबार आज फिर चल निकला है. जो आंखें कल तक ग्राहक तलाश रहीं थीं आज ये देख रही हैं कि कहीं रोटियां कच्ची तो नहीं रह गईं या फिर उन्होंने उसे ज्यादा तो नहीं पका दिया.
#Ammakirasoi#BabaKaDhabha Big thanks to Swad Official ❤️❤️❤️???????? pic.twitter.com/d53qAhzhZQ
— Sarcastic_Sanket (@SanKi_Baaat) October 17, 2020
गौरतलब है कि जैसे ही अम्मा भगवान देवी की तंगहाली की दास्तां सोशल मीडिया पर आई लोगों का दिल पिघला. बात इस वक़्त की हो तो वो लोग जो प्रायः साफ सफाई की बात कहकर रोड साइड फ़ूड को देखकर नाक भौं सिकोड़ते थे आज वो लोग भी अम्मा के ठीहे पर उनके हाथ से पकी रोटियां खाने के लिए बेकरार हैं. रोटियों के लिए लोग कतार में हैं और अपनी पारी का इंतेजार कर रहे हैं. अम्मा ठेठ देसी अंदाज में रोटियां पका रही हैं और लोग उनका लुत्फ ले रहे हैं.
If you guys are from AGRA, PLEASE HELP HER..????????#ammakirasoi #help #Agra pic.twitter.com/sopSzuT8Rw
— प्रियांशी दीक्षित????????????️ (@BrahminGal) October 19, 2020
चाहे आगरा की अम्मा भगवान देवी हों या फिर दिल्ली के मालवीय नगर के कांटा प्रसाद दोनों ही बीते दिनों तंगहाली की ज़िंदगी जी रहे थे लेकिन आज इन दोनों का वक़्त बदला है. इन दोनों ही लोगों का वक़्त क्यों बदला इसकी एक बड़ी वजह सोशल मीडिया है. ज्ञात हो कि ये एक ऐसा वक़्त है जब नफरत अपने चरम पर है. सोशल मीडिया टूल चाहे वो फेसबुक हो या फिर ट्विटर उनका इस्तेमाल उन चीजों के लिए किया जा रहा है जो साफ तौर पर देश की अखंडता और एकता को प्रभावित कर रही हैं.
This is what Baba ka Dhaba looks like now. It's good for Baba that he's getting all the attention and there'll be spike in his sales. A source also mentioned that Baba has received around 2 crore rupees as donation so far (I can't say to be exact) which is again good for him. BUT pic.twitter.com/OowLzDiWkD
— Madhur (@ThePlacardGuy) October 11, 2020
ऐसे में यदि उसी सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए हो रहा है तो ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि सोशल मीडिया पर यदि अंधेरे की भरमार है तो उजाले की किरण भी है जो रोते हुए लोगों के मुस्कुराने की वजह है.
इन दोनों मामलों को देखकर हम बस ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि वो लोग जो इंटरनेट को तमाम बुराइयों की वजह मानते हैं उन्हें आगरा और दिल्ली से प्रेरणा लेनी चाहिए और इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि नफरतों के इस दौर में अच्छाई भी है और हमें उसे हाथों हाथ लेते हुए उसका प्रोत्साहन करना चाहिए.
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