आफताब की ज़िन्दगी का कांटा बन गयी थी श्रद्धा, हटाया तो लेकिन 'चुभ' गया...
श्रद्धा मर्डर केस में शुरू हुई जांच में आया है कि आफताब का कई अन्य महिलाओं से संबंध था जिसकी पुष्टि उसकी फेसबुक प्रोफाइल भी करती नजर आती है. वहीं जब हम श्रद्धा को देखते हैं तो वो हमें आफताब के ठीक उलट नजर आती है और अपनी रिलेशनशिप में पूरी तरह से कमिटेड दिखाई देती है. माना जा रहा है कि मौत की असली वजह यही बात है.
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किसी ज़माने में फेसबुक पर पढ़ा था कि प्रेम में डूबी स्त्री अगर बुद्ध है. तो वहीं ऐसा पुरुष जो प्रेम की गिरफ्त में होता है, वो तुलसी के राम सरीखा होता है. फेसबुक पर इस कथन को पढ़ने के अलावा और जहां भी प्रेम के विषय में पढ़ा जाना कि प्यार एक बड़ी खूबसूरत अनुभूति होती है. जब इंसान को प्यार होता है या फिर वो प्यार में पड़ता है तो अपने आस पास उसे बीत रही हर घटना बेहद रूमानी लगती है. प्रेम को लेकर मैं कई बातें पढ़ चुका हूं. मगर इसके ठीक विपरीत, जब बात नफरत की आती है तो मुझे तलाश है उस जवाब की जिसमें बताया जाए कि नफरत की चपेट में आया पुरुष कैसा होता है? किस्से मिलता है? मैं अभी जवाब तलाश ही रहा था कि मुझे बतौर उदाहरण आफताब अमीन पूनावाला दिखा है. मुंबई का एक ऐसा लड़का जो अपने को फाइव स्टार होटल का शेफ, फ़ूड ब्लॉगर/ रिव्यूवर, फोटोग्राफर नारीवादी, एलजीबीटीक्यू समर्थक, पार्टी एनिमल बताता है. जो दिल्ली में अपनी गर्लफ्रेंड श्रद्धा वॉकर के साथ लिव-इन में रहा. और जब लड़की ने शादी का दबाव बनाया गला घोंट कर उसे मार डाला. जब इतने से भी दिल नहीं भरा तो आफताब ने श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े किये, आंत और लिवर का कीमा बनाया और उसे जंगल में फ़ेंक दिया.
आफताब ने जो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ किया वो हैवानियत की पराकाष्ठा है
इस बात में कोई शक नहीं है कि जिस बेरहमी से आफ़ताब ने श्रद्धा वॉकर की हत्या की है वो रूह तक को कंपा देने वाला है. मतलब वाक़ई ये बात हैरत में डालती है कि क्या इंसान इतना भी निष्ठुर हो सकता है? किसी को मारना एक अलग बात है मगर जिस तरह से आफ़ताब ने श्रद्धा को मारा है वो एक दूसरी बात है. चूंकि दिल्ली पुलिस इस मामले को लेकर बहुत गंभीर है इसलिए जो बातें जांच में निकल कर बाहर आई हैं, यदि उनपर यकीन किया जाए तो ये भी आता है कि पहले भी आफ़ताब गर्ल फ्रेंड श्रद्धा को मारने का प्रयास कर चुका था.
आफताब के अनुसार उसने श्रद्धा को पहले भी मारने की कोशिश की थी पर उसने श्रद्धा को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उस दिन वो भावुक हो गयी और रोने लगी. पुलिस के अनुसार उस दिन भी आफताब और श्रद्धा में शादी के टॉपिक को लेकर झगड़ा हुआ था. ध्यान रहे कि श्रद्धा आफ़ताब की हरकतों से परेशान थी और उसपर शादी के लिए दबाव बना रही थी और अक्सर ही उन लोगों का इस बात को लेकर झगड़ा होता था.
आफताब ने पुलिस को ये भी बताया कि जब भी वो किसी अन्य 'महिला' से 'बात' करता, श्रद्धा भड़क जाती. श्रद्धा को लगता था कि आफताब का दूसरी महिलाओं से संबंध है और वो उसे धोखा दे रहा है. ज्ञात हो कि आफताब ने 18 मई 2022 को बड़ी ही बेरहमी के साथ श्रद्धा की हत्या की थी. पूछताछ में आफताब ने बताया था कि उस दिन भी दोनों में 'शादी' के मुद्दे पर खूब लड़ाई हुई और नौबत मारपीट की आ गयी थी.
उस दिन आफताब ने श्रद्धा पर कुछ इस तरह हाथ छोड़ा कि श्रद्धा बेहोश हो गयी फिर आफताब उसके सीने पर बैठ गया औरगाला दबाकर उसकी हत्या कर दी. इस मामले में हमें इस बात को भी समझना होगा कि ऐसा नहीं था कि आफताब और श्रद्धा के बीच झगड़ा हुआ और उसने उसे मार दिया. क्योंकि आफ़ताब बहुत पहले ही श्रद्धा को मारने की प्लानिंग कर चुका था और सारी तैयारियां उसने पहले ही कर लीं थीं उन श्रद्धा की लाश का वो हाल किया जो सोच और कल्पना से परे है.
क्योंकि आफ़ताब एक बड़े होटल में शेफ रह चुका था गला दबाकर मारने के बाद आफताब ने पहले तो श्रद्धा के शरीर के 35 टुकड़े किये फिर उसके लिवर और आंतों का उसने कीमा बनाया. आफताब किस हद तक शातिर था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस फ्लैट में उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया वहां बदबू न आए और फॉरेंसिक टीम को खून ने निशान न मिलें आफताब ने हाइपोक्लोरिक एसिड से फ्लैट की सफाई की और बदबू न आए अगरबत्तियों को सुलगाया.
मामले के मद्देनजर अब तक हुई जांच में जो खुलासा हुआ है उसमें ये निकल कर आ रहा है कि आफताब का कई अन्य महिलाओं से संबंध था जिसकी पुष्टि उसकी फेसबुक प्रोफाइल भी करती नजर आती है. वहीं जब हम श्रद्धा को देखते हैं तो वो हमें आफताब के ठीक उलट नजर आती है और अपनी रिलेशनशिप में पूरी तरह से कमिटेड दिखाई देती है. जैसा चरित्र आफताब का था शायद उसने उस गाने को अपने जीवन में उतार लिया था जिसके बोल कुछ यूं थे कि
इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा
के मैं एक बादल आवारा
कैसे किसी का सहारा बनूं
के मैं खुद बेघर बेचारा
इतना न...
मामले के तहत हमें ये भी समझना होगा कि आफताब ने श्रद्धा को सिर्फ टाइम पास के तौर पर लिया था. वो और लड़कियों से मिलना चाहता था. मेल जॉल बढ़ाना चाहता था और चूंकि श्रद्धा कमिटेड थी और उससे शादी करने की जिद पर आमादा थी उसने उसे हटाने का प्लान अपने दिमाग में तैयार कर लिया था.
जांच में ये भी आया है कि मुंबई से दिल्ली आने के फ़ौरन बाद आफताब और श्रद्धा रिलैक्स होने और चिल करने के लिए कुछ दिनों के लिए उत्तराखंड और हिमाचल गए थे और बाद में दोनों ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे.
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देखा जाए तो अपनी रिलेशनशिप में आफताब को कोई ऐसा पॉइंट नहीं दिख रहा था जहां उसे अपना फायदा दिखे और फिर उसने वो कर दिया जो वहशीपन की पराकाष्ठा है. बहरहाल अब जबकि सब कुछ शीशे की तरह साफ़ हो गया है जो सबसे पहला सवाल हमारे दिमाग में आता है वो ये कि ऐसी भी क्या मुहब्बत की आदमी अपना अच्छा बुरा ठीक वैसे ही भूल बैठे जैसा श्रद्धा ने किया. वहीं जब हम आफ़ताब की बात करते हैं तो जी घटियापन का परिचय उसने दिया है और जैसे उसने श्रद्धा की निर्मम हत्या की है इसे देश याद रखेगा.
हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि घटना दिल दहला देने और रौंगटे खड़े कर देने वाली है. बाकी बात मर्डर केस की हुई है तो हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि व्यक्ति मुहब्बत के तहत जब भी कोई अहम फैसला ले तो दो बार सोचे वरना श्रद्धा का अंजाम और आफताब की हालत दोनों ही हमारे सामने है.
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