शरियत का काउंटर है तो हिंदुओं को भी दो-तीन सौ साल पीछे ले जाएगी हिंदू अदालत
बस डर इस बात का है कि ईंट का जवाब पत्थर से देने की जल्दबाजी में कहीं हिन्दुओं को भी दो या तीन सौ साल पीछे न ले जाए शरिया की तर्ज पर बनाई गई हिंदू महासभा की हिंदू अदालत.
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बड़ा खराब वक्त है. कोई किसी से कम नहीं है. एक अगर डाल-डाल है तो दूसरा पात-पात. भले ही चोट खुद को लगे, अंगुली खुद पर उठे, दौर ही चल पड़ा है ईंट का जवाब पत्थर से देने का. इस बात को समझने के लिए हमें एक खबर समझनी होगी. खबर हिंदू महासभा से जुड़ी है जिन्हें महसूस हो रहा है कि हिंदू धर्म खतरे में है. हालांकि, ऐसा है नहीं. मगर जब हिंदू महासभा को महसूस हो गया है कि धर्म खतरे में है तो उन्होंने धर्म को पार लगाने और उसे बचाने का एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भारत की पहली हिंदू अदालत स्थापित करने का ऐलान किया है. इसके अलावा महासभा ने अदालत की पहली न्यायाधीश के रूप में एक महिला को नामित करने की घोषणा भी की है.
महासभा का तर्क है कि 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे को फांसी दिए जाने के दिन अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में भी हिंदू अदालत की स्थापना कर दी जाएगी. इसके अलावा महासभा का ये भी तर्क है कि उनका लक्ष्य 15 अदालतें स्थापित करना है जिसे वो जल्द ही पूरा करेंगे.
हिंदू महासभा का शरिया की तर्ज पर हिंदू अदालत बनाना एक हास्यास्पद फैसला है
आपको बताते चलें कि अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने मेरठ में देश की पहली हिंदू अदालत की स्थापना की जानकारी दी है. अपनी इस पहल और इस अदालत की जज के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा कि सर्वसम्मति से इस बात का फैसल किया गया है कि अलीगढ़ निवासी डॉक्टर पूजा शकुन पांडे हिंदू अदालत की पहली हिंदू जज होंगी.
हिंदू अदालत के बारे में और अधिक बताते हुए हिंदू महासभा का कहना है कि हिंदू अदालत का लाभ उन तमाम परेशान आम हिंदुओं को मिलेगा जो किसी भी कारण से परेशान हैं. शर्मा के अनुसार इस अदालत में जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे.
इस अदालत को बनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई? इस पर शर्मा के तर्क हैरत में डालने वाले हैं. शर्मा का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से हमेशा ही देश के आम हिंदुओं के साथ उपेक्षा की गई है और उसी खीझ के परिणाम स्वरूप उन्हें और महासभा से जुड़े अन्य लोगों को इस अदालत को गठित करने का विचार आया.
पीएम मोदी और सीएम योगी को लिखा था पत्र मगर आया नहीं जवाब
अशोक शर्मा के अनुसार पूर्व में उन्होंने पीएम और सीएम को पत्र लिखकर कहा था कि भारत में एक ही संविधान माना जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने ये भी मांग की थी कि देश में खुली और खुलने वाली तमाम शरई अदालतों को तत्काल प्रभाव में बंद किया जाए नहीं तो हिंदू महासभा 15 अगस्त को हिंदू अदालत खोल देगी. अब चूंकि पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखी इस चिट्ठी का जवाब नहीं आया. महासभा का आहत होना जाहिर था. इसलिए उन्होंने अदालत की स्थापना का ऐलान कर दिया.
वहीं नई जिम्मेदारी मिलने से खुश हिंदू अदालत की पहली न्यायाधीश के तौर पर नामित डॉक्टर पूजा शकुन पांडे का कहना है कि उनकी अदालत को उसी तरह किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है जिस तरीके से बिना मान्यता के खुद के कानून पर शरिया अदालतें चल रही हैं.
बहरहाल, जो होना था हो गया. हिंदू महासभा को हिंदू अदालतें खोलनी थीं उन्हें मौका मिल गया और उन्होंने खोल ली. पूरा मामला देखकर हम बस ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि ईंट का जवाब पत्थर से देने की जल्दबाजी में कहीं हिन्दू महासभा भी आम हिन्दुओं को दो या तीन सौ साल पीछे न ले जाए. हम ऐसा सिर्फ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिस शरिया की तर्ज पर इन्होंने ये अदालत बनाई है वो लगातार मुसलमानों को पीछे ढकेल रही है और उनका विनाश करने का काम कर रही है.
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