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Updated: 16 दिसम्बर, 2016 02:21 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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4 साल पहले आज ही के दिन गैंग रेप की एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. चलती बस में 5 लोगों ने एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ न सिर्फ रेप किया बल्कि उसकी वो दुर्गति की जिसे वो झेल न सकी और 29 दिसंबर 2012 को मौत की नींद सो गई.

एक तरफ जहां आज सब 'निर्भया' को याद कर इस दिन को कोस रहे हैं, वहीं कुछ लोग आज इस दिन की एनिवर्सरी सैलिब्रेट कर रहे हैं. इसे सेलिब्रेशन ही कहेंगे अगर आज ही के दिन दिल्ली में ही बलात्कारी निर्भय होकर फिर से निर्भया जैसी वारदात को अंजाम देते हैं.

दिल्ली में 20 साल की एक लड़की के साथ एक कार में रेप किया गया. लड़की नोएडा की रहने वाली थी जो नौकरी ढूंढने दिल्ली आई थी, घर जाने के लिए रात करीब 9 बजे एम्स के पास बस का इंतजार कर रही थी. एक लग्जरी गाड़ी में सवार व्यक्ति ने उसे रात का हवाला देते हुए नोएडा छोड़ने की बात कही. घर जाने की जल्दी में लड़की उस शख्स के इरादे भांप नहीं पाई और कार में बैठ गई. उसे काफी देर तक दिल्ली की सड़कों पर घुमाने के बाद करीब 11 बजे मोतीबाग के पास कार रोककर डराया धमकाया और उसके साथ रेप किया. पर लड़की की किस्मत निर्भया से अच्छी थी, वो भागने में कामयाब रही.

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यहां दो बातें हैरान करने वाली हैं, पहली कि ये सब वहीं होता रहा जहां पास ही में पुलिस की पीसीआर वैन पेट्रोलिंग कर रही थी, लेकिन पुलिस को खबर ही नहीं लगी. दूसरी ये कि इस कार पर गृमंत्रालय का स्टीकर लगा हुआ था.

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कानून किसी को नहीं डराता, और इसका सबूत दे रहा है ये स्टीकर

पीड़िता ने उन्हीं पुलिसवालों को आपबीती सुनाई. और देर रात आरोपी पकड़ा गया. पर गृह मंत्रालय के स्टीकर ने कुछ और सवाल खड़े कर दिए हैं.  

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 आरोपी तो पकड़ा गया, लेकिन स्टीकर की पड़ताल जारी है

भले ही निर्भया कांड को 4 साल बीत गए, लेकिन तब से लेकर आज तक न तो बलात्कार के मामलों में कोई कमी आई, और न ही इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के हौसले पस्त हुए. आज भी ये दिल्ली डराती है, यहां हर रोज एक निर्भया बनती है और हर रोज मर जाती है. कानून इस लायक नहीं कि उससे कोई डरे. नतीजा बलात्कार रोज होते हैं और रोजाना होने वाली चीजें तो वैसे भी अपनी गंभीरता खत्म कर देती हैं. इसलिए बलात्कार पीड़िताओं का दर्द हमारी सरकार को महसूस होना बंद हो गया है. जिसका नतीजा सबके सामने है.. रेप डे का सैलिब्रेशन!

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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