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Updated: 26 जून, 2017 08:44 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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हमारे देश की शायद ही कोई ऐसी लड़की होगी जिसने कभी भी सड़क पर छेड़खानी का अनुभव न किया हो. गंदे इशारे, भद्दे कमेंट्स, गंदी नजरों का सामना करना सड़क पर चल रही हर लड़की की जिंदगी का हिस्सा रहे हैं. पर ऐसी हरकतों के खिलाफ आवाज उठाने वाली लड़कियां बहुत कम ही होती हैं.  

मेंगलुरू की 22 साल की रश्मी शेट्टी भी इसी तरह सड़क पर छेड़खानी से परेशान थीं जिसका जिक्र उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में किया, जो इस वक्त वायरल हो गई है.

rashmi2650_062617070717.jpgरश्मी नालंदा यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा हैं.

रश्मी का कहना है कि 'मैं इसे इग्नोर भी कर सकती थी क्योंकि, उसने मुझे छुआ या ऐसा वैसा कुछ नहीं किया था. लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि मेरे जीवन के बीते कुछ साल इन्हीं अनुभवों में बीते हैं. इस इंसान को शायद अब तक इस तरह की हरकत करने के लिए बढ़ावा मिला होगा, इसलिए मैंने उसे सोशल मीडिया पर एक्सपोज़ करने का फैसला किया क्योंकि मैं उसे सबक सिखाना चाहती थी'. और इसलिए रश्मी ने उस लड़के के स्कूटर की नंबर प्लेट से उसकी जानकारी निकाली और उसे फेसबुक पर शेयर कर दिया. और लिखा...

facebook post, harassmentछोड़खानी करने वाले युवक की स्कूटर की डीटेल्स को सार्वजनिक किया गया'' KA 19 EU 0932

तुम्हें लगा होगा कि मैं डर गई होंगी, या फिर मैं शर्मिंदा होउंगी, है न?

इस नंबर का स्‍कूटर जिस लड़के के पास है, उसने आज मैंगलोर की व्यस्त सड़क पर मेरा पीछा किया. शहर के बीच दोपहर 3 बजे एलोयसियस कॉलेज से बलमत्ता तक. सड़क पर चलती एक महिला का पीछा करना कितनी हिम्मत का काम है जबकि तीस कदम की दूरी पर ही पुलिस का झुंड मौजूद हो.

तुम्हें लगता है कि तुम जैसा कोई जब चाहे मुझे घूर सकते है, मुझे रोक सकते है, या मुझपर हॉर्न बजा सकते है? और इन सबके बाद मैं शर्मिंदा होकर रह जाउंगी कि मैं इस देश में क्‍यों जन्मी? तुम सोचते हो कि मैं डर कर इतना तेज दौड़ूंगी और तुम्हारी बाहों में समा जाउंगी? तुम सोचते हो कि तुम और तुम्हारे गैंग के फोन कॉल्स मुझे डरा देंगे, कि मैं कभी घर से अकेली बाहर नहीं निकलूंगी? तुम्हें इतना भरोसा है कि कभी अगर मैं मदद के लिए आवाज भी दूं तो तुम्हें दोषी नहीं ठहरा पाउंगी और लोग मेरा साथ देने के बजाए मुझपर यकीन तक नहीं करेंगे?

लेकिन देखो न, मैंने क्या किया. ये गलियां उतनी मेरी भी हैं जितनी कि तुम जैसे आवारा लोगों की. तुम क्या, तुम्हारे जैसे सैकड़ों भी मुझे डरा नहीं पाएंगे कि मैं आजाद न होकर घर पर ही रहूं. ये तुम्हारे लिए हर मजबूत लड़की की तरफ से संदेश है कि अगर तुमने हमारी आजादी पर बंदिशें डालने की कीशिश की तो हम उसका जवाब देंगे और तुम्हें सबक सिखाएंगे. मैं बस तुम्हारी एक हरकत का इंतजार कर रही थी, जिससे मैं अपनी चप्पल तुम्हारे चेहरे पर रसीद कर सकूं. और तुम्हें लगता है कि तुम गुमनामी के पर्दे के पीछे रहकर कुछ भी कर सकते हो? पर अब मैं जरा भी गुमनाम नहीं हूं, और तुम्हें भी रहने नहीं दूंगी. और एक बार फिर बता दूं कि मैं तुमसे डरती नहीं हूं.

उम्मीद है कि ये बात तुम तक कैसे भी पहुंच ही जाएगी. तुम्हें लगा मुझे डरना और शर्मिंदा होना चाहिए. वो तुम हो जिसे डरना भी चाहिए और शर्मिंदा भी होना चाहिए. और हां F**K YOU.''

(रश्मी की वास्तविक पोस्ट को यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.)

रश्मी नहीं डरी और उन्होंने अपना गुस्सा कुछ इस तरह निकाला, इस उम्मीद पर कि ये शख्स जल्दी पकड़ा जाएगा. लोग रश्मी की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी बात दुनिया के सामने रखी.

पर ये भी हकीकत है कि रोज-रोज सड़क पर होती इन घटनाओं पर अब लड़कियां ध्यान नहीं देतीं, जब तक हो सकता है वो इन बातों को नजरंदाज़ करती हैं. लड़कों को जवाब देना या विरोध करना भी जरूरी नहीं समझतीं. हैरानी होगी कि केवल 30% लड़कियां ही खुद पर हो रही ज्यादतियों के बारे में आवाज उठा पाती हैं. और इसका नतीजा ये कि छेड़खानी करने वाले लोगों की हिम्मत और बढ़ती है. आज कमेंट, तो कल पीछा करेंगे और परसों हाथ पकड़ने से भी नहीं चूकेंगे. इसलिए लड़कियों के लिए जरूरी है कि वो खुद को एक मजबूत इंसान समझें, न कि चलता फिरता शोपीस जिसे देखकर कोई भी, कुछ भी कहे या कर डाले. कोई भी सड़क चलता तुम्हें गलत तरीके से देख भी कैसे सकता है, उसकी आंखें निकाल लेने वाली नजरें लड़कियों के पास भी होनी चाहिए.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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