क्या AMU में RSS की शाखा लगने से टूटेंगे पूर्वाग्रह?
यदि एएमयू संघ कार्यकर्ताओं की बात मान लेता है और कैंपस में शाखा लगाने की अनुमति देता है तो निश्चित तौर पर कई पूर्वाग्रह टूटेंगे.
-
Total Shares
पूर्व में कई अहम मौकों पर विवादों का सामना करने वाली अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चर्चा में है. एएमयू के चर्चा में आने की वजह है आरएसएस. बात आगे बढ़ाने से पहले आरएसएस से जुड़ी कुछ चीजों पर नजर डालना बेहद जरूरी है. समय-समय पर एक बड़े वर्ग द्वारा आरएसएस की आलोचना किसी से छुपी नहीं है. भले ही आरएसएस को लेकर आम भारतीयों के मन में तमाम तरह के मिथक हों, और उन्हें लगातार भरमाया जा रहा हो. मगर इस बात को बिल्कुल भी खारिज नहीं किया जा सकता कि जब भी कभी देश को किसी विशेष मौके पर मदद की दरकार हुई तो जो पहला संगठन निस्स्वार्थ भावना से मदद के लिए सामने आया वो और कोई नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ था.
चाहे प्राकृतिक आपदा रही हो या फिर कोई बड़ी त्रासदी इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब संघ ने बिना किसी भेदभाव के या फिर बिना लोगों के धर्म की पड़ताल किये उनकी मदद की है. तमाम अवसर आए हैं जब राष्ट्रवाद की भावना को बल देने वाले संगठन आरएसएस पर भिन्न आरोप लगे हैं. और शायद ये आरोप ही वो कारण हैं जिसके चलते आम जनमानस के बीच लगातार सेवा भाव को बल देने वाले संगठन आरएसएस की छवि धूमिल हुई है.
एक बड़े वर्ग द्वारा आरएसएस की आलोचना करना कोई नई बात नहीं है
बात जब आरएसएस की चल रही है तो यहां ये बताना भी बेहद ज़रूरी है कि आज हमारे समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जिसका मानना है कि आरएसएस मुस्लिम विरोधी है. ऐसे में अगर किसी को लगता है कि आरएसएस मुसलमानों के खिलाफ है तो उसे मोहम्मद आमिर राशिद से मिलना चाहिए. मोहम्मद आमिर राशिद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसर तारिक मंसूर को चिट्ठी लिखी है और कैम्पस में "शाखा" लगाने का निवेदन किया है.
RSS worker Md.Amir Rashid writes to Aligarh Muslim University VC seeking to conduct 'Shakhas' in the campus, says, 'Wrong perception is being created that RSS is anti-Muslim, they're actually a nationalist organisation. If 'Shakhas' are held students will know what RSS is about.' pic.twitter.com/6ndmClPTNE
— ANI UP (@ANINewsUP) April 27, 2018
वीसी को लिखी अपनी चिट्ठी में संघ कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर राशिद ने बड़ी ही प्रमुखता से इस बात को बल दिया है कि, 'अल्पसंख्यक समूह के बीच इस संगठन को लेकर गलत धारणाएं फैली हुई हैं. कैंपस में शाखा लगाकर इन धारणाओं को तोड़ना ही हमारा मकसद है'.
आरएसएस कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर राशिद ने पत्र में लिखा है कि एक गलत धारणा फैलाई गई है कि आरएसएस एंटी मुस्लिम है, आरएसएस एक राष्ट्रवादी संगठन है. अगर कैंपस में शाखा लगाई जाएगी तो छात्रों को आरएसएस क्या है, इस बारे में सत्य का पता चलेगा. वाइस चांसलर को लिखे अपने खत में राशिद ने इस बात का दावा किया है कि अगर कैंपस में शाखा लगाना शुरू हो गया तो एएमयू के छात्रों के बीच आरएसएस से जुड़े सारे मिथक दूर हो जाएंगे.
यदि एएमयू संघ की इस पहल को अमली जामा पहना देता है तो निश्चित तौर पर कई पूर्वाग्रह टूटेंगे
जब खबर इतनी बड़ी हो और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़ी हो तो हमेशा की तरह विवाद होना स्वाभाविक है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एएमयूएसयू) ने कहा है कि हम इस कदम का विरोध करेंगे. अपने इस विरोध पर तर्क देते हुए एएमयूएसयू का कहना है कि, 'यह एक शिक्षण संस्थान है कोई राजनीतिक आखाड़ा नहीं है. आरएसएस की विचारधारा देश को बांटने का काम करती है और हम उसे कैंपस में नहीं घुसमने देंगे.
बहरहाल इस खबर से एक बात तो साफ है कि भले ही संघ को लेकर आलोचनाएं होती रहें. मगर जिस तरह से आज संघ मुसलमानों के करीब आ रहा है उसे एक अच्छी पहल मानना चाहिए और खुले हाथों से इस पहल का स्वागत करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व में संघ नेता इंद्रेश कुमार की बदौलत भारतीय मुसलमानों की एक ठीक ठाक संख्या संघ से जुड़ चुकी है.
बाक़ी सेवा और राष्ट्रवाद संघ का मूल है और अगर एएमयू के छात्र खुद आगे आकर संघ की इस पहल से जुड़ते हैं तो कौमी एकता के लिहाज से जहां एक तरफ इसे एक उम्दा प्रयास कहा जाएगा. तो वहीं दूसरी तरफ इनका संघ से जुड़ना उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगाएगा जो संघ को बदनाम करने के लिए लगातार साजिशों को अंजाम दे रहे हैं. अंत में हम ये कहकर अपनी बात खत्म करेंगे कि एएमयू प्रशासन को संघ कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर राशिद की चिट्ठी का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और उसे अमली जामा पहनाना चाहिए.
ये भी पढ़ें -
न्यू इंडिया और शिक्षा दोनों के बेहतर है कि BHU से H और AMU से M निकल जाए
अनावश्यक विवाद में फंसा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह!
सलमान खुर्शीद की मन की बात कांग्रेस की फजीहत है तो बीजेपी को नसीहत है
आपकी राय