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Updated: 05 जनवरी, 2017 08:23 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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बड़ा बोझिल शहर है बैंगलोर. वीकडेज़ में ये शहर मर जाता है. मेन रोड खाली, क्रॉस रोड सुनसान. इस वक़्त इस शहर में प्रायः दो ही चीज़ें दिखती हैं, एक सन्नाटा, दूसरा कुत्ते. खैर इस वक़्त आपको हंसी, कहकहे और चुहल सिर्फ एक ही जगह सुनने को मिलेंगे वो जगह है आईटी कंपनियों के दफ्तर का लेडीज़ वॉशरूम.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर लड़कियों की नाईट शिफ्ट लगभग ख़त्म हो चुकी है. वो जल्दी जल्दी अपने अपने पीजी या फ़्लैट में जाने को आतुर हैं. दफ़्तर के नीचे कैब और टेम्पो ट्रैवलर तैयार हैं इनको इनके आशियाने तक ले जाने के लिए. आने और जाने के बीच विडम्बना ये है कि कैब वाले भइया को हिन्दी कम आती है, इन्हें कन्नड़ बिल्कुल नहीं आती है. ये अभी वॉशरूम में हंस रही थीं, एक दूसरे से मज़ाक कर रही थीं, मगर जैसे ही ये लड़कियां कैब में आती हैं ये भी शहर की तरह मर जाती हैं. शायद ये जानती हैं कि वॉशरूम जीवन नहीं है. मेन रोड या क्रॉस रोड पर चलना, बस चलते ही रहना जीवन का नाम है.

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 कैब में आते ही शहर की तरह मर जाती हैं लड़कियां

रात का दो बज चुका है, मगर सिल्कबोर्ड में अब भी जाम है. दूर तक सिग्नल लगा हुआ है लेकिन ये जल्द ही खुल जाएगा. रात का सिग्नल दिन जैसा इरिटेटिंग नहीं होता. बहरहाल, कैब में सोते हुए ये लड़कियां सपना देख रही हैं सपने में इन्हें मां दिख रही है, पिता जी दिख रहे हैं, भाई बहन दिख रहे हैं, दोस्त यार दिख रहे हैं.

ये सपने में ही मां के हाथों से बनी अरहर की दाल और आम के अचार की, या फिर कढ़ी चावल से उठती हींग की खुशबू को महसूस कर रही हैं. अभी अभी इनको सपने में दिखा कि जैसे ही इन्होंने थाली में मौजूद मटर पनीर में से मटर अलग किया वैसे ही मां ने इनके कान पर एक चुटकी काटी है और ये "क्या मां! कर के मुस्कुरा दी हैं."

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सिग्नल खुल चुका है, कुछ लड़कियां मडिवाला, तावरेकेरे और डेरी सर्किल उतरेंगी तो कुछ बीटीएम, जयनगर, जेपी नगर और बनशंकरी. वीकडेज़ में ये लड़कियां मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप नहीं पहनतीं, न ही इन्होंने दारु पी हुई होती है, मगर फिर भी पूरे कपड़े पहनने के बावजूद, अपना स्टॉप आते ही ये लड़कियां थोड़ा घबरा जाती हैं. आधा तो छोड़िये शायद ये पूरे कपड़ों में भी अपने को असुरक्षित ही महसूस करती हैं. ये बेचारी हर रोज़ डरी सहमी हुई होती हैं, इस डर से कि कहीं आज मेरा रेप न हो जाए.

बाबूजी वीकडेज़ में पूरे और वीकेंड में अपने मन के कपड़े पहनने वाली बैंगलोर की ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर लड़कियां बदचलन नहीं होतीं...!!!

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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