खुले में स्तनपान इतनी बड़ी बहस का हिस्सा है ?
सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान (ब्रेस्टफीड) कराने पर एक पिता ने अपनी बेटी को टोक दिया, लेकिन वो एक मां थी जिसने समाज की इसी सोच पर अपनी बात बहुत ही बेबाकी से इंस्टाग्राम पर शेयर की है.
-
Total Shares
स्तनपान कराते वक्त ब्रेस्ट और बच्चे को आंचल से ढंक लेना उतना ही स्वाभाविक है जितना कि स्तनपान कराना. लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने को लेकर लोगों में आज भी बहस जारी है. कोई इसे गलत मानता है तो कई ऐसे भी हैं जिन्हें सबके सामने बच्चे को दूध पिलाने में कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होती.
अमेरिका की जॉन्सन सिटी में रहने वाली 23 वर्षीय मां कैली स्टेन्ले को उनके ही माता-पिता ने सार्वजनिक स्थान पर स्तनपान कराने के लिए शर्मिंदा किया. इसी मसले पर उन्होंने अपनी बात बहुत ही बेबाकी से इंस्टाग्राम पर शेयर की जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है.
कैली स्टेन्ले का कहना है-
''बीती रात मैं डिनर पर गई थी और हमेशा की तरह मेरी बेटी माया मेरे साथ थी. माया 9 महीने की है और वो परेशान हो रही थी. मुझे पता था कि उसे क्या चाहिए, उसे भूख लगी थी, लिहाजा मैं अपनी शर्ट हटाकर उसे दूध पिलाने लगी. वहीं साथ बैठे पिता ने वहां रखे कपड़े के नेपकिन को उठाकर मुझपर डालना चाहा. मैंने पूछा कि वो ये क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि वो मुझे ढकना चाह रहे हैं. हम एक ऐसे रेस्त्रां में थे जहां का माहौल इतना अच्छा था कि वहां सहज होकर बिना ढके ही बच्चे को दूध पिलाया जा सकता है. काश मैं ये कह सकती कि मैं उस परिस्थिति में विनम्र और सम्मानित महसूस कर रही थी. लेकिन नहीं, असल में मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी.
पिता ने नेपकिन से ढकने की कोशिश की |
मैं उनके पास गई और मुझे खुशी है कि मैंने ऐसा किया. क्योंकि, उनका ऐसा करना मेरे लिए अपमानजनक था. क्योंकि, किसी भी महिला को अपने बच्चे को, कभी भी और कहीं भी स्तनपान करना अनुचित या अशिष्ट महसूस नहीं होना चाहिए. स्तनपान करना अश्लील प्रदर्शन नहीं है. इसका मतलब ये नहीं कि मैं आदमियों को अपने स्तनों को घूरने के लिए न्यौता दे रही हूं. नहीं, न तो मैं अपनी शर्ट सार्वजिन स्थान या फिर एक रेस्त्रां में हटाना चाहती हूं और न ही ये चाहती हूं कि लोग मेरे स्ट्रेच मार्क्स वाले ब्रेस्ट और खरोंचे हुए निप्पल देखें. लेकिन पता है? हम यहां बैठकर इस तरह बड़ी-बड़ी बातें नहीं कर सकते कि स्तनपान कराना अच्छा होता है और फिर ये भी कहें कि इस तरह बच्चे को खुले में स्तनपान करना कितना अशिष्ट है. आप क्या उम्मीद करते हैं कि जब एक महिला का बच्चा भूखा हो तो आप स्तनपान कराने के लिए उसे कार का रस्ता दिखाएं या फिर ये उम्मीद करते हैं कि वो बच्चे को भूख से बिलखने दे. बच्चे ऐसे ही होते हैं, उन्हें ऐसे ही असहज और अजीब मौकों पर ही भूख लगती है, और उनमें से बहुतों को तो ढका जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता.
ये भी पढ़ें- स्तनपान करा रही सांसद की फोटो शेयर की और फिर...
अपनी बेटी के साथ योग करती हैं कैली |
स्तनपान बहुत ही सामान्य और प्राकृतिक है. और अगर किसी को भी मुझसे मेरे बच्चे को कहीं भी और कभी भी स्तनपान कराने से कोई परेशानी है तो वो उनकी समस्या है. ये कभी भी दूध पिलाने वाली माताओं की समस्या नहीं होनी चाहिए.
मेरे माता-पिता कहते रहे कि मुझे उनके बारे में विचार चाहिए जो इससे नाराज हो सकते हैं(वो लोग जो स्तनपान को भड़काऊ समझते हैं) पर यहां मेरा कहना ये है कि यहां विचार पुरुषों को करना चाहिए कि वो स्तनपान को कामुक न समझें. हमें पुरुषों को सफाई नहीं देनी चाहिए बल्कि उनसे ये उम्मीद करनी चाहिए कि वो परिपक्व लोगों की तरह व्यवहार करें जो खुद को कबू में करना जानते हों... किसी मां से मत उलझना..!!''
ये भी पढ़ें- टॉपलेस पर हंगामा ? स्तन हमारे शरीर का एक अंग ही तो है
सार्वजनिक स्थान पर ब्रेस्फीडिंग कराने में शर्म क्यों? |
कैली योग करती हैं और अक्सर योग करते हुए अपनी तस्वीरें शेयर करती हैं. उन्होंने अपनी इस बात को और भी प्रभावशाली तरीके से समझाने के लिए अपनी तस्वीर साथ लगाई है जिसमें वो योग करते हुए अपनी बेटी को स्तनपान कराती नजर आ रही हैं.
कैली का कहना है कि वो सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने को लेकर लोगों की सोच को बदलना चाहती हैं. कैली ब्रेस्टफीड को लेकर काफी उत्साहित हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी बेटी की जीभ और होंठ जुड़े हुए थे, जिसकी वजह से वो अपनी मां का दूध नहीं पी पा रही थी. लेकिन ऑपरेशन के बाद माया मां का दूध पीने लगी, कैली इसे एक बड़ी उपलब्धि मानती हैं. और उन्हें बच्ची को कहीं भी दूध पिलाने में शर्मिंदगी महसूस नहीं होती.
ये भी पढ़ें- 'ब्रेस्ट या ब्रा कोई धार्मिक या पवित्र चीज नहीं हैं'
देखा जाए तो बच्चे की फिक्र एक मां से ज्यादा कोई नहीं कर सकता. और बात जब भूख से बिलखते बच्चे की हो तो कोई भी मां जगह नहीं देखती, वो जल्द से जल्द बच्चे को दूध पिलाने लगती है. उस समय वो ये नहीं सोचती कि लोग क्या कहेंगे, वो सिर्फ मातृत्व धर्म का पालन कर रही होती है. और इस धर्म के बीच अगर समाज अपनी संकीर्ण सोच को बीच में ले आए तो बहस होना तो स्वाभाविक है.
आपकी राय