ट्विटर देखकर महसूस हुआ, "शहीद उधम सिंह" अब भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं
ऐसा नहीं है कि हर बार सोशल मीडिया बुरा ही है. आज इसे देखकर वाकई खुशी तब हुई जब लोगों को शहीद ए आजम सरदार उधम सिंह के जन्मदिन पर उन्हें याद करते देखा.
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आपने पंजाब में हुए उस नरसंहार कांड के बारे में अवश्य किताबों में पढ़ा या फिर अपने वरिष्ठों से सुना होगा, जिसमें 1919 में पंजाब के गवर्नर रहे माइकल डायर के एक आदेश पर सैकड़ों लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. बताया जाता है कि इस नरसंहार में हजार से ऊपर लोग मारे गए थे और 2000 से ऊपर लोग घायल हुए थे. इतिहास इस नरसंहार को जलियांवाला बाग के नाम से जानता है. बात जब जलियांवाला कांड की चल रही है तो ऐसे में भारत मां के वीर सपूत उधम सिंह का नाम आना लाजमी है.
ये देखकर अच्छा लगा कि अब भी लोगों के दिलों में उधम सिंह जीवित हैं
ध्यान रहे कि सरदार उधम सिंह इस हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे थे जिन्हें इस घटना ने अंदर तक हिलाकर रख दिया था. उधम सिंह ने जलियांवाला कांड के 21 साल बाद अंग्रेजों की भूमि पर जाकर 21 साल पहले हुए उस नरसंहार का बदला लिया. सरदार उधम सिंह को अंग्रेजो ने फांसी दी और वो हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए. इसी कारण सरदार उधम सिंह को शहीद ए आजम की उपाधि से नवाजा गया.'
बहरहाल, आज शहीद ए आजम सरदार उधम सिंह का जन्मदिन था तो ये जानने के लिए कि लोगों ने इन्हें याद रखा है या नहीं मैंने सोशल मीडिया का रुख किया. सोशल मीडिया पर जो देखा उसको देखकर कलेजे को बड़ी ठंडक मिली. ऐसा इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया को लेकर लोग तमाम तरह की बातें करते हैं. लोगों का मत है कि वर्तमान परिपेक्ष में ये एक ऐसा माध्यम बन चुका है जिससे केवल और केवल नफरत फैलाई जा रही है. इसके अलावा लोगों का ये भी तर्क है कि सोशल मीडिया अवसाद का जनक होता है और इसके इस्तेमाल से व्यक्ति केवल अपना समय बर्बाद करता है. आज सरदार उधम सिंह को याद करते लोगों को देखकर महसूस हुआ कि इसके तमाम फायदे भी हैं और कहीं न कहीं इससे हम अपने स्वर्णिम इतिहास को जान सकते हैं.
Just to unite us all, he changed his name to Ram Mohammad Sing Azad, and waited for 21 years to avenge Jalinwala Bagh Masscare. Shaheed Sardar #UdhamSingh was much more than a freedom fighter. He was a strategist who possesed a very strong Character and will to unite all. pic.twitter.com/gCh94ghCSD
— Harry Sachdeva (@harrytweetsat) December 26, 2017
One of the Greatest Warriors of the Freedom Struggle, Shaheed Udham Singh. https://t.co/akA3BNBtoU
— Kurmanath (@Kurmanath) December 26, 2017
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का बदला लेने वाले 'सर्व धर्म सम भाव' के प्रतीक शहीद-ए-आज़म ऊधम सिंह की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। #UdhamSingh Jai Hind pic.twitter.com/d7RqUHbcxc
— Allif Khan Pathan أليف خان باثان (@AllifKhanIYC) December 26, 2017
Main hamesha sochta tha ki dayar ko kisi ne mara ya nahin mara par ab jakar mujhe pata chala great UDHAM SINGH JI thank you @DrKumarVishwas sir
— Ek garib sawarn (@sujit301294) December 26, 2017
An indebted nation recalls martyr #UdhamSingh on his birth anniversary. He avenged #JallianwalaBagh by assassinating Mr. Michael O'Dwyer, the Lieutenant Governor of Punjab who ordered Jallianwala Bagh killings. pic.twitter.com/WTEv7CIWdL
— Ritesh Ranjan (@ranjanmania) December 26, 2017
अमर शहीद महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार उधम सिंह की जयंती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि।#UdhamSingh @JantaKaReporter
— Aftab Ahmed (@Aftabnuh) December 26, 2017
On 1 April 1940, Udham Singh Kamboj ji was formally charged with the murder of Michael O'Dwyer. While awaiting trial in Brixton Prison, Singh went on a 42-day hunger strike and had to be forcibly fed. On 4 June 1940, his trial commenced at the Central Criminal Court, Old Bailey. pic.twitter.com/RNewCitoTI
— maniangopi (@maniangopi) December 26, 2017
Tributes to Udham Singh, on his birth anniversary - the freedom fighter who avenged the Jallianwala Bagh massacre.
He shot Michael O’Dwyer at Caxton Hall, London, the Lieutenant Governor of Punjab from 1912 to 1919, who supported General Dyer and the Jallianwala Bagh Massacre.
— Utkarsh Ranjan (@utkarsh10) December 26, 2017
Upon Release on 1931, Udham Singh Ji evaded surveillance, escaped to Kashmir, then to Germany and then to London by 1934 where he planned to assassinate Gen Dwyer !
On 13 March 1940, Michael O'Dwyer was scheduled to speak at a joint meeting at Caxton Hall, London. pic.twitter.com/kcUWt5jwFs
— maniangopi (@maniangopi) December 26, 2017
स्वतंत्रता संग्राम के बहादुर सिपाही, जलियाँवाला बाग नरसंहार के लिए ज़िम्मेदार अंग्रेजों को सज़ा देने वाले शहीद सरदार #UdhamSingh जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन।
— Neeraj Kumar Singh (@KumarSingh552) December 26, 2017
Today is 118th Birth Anniversary of the great freedom fighter & patriot Shaheed Udham Singh He was born in 26th December 1899 in Sunam distt Sangur in Punjab He sacrificed his life at the young age of 41 by taking the revenge of Jalliwallan massacre from General Dyer in 1919.
— Rajesh Agarwal (@RLSPDELVP) December 26, 2017
After completing his schooling from Orphanage, At 1919 Udham Singh ji came out of the orphanage.
On 10th April British arrested number of Indian National Congress leaders under Rowlatt Act.
Opposing such arrests, around 20,000 unarmed protestors assembled at JallianWala Bagh! pic.twitter.com/ye43HjjDxd
— maniangopi (@maniangopi) December 26, 2017
This is what Shaheed #UdhamSingh replied to the court when asked about his motivation to kill Michael O'Dwyer who had supported the Massacre at Jallianwala Bagh pic.twitter.com/AM060qrxOA
— रवि कांत (@LegalKant) December 26, 2017
गौरतलब है कि 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में जन्में सरदार उधम सिंह ने हम भारतियों पर एक बड़ा एहसान किया है. कहा जा सकता है कि इन्होंने हमें आत्मसम्मान से जीना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया. अंत में ये कहते हुए हम अपनी बात खत्म करेंगे कि जितना हो सके हमें अपने इतिहास को याद रखना चाहिए और उसका प्रचार प्रसार करना चाहिए. यदि हम ही उससे दूर भागेंगे तो फिर कोई और उसे सहेज कर नहीं रखने वाला.
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