Article 370: स्टिंग ऑपरेशन ने बता दिया कि कश्मीर में जहर घोलने वाले घाटी में ही हैं
स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) में जो मिला, वो देखने के बाद सरकार सतर्क हो जाएगी और विरोधियों के मुंह बंद हो जाएंगे. इस स्टिंग में पता चला कि कश्मीर (Kashmir) को दहलाने के इरादे रखने वाले लोग कहीं बाहर के नहीं, बल्कि उसी कश्मीर (Article 370) में रह रहे हैं.
-
Total Shares
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में से धारा 370 (Article 370) को हटाए करीब 4 महीने पूरे हो चुके हैं. फिलहाल पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से मुस्तैद है. पहले जो जगह-जगह पत्थरबाजी होती रहती थी, अब वो रुक सी गई है. खैर, अपने दिलों में कश्मीर को जलाने की आस लिए घूमने वाले ये लोग सिर्फ शांत हुए हैं, खत्म नहीं हुए. उनके दिमाग में कश्मीर को दहला देने का पूरा प्लान बना हुआ है. इंडिया टुडे ने कश्मीर घाटी में छुपे इन लोगों को पता लगाने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) किया, जिसे ऑपरेशन 370 (Operation 370) नाम दिया. एक तरफ मोदी सरकार कह रही है कि घाटी में सब ठीक है, दूसरी ओर ऐसी आवाजें भी खूब उठ रही हैं कि अब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा में ढील देनी चाहिए, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही. इंडिया टुडे को अपने स्टिंग ऑपरेशन में जो मिला, वो देखने के बाद सरकार सतर्क हो जाएगी और विरोधियों के मुंह बंद हो जाएंगे. ये स्टिंग कश्मीर के कुछ उपद्रवियों को दिल्ली बुलाकर किया गया है, जिसमें उनके नापाक मंसूबों का पर्दाफाश हुआ है. इस स्टिंग में पता चला कि कश्मीर को दहलाने के इरादे रखने वाले लोग कहीं बाहर के नहीं, बल्कि उसी कश्मीर में रह रहे हैं. इनमें से 3 के नापाक इरादे कैमरे में कैद हुए हैं, आइए देखते हैं धरती का जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर को जहन्नुम बनाने के लिए ये लोग कैसी-कैसी डील ऑफर कर रहे हैं.
कश्मीर के पत्थरबाज बाहर से नहीं आते, स्टिंग ऑपरेशन ने इसका पर्दाफाश कर दिया है.
स्थानीय क्रिकेटर फैयाज अहमद भट
कश्मीर के एक इलाके गंदरबल का रहने वाला फैयाज अहमद भट स्थानीय क्रिकेटर है. बैट चलाते और बॉल फेंकते-फेंकते न जाने कब इसके मन में पत्थर फेंकने ने घर कर लिया और अब ये कश्मीर में पत्थरबाजी कराने और प्रदर्शन कराने की डील दे रहा है, वो भी चंद पैसों के लिए. वह ये प्रदर्शन सौरा, बुचपुरा और श्रीनगर के आस-पास के इलाकों में माहौल बिगाड़ने का ठेका ले रहा है. उल्टा वो तो सुझाव भी दे रहा है कि प्रदर्शन एक हफ्ते के बजाय 20 दिन करवाइए. हर प्रोटेस्ट के बदले वह 5 लाख मांग रहा है. यानी पूरी डील में 20 दिन प्रदर्शन करने के बदले उसने 1 करोड़ रुपए मांगे. हैरानी इस बात की है कि ये वह घाटी में सख्त सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रहने के बावजूद करने को तैयार है. यहां तक कि वो ये भी बता रहा है कि इस दौरान गोली भी चल सकती है जो उसके लड़कों को लग सकती है. यानी वो ये कहना चाहता है कि काम बहुत ही रिस्की है, इसलिए पैसे मोटे चाहिए.
फैयाज ने क्या कहा उसकी की जुबानी जानिए- 'चेहरे पर मास्क लगाकर प्रोटेस्ट कर सकते हैं. पुलिस की गाड़ियों पर पत्थरबाजी कर सकते हैं और सड़कें ब्लॉक कर सकते हैं. इसमें पुलिस फायरिंग या पेलेट गन का इस्तेमाल भी हो सकता है. 10-15 लड़के जाएंगे और सौरा और बुचपुरा के इलाकों में हिंसक प्रदर्शन करेंगे. इस दौरान उनके चेहरों पर पैलेट गन की गोली भी लग सकती है.'
फैयाज अपने प्लान को अंजाम देने के लिए मस्जिदों में नमाज अदा करने आए युवाओं का इस्तेमाल करने की योजना बनाए हुए है. वह कहता है- 'ये करना का एक तरीका ये है कि इसे मस्जिद के इमाम के जरिए कराया जाए. इसके लिए पहले इजाजत लेनी होगी. मस्जिदों की अपनी कमेटी होती है. मुझे ये लिख कर उन्हें देना होगा. मैं उनसे बात भी करूंगा. हमें ये जबरन करवाना है. हमें ये नमाज शुरू होने से पहले करवाना होगा. मैं उनसे एक-दो मिनट के लिए बात करूंगा और फिर मैं नारे लगाकर बाहर आ जाऊंगा.'
स्कूलों को जलाने वाला उमर मेराज
स्टिंग ऑपरेशन में उमर मेराज से भी बात हुई, जो एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी का पूर्व कार्यकर्ता है. वह श्रीनगर के सौरा में रहता है. उन्होंने स्कूलों को जलाने का प्लान बताया और उसके बदले 1-2 करोड़ रुपए मांगे. इस पूरे प्लान को करीब 10-20 दिनों में अंजाम दिए जाने का प्लान मेराज ने पेश किया. मेराज कहता है- 'हम 6-7 स्कूलों को जला सकते हैं. मैं मस्जिद से दो दिन पहले बात करूंगा. वह भी ये करेंगे.' जब पूछा गया कि ये प्राइवेट स्कूल होंगे या सरकारी तो वह बोल- 'प्राइवेट ही बेहतर रहेंगे. सरकारी स्कूलों को क्यों जलाएंगे? वहां तो कोई पढ़ता भी नहीं है. प्राइवेट स्कूल ज्यादा अहम हैं'
रीयल एस्टेट एजेंट अल्ताफ अहमद सोफी
श्रीनगर के ही पास है हजरतबल, जहां एक रीयल एस्टेट एजेंट अल्ताफ अहमद सोफी रहता है. ये भी चंद पैसों के बदले कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन कराने की गारंटी दे रहा है. वो बता रहा है कि पत्थरबाजी, बाजार बंद करना और ट्रैफिक रोक देना सबसे आसान प्रदर्शन हैं. सोफी तो ये भी दावा कर रहा है कि अगर उसके लड़कों को पैसे मिले तो वह कश्मीर घाटी की गलियों में एक साइकिल को भी निकलने नहीं देंगे. बता दें कि वह ये गारंटी सिर्फ अपने इलाके की दे रहा है जो 8-9 किलोमीटर का है और नेशनल हाईवे पर गंदरबल तक जाता है. जब उससे पूछा गया कि ये सब कब तक बंद रहेगा तो उसने सीधा सा जवाब दिया कि जब तक उसे गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता. ये सब करने के बदले में सोफी ने 1-2 करोड़ रुपयों की मांग की.
NGO वाला असद सिद्दीकी
दुनिया को दिखाने के लिए तो असद सिद्दीकी एक एनजीओ चलाता है, लेकिन इंडिया टुडे के सामने उसने कुबूल किया है कि वह बेरोजगार युवाओं को हिंसक प्रदर्शन के लिए भर्ती करता है. उसका एनजीओ पत्थरबाजों की भर्ती के लिए पैसे जमा करता है. वह बता है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वह युवाओं को पैसे देता है और उनसे पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन करवाता है. उसने अपने एनजीओ के लिए 12 लाख रुपए का फंड भी मांगा. वह कहता है कि इसके लिए युवाओं के तैयार करना पड़ेगा. एक बार इंटरनेट चलने लगे और सुरक्षा व्यवस्था कम हो जाए फिर देखना क्या होता है.
ये भी पढ़ें-
बाजवा के खिलाफ 'बगावत', 7 पाकिस्तानी जनरल लामबंद!
अल्ताफ हुसैन को भारत की नागरिकता क्यों नहीं मिलनी चाहिए
शरद पवार महाराष्ट्र के बाद आने वाले कई विधानसभा चुनाव में काम आएंगे!
आपकी राय