Women's Day: हजारों का सहारा बनी 5 सशक्त महिलाओं की कहानी
महिला दिवस की खुशिया मनाते समय हम भूल जाते हैं उन महिलाओं को जिन्होंने वाकई कुछ न होते हुए भी कई लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश की है. आज हम उन्हीं महिलाओं की बात करते हैं.
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महिला दिवस पर हर साल महिलाओं के लिए कुछ खास किया जाता है. ऑफिस में महिलाओं को बधाई दी जाती है, वॉट्सएप पर मैसेज आते हैं, सोशल मीडिया वॉल पर हर जगह वुमन्स डे के पोस्टर दिखते हैं. कुल मिलाकर महिला दिवस को बेहतरीन बनाने की कोशिश की जाती है. और थोड़ी सी खुशी लेकर बस रोजमर्रा के काम में लग जाते हैं. ये सब करते समय हम भूल जाते हैं उन महिलाओं को जिन्होंने वाकई कुछ न होते हुए भी कई लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश की है. आज हम उन्हीं महिलाओं की बात करते हैं.
1. इशरत जहान..
अगर किसी ने इशरत जहान का नाम नहीं सुना तो यकीनन आपको इस सशक्त महिला को जान लेने की जरूरत है. तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर करने वाली पांच महिलाओं में एक इशरत जहां भी थीं. मुस्लिम समाज के माथे से तीन तलाक का काला धब्बा हटाने की शाबाशी के बजाए इशरत गुरबत की जिंदगी जी रही हैं. इशरत की शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी. अपने चौथ बच्चे के जन्म के बाद इशरत का पति दुबई जाकर बस गया था और फिर इशरत को तीन तलाक दे दिया. तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई में इशरत का साथ उसके अपनों ने छोड़ दिया था, लेकिन इशरत ने हार नहीं मानी.
Congratulations to Ishrat Jahan for fighting for the women rights and against the regressive practise of Triple Talaq. Thank you PM Shri Narendra Modi ji for giving equal rights to women by passing the law against Triple Talaq. #TripleTalaqBill pic.twitter.com/tJ29Y8AJez
— Locket Chatterjee (@me_locket) December 30, 2017
2. सिंधुताई सपकल..
अनाथों की मां कही जाने वाली सिंधुताई की जिंदगी भी कई दुखों से भरी रही. सिंधुताई सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ सकी थीं, 10 साल की उम्र में उनकी शादी 30 साल के श्रीहरी सपकल से हो गई थी. अपने गांव में कुछ लोगों द्वारा गोबर के ऊपले गैरकानूनी तरह से बेचने और गांववालों को कुछ न देने के विरोध में सिंधुताई ने आवाज उठाई और इसके बाद कलेक्टर ने एक आदेश पारित किया जो गांव के ठेकेदारों को पसंद नहीं आया.
इसके विरोध में सिंधुताई के पति को भड़काया गया और जब वो 9 माह गर्भ से थी तब उसे घर से बाहर निकाल दिया गया. एक गौशाला में 20 साल की सिंधुताई ने अपनी चौथी संतान एक लड़की को जन्म दिया. पास पड़े पत्थर से नाल काटी और कई किलोमीटर चलकर अपनी मां के घर गईं. जब मां ने नहीं अपनाया तो सुसाइड करने की सोची, लेकिन बच्ची का सोच नहीं किया. भीख मांगी और अपना पेट भरा. इसी बीच जितने भी बच्चे सिंधुताई को मिले उन्हें भीख मांगकर खाना खिलाया और उनकी मां बन गई. अपनी संतान को एक ट्रस्ट में दे दिया ताकि बाकी बच्चों और अपनी खुद की संतान में कोई भेदभाव न हो.
आज सिंधुताई को 270 से अधिक अवॉर्ड मिल चुके हैं और इसी तरह से वो 1200 से अधिक बच्चों की मां बन चुकी हैं. उनमें से कई बच्चे अब डॉक्टर, लॉयर बन चुके हैं.
3. मधुमिता पांडे..
मधुमिता पांडे जो एंजिलिया रस्किन यूनिवर्सिटी में क्रिमिनोलॉजी पर रिसर्च कर रही हैं, भारत में करीब 122 रेपिस्ट से मिल चुकी हैं. उनका सबसे पहला इंटरव्यू था मुकेश पांडे का. जो निर्भया कांड में दोषी पाया गया था. मधुमिता ने ऐसा इसलिए किया ताकि वो रेप कल्चर की समस्या को समझ पाएं और उससे मुक्ति पाने के तरीके ढूंढ पाएं. भारत में रेप कल्चर किस हद तक लोगों में बसा हुआ है ये सभी जानते हैं. इस भयावह स्थिती से निपटने के लिए ही मधुमिता रिसर्च कर रही हैं.
4. फ्लाविया एग्निस..
फ्लाविया एक वकील हैं और महिलाओं के हक के लिए लड़ती हैं. फ्लाविया ने मधुश्री दत्ता के साथ मिलकर एक NGO मजलिस (MAJLIS) शुरू किया था जो महिलाओं को लीगल मदद देता है. मजलिस 1990 में बना था और तब से लेकर अब तक इस संस्था से करीब 50 हज़ार से ज्यादा महिलाएं मदद ले चुकी हैं. बच्चों की कस्टडी, कानूनी दांवपेंच, कानून आदि सब कुछ ध्यान में रखने वाली ये संस्था अपनी सर्विस किसी भी जरूरतमंद महिला को देती है.
5. प्रकाश कौर..
लोगों के बीच मदर होप के नाम से मश्हूर प्रकाश बीबी कौर कई बच्चियों की मां हैं. 1993 से ही प्रकाश कौर नवजात बच्चियों को अपना रही हैं, वो बच्चियां जिन्हें लोग कचरे के डिब्बे में, नाले में, सड़क पर छोड़कर चले जाते हैं. प्रकाश कौर का घर किसी भी अनाथ, बेसहारा लड़की के लिए खुला हुआ है.
इस घर को 'यूनिक होम' नाम दिया गया है. प्रकाश बीबी कौर खुद एक ऐसी बच्ची थीं जिन्हें सड़क पर छोड़ दिया गया है. प्रकाश कौर बच्चियों को पढ़ाने-लिखाने से लेकर शादी तक सब कुछ करवाती हैं.
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