Sabrimala: एक्टिविस्ट महिलाओं पर आए कमेंट्स की जलन pepper spray से ज्यादा है
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की लड़ाई लड़ रही महिलाएं अपराधी की तरह हैं. जिनको लेकर कुछ लोगों के मन में सिर्फ नफरत है. जो pepper spray और उनके विचारों के जरिए साफ झलकती है.
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Sabarimala Mandir में दर्शन करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई केरल पहुंच चुकी हैं. उनके साथ बिंदु अम्मिनी भी वहां मौजूद हैं जिन्होंने इसी साल जनवरी में मंदिर में प्रवेश किया था. लेकिन पुलिस कमिश्नर ऑफिस के बाहर ही बिंदु पर एक भगवाधारी ने मिर्च स्प्रे (pepper spray) से हमला किया. ये पूरी घटना वीडियो में कैद है जिसे जिस महिला ने भी देखा उसका खून खौल उठा.
लेकिन एक महिला के साथ की जाने वाली इस शर्मनाक हरकत को लोग बहादुरी का नाम दे रहे हैं. महिला के साथ इस तरह के व्यवहार को सही बताया जा रहा है.
Bindu Ammini of #Sabarimala fame attacked in Kochi. In the full video, you can see BJP's candidate for last Kochi bypoll, CG Rajagopal aka Muthu, seemingly leading the pack of goons. Attacking women with pepper spray is BJP's way of "peaceful protest"? Will BJP fire these goons? pic.twitter.com/LroJU5xsoY
— Nidheesh M K (@mknid) November 26, 2019
इसके बाद बिंदू पुलिस से उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की गुहार लगाती रहीं लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया. और पेपर स्प्रे करने वाला शख्स वहीं पर खड़ा रहा. 'Please arrest him' कहती बिंदू को साफ सुना जा सकता है लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी. बल्कि पुलिस तो शख्स को संरक्षण देती नजर आई. हालांकि मीडिया में आने के बाद उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया.
Extremely appalled to see how long the Policemen took to react even after being on the spot.
After being attacked Bindu had to plead so long for the cops to react..
In between, these so called ‘Bhakra’ threatening and trying to chase her as well!?!?@vijayanpinarayi!?!? pic.twitter.com/INDY2GjD1M
— Pramod Madhav (@madhavpramod1) November 26, 2019
बिंदू कोई गुंडा नहीं जो उसके साथ ऐसा हो
ये वीडियो देखकर मन बड़ा खिन्न हुआ कि किस तरह से महिलाएं लड़ रही हैं और किस तरह से उनकी हिम्मत को तोड़ा जा रहा है. हम ये नहीं कहते कि ये एक्टिविस्ट सही कर रही हैं या गलत, ये सिर्फ हक के लिए लड़ रही हैं. और अपने हक के लिए लड़ने का अधिकार कोई उनसे छीन नहीं सकता. लेकिन पितृसत्तात्मक समाज के सामने ये महिलाएं अपराधी की तरह हैं. जिनको लेकर कुछ लोगों के मन में सिर्फ नफरत है. नफरत का एक नमूना तो आप ऊपर देख ही चुके हैं और बाकी इन वीडियो पर आए कमेंट्स में देखा जा सकता है. और यकीन मानिए कि इस नफरत की जलन pepper spray से कहीं ज्यादा है.
इसे कृत्य को किस तरह से जायज ठहराया जा सकता है
एक शख्स का कहना है कि- वाह, कितना महान शख्स है ये, काश मैं भी इस महिला की आंखों में पेपर स्प्रे डालकर उसे हमेशा के लिए अंधा कर पाता.' तो एक ने कहा- 'मैं भी यही करता और इसके सिर पर नारियल फोड़ना तो जरूरी है.'
लोग हमला करने वाले शख्स को केरल का हीरो बुला रहे हैं, कह रहे हैं कि उसने जो किया बहुत अच्छा किया. उसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं. एक ने तो बिंदु को गुंडा तक कह दिया. कहा- 'हिंदुओं की जागरुकता को देखकर बहुत खुश हूं. ऐसे गुंडों के साथ यही होना चाहिए.'
एक राम भक्त ने तो बिंदू को शूर्पणखा और हमला करने वाले को लक्ष्मण बताया. कहा- 'जब पापी शूर्पणखा ने सबरीमला मंदिर में प्रवेश करना चाहा, भगवान लक्ष्मण ने कुछ ऐसा किया.'
तो एक ने कहा कि वो शख्स केरल का हीरो है और सारी शूर्पणखाओं के साथ ऐसा ही होना चाहिए.
ज्यादातर पुरुषों का एक ही कहना थी कि she deserve it! लोगों ने तो इसे ड्रामा भी कहा, ये भी कहा गया कि पेपर स्प्रे है ही नहीं, अगर होता वो बिंदू इतनी सहजता से कैसे बात करती. फिलहाल बिंदू अस्पताल में भर्ती हैं. लेकिन इस अटैक के बाद अगर वो मीडिया से बात न करतीं, पुलिस के सामने गिरफ्तारी की मांग न करतीं तो वो युवक गिरफ्तार भी नहीं होता.
खैर इस कृत्य को कही बताने वाले ये वो लोग हैं जो खुद को अय्यपा के भक्त कहते हैं. लेकिन हैरानी होताी है कि ये भक्त किसी और को चोट पहुंचाने की सोच भी कैसे सकते हैं.
केरल पुलिस कठपुतली क्यों बनी हुई है ?
यहां देखकर ये भी आश्चर्य हुआ कि इन महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस का रवैया किस तरह से बदल गया. आपको याद होगा तो साल के शुरूआत में पुलिस वाले महिलाओं को संरक्षण देकर मंदिर में खुद ही दर्शन करवा रहे थे. लेकिन इस बार महिलाओं को वहां से लौटाया जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए थे. लेकिन इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई और सुनवाई करते हुए रंजन गोगोई ने पुराना फैसला बरकरार रखते हुए, मामला 7 जजों की बेंच को स्थानांतरित कर दिया.
इस बार कपाट खुलने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने साफ कह दिया था कि ''हम पब्लिसिटी के लिए आने वाली महिलाओं का समर्थन नहीं करते. उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट जो कहेगा सरकार उसे लागू करेगी. हम समझते हैं कि 28 सितंबर 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी भी लागू है, लेकिन इस फैसले का निहितार्थ स्पष्ट नहीं हैं. हमें विशेषज्ञ की राय लेनी होगी. इसके लिए हमें और समय की जरूरत है.”
लेकिन अफसोस इसी बात का है कि पुलिस वो नहीं कर रही जो उसे करना चाहिए. किसी भी शख्स को सुरक्षा देना पुलिस का कर्तव्य है, वो चाहे भक्त हो या फिर एक्टिविस्ट. लेकिन वो एक महिला हो तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. ऐसे में केरल पुलिस फेल नजर आती है.
आज संविधान दिवस है और इसी अवसर पर ये एक्टिविस्ट सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए आई थीं. हालांकि संविधान महज एक शब्द क्योंकि इसे इतनी गंभीरता से लिया जाता तो महिलाओं को अपने हक के लिए इस तरह संघर्ष नहीं करना पड़ता. हम में से ज्यादातर महिलाएं भी ये मान चुकी हैं कि मंदिर में प्रवेश को लेकर चल रही ये लड़ाई व्यर्थ है. महिलाओं को हथियार डाल देने चाहिए. लेकिन हक और अधिकारों की लड़ाई लड़ रही महिलाएं हथियार डालने को राजी नहीं. वो प्रयास कर रही हैं, और शायद हमेशा करती भी रहेंगी. उन्हें मंजिल मिले न मिले लेकिन they don't deserve it !
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