एक आर्ट पर हुआ हमला बताता है कि देश में लड़कियां missing क्यों हैं
दीवार पर बनाए गए एक चित्र द्वारा लोगों को कुछ समझाने की कोशिश की गई थी. जिससे लोगों में जागरुकता फैले. लेकिन लड़की के सिलहूट पर चॉक से ब्रेस्ट और वजाइना भी बना दिए गए.
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कहते हैं एक चित्र 1000 शब्दों के बराबर होता है. बहुत सी बातें जो आप कहकर या लिखकर नहीं समझा सकते, वो काम एक तस्वीर या फिर कलाकृति कर देती है.
हाल ही में कोलकाता में भी एक म्यूरल यानी दीवार पर बनाए गए एक चित्र द्वारा लोगों को कुछ समझाने की कोशिश की गई थी. 'मिसिंग आर्ट प्रोजेक्ट' के सदस्यों ने देश में सेक्स ट्रेड के लिए लड़कियों की तस्करी के खतरे को बताते हुए दीवारों पर एक लड़की के काले सिल्हूटों को पेंट किया था, जिससे लोगों में जागरुकता फैले. लेकिन हमारे समाज ने उस आर्ट पर एक और आर्ट बना दी. लड़की के सिलहूट पर चॉक से ब्रेस्ट और वजाइना भी बना दिए गए.
इस तस्वीर
एक महिला ने इस तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट किया और गुस्से में लिखा-
''अगर हम एक स्टेंसिल को 'यौन हमले' से नहीं बचा सकते तो हम किसी लड़की को कैसे बचा सकते हैं. @missingirls सेक्स ट्रेड और मजदूरी के लिए लड़कियों की तस्करी के बारे में जागरुकता फैलाने की तमाम कोशिशें कर रही हैं. हम महिला अधिकारों की पुस्तकें छाप रहे हैं और यहां लोग अपने मजे के लिए एक स्टेंसिल पर ब्रेस्ट बना रहे हैं. ''
इस महिला ने बाद में इस तस्वीर पर की गई कलाकारी को साफ किया और फिर तस्वीर शेयर की.
आप सोच रहे होंगे. अरे, लोग तो ऐसा करते ही हैं. इसके लिए खामखां क्यों परेशान होना. लेकिन अगर आप ऐसा सोचते हैं और आपको इस तस्वीर को देखकर हंसी आती है तो ये भी अच्छी तरह समझ लीजिए कि ये तो सिर्फ तस्वीर थी लेकिन ये आपकी भी कोई हो सकती थी.
मैंने भी पब्लिक टॉयलेट में महिलाओं के लिए लिखी गई गालियां देखी हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी महिलाओं के अंगों के चित्र उकेरे देखे हैं. ये समाज के एक वर्ग की सोच है जो महिलाओं को सिर्फ उनके अंगों की वजह से ही जानती है. उनके लिए महिलाओं की कीमत सिर्फ ब्रेस्ट और वजाइना है. ये वही लोग हैं जो मजे के लिए किसी का दुपट्टा खींच देते हैं, यौन कुंठाओं को शांत करने के लिए ऐसे चित्र बनाते हैं और जब हार्मोन ज्यादा कुलबुलाते हैं तो किसी बच्ची को उठाकर रेप भी कर लेते हैं. ऐसे में उन विकृत दिमागों की इन घिनौनी कलाकारियों को हम अनदेखा कैसे कर सकते हैं. अफसोस जो हमने बचपन से देखा वो आज तक चल रहा है...शायद हमारे बच्चे भी यही देखते बड़े होंगे. पर हमारा समाज वैसा ही रहेगा. महिलाओं के प्रति घिनौनी सोच वाला.
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