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Updated: 21 फरवरी, 2022 06:01 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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किसी सामान्य महिला और अभिनेत्री के तलाक में कितना अंतर होता है? वहीं टीवी सीरियल की तो बात ही निराली है. अनुपमा सीरियल में कम पढ़ी-लिखी महिला को भी कितनी आसानी से नौकरी मिल जाती है. वह एक झटके में कपंनी के आधे शेयर की मालकिन ही बन जाती है.

इतना ही नहीं अनुपमा को तो अनुज के रूप में सच्चा जीवनसाथी भी मिल जाता है जो उसे दिवानों की तरह प्यार करता है. जबकि अनुपमा 42 साल की है और तीन बच्चों की मां भी है. वैसे इस जमाने में ऐसा कौन होगा जो एक ही लड़की से 25 सालों तक प्रेम करेगा और उसका इंतजार करेगा. यह जानते हुए कि अब उसकी शादी हो चुकी है.

divorce, pati patni, husband, wife, Bollywood divorce,  marraigeटीवी सीरियल और बॉलीवुड से असलियत का तलाक काफी अलग है

खैर, ऐसा असल दुनिया में कहां होता है? असल जिंदगी में तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी शायद ही हो पाती है. अगर दूसरी शादी होती भी है तो उसके लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं. सबकी किस्मत दिया मिर्जा की तरह नहीं है, जिन्हें दूसरी बार सच्चा जीवनसाथी मिल जाए.

वहीं फिल्मी दुनिया में तलाक होना आजकल बेहद आम बात हो गई है. बॉलीवुड जोड़े बड़ी ही शांति से एक प्यारी सी नोट लिखते हुए अपने शादी टूटने की खबर साथ में साझा करते हैं. आप आमिर खान और किरण राव को ही ले लीजिए. इनका तलाक हो गया और किसी को खबर तक नहीं लगी थी. दोनों ने तलाक के नाम जो चिट्ठी लिखी थी उसमें इतना प्यार झलक रहा था जितना किसी नए शादीशुदा जोड़े के पोस्ट में न दिखे.

malaika arora and arjun kapoor, marriage separationमलाइका अरोड़ा को जीवन साथी के रूप में अर्जुन कपूर मिल गए

मलाइका अरोड़ा भी अरबाज खान से अलग हुईं तो उन्हें जीवन साथी के रूप में अर्जुन कपूर मिल गए. कुल मिलाकर आम महिलाओं का तलाक टीवी सीरियल और फिल्मी दुनिया से तो बिल्कुल अलग है.

आम महिलाओं को पहले तलाक ही बड़ी मुश्किल से मिलता है. वे शादी बचाने के लिए हर वो कंप्रोमाइज करती हैं जो करना उनके वश में होता है. आम महिलाओं को समाज का डर रहता है क्योंकि उन्हें पता होता है कि गलती भले ही पति की क्यों न हो लेकिन उंगली उनके ऊपर ही उठाई जाएगी.

आम महिलाओं को तलाक के बाद अर्जुन और अनुज की तरह जीवन साथी नहीं मिलते जो सब जानते हुए भी उनका सम्मान करें और साथ दें. वैसे तलाकशुदा महिलाओं के लिए दूसरी शादी कोई मंजिल नहीं होती लेकिन तलाकशुदा महिलाओं की जो आजादी फिल्मी और सीरिलय में दिखाते हैं वैसे असल जिंदगी में शायद ही होता है.

वैसे तलाक लेना किसी महिला की ख्वाहिश नहीं होती लेकिन जब रिश्ते में प्यार की जगह जहर भर जाए तो उससे बाहर निकलने में ही भलाई है. जब शादी होती है तब पति-पत्नी यही सोचते हैं कि हम अपने रिश्ते को जिंदगी भर निभाएंगे लेकिन कभी-कभी जोड़ियां एक जन्म में ही टूट जाती हैं 7 जन्म तो बहुत दूर की बात है.

जब किसी जोड़े का तलाक होता है तो वे तकलीफ पति-पत्नी दोनों को होती है हालांकि तलाक के बाद सबसे ज्यादा तानें उस महिला के खाते में ही जाती है. तलाक लेने वाली महिला की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. जब किसी महिला के ऊपर तलाकशुदा का ठप्पा लग जाता है तो उसे समाज में कोई खास इज्जत नहीं मिलती. उस महिला के माथे गृहस्थी तोड़ने का दाग लग जाता है कि जबकि तलाक लेने वाले पुरुष को कोई घर घरतोड़ू नहीं कहता.

तलाक लेने वाली कई महिलाएं अपने मायके जाने में भी हिचकती हैं. जो महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी नहीं रहती हैं उन्हें सबसे पहले यह चिंता सताती है कि उनका खर्च कैसे चलेगा? उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी? उन्हें यह डर सताता रहता है कि समाज उन्हें अपनाएगा या नहीं?

anupama anuj, तलाक, अनुपमा, अनुपमा टीवी सीरियलआम घर की महिला का कोई अनुज इंतजार नहीं कर रहा है

तलाक के बाद सीरियल और फिल्मों से अलग होती है महिलाओं की जिंदगी

अनुपमा पति को तलाक देने के बाद भी अपने ससुराल में ही रहती है. वह एक ही छत के नीचे अपनी सौतन को झेलती है. वह अपने एक्स पति से दोस्ती कर लेती है और उसका साथ देती है. अनुपमा की जिंदगी में इतने तेजी से बदलाव तो सीरियल में ही संभव है. आम महिलाएं तो कई महीने रोने में बिता देती हैं. वे सोशल मीडिया से भी कटने लगती हैं.

वे तलाक के बाद पति से दोस्ता रखना तो दूर उसे देखने की हिम्मत भी नहीं रख पातीं. सौतन के साथ एक घर में रहना तो दूर की बात है उन्हें पहले ही घर छोड़ने की हिदायत दे दी गई रहती है. सुसराल वाले अपने बेटे का ही साथ देते हैं. बॉलीवुड में अभिनेता तलाक के बाद पत्नी को खर्चा-भत्ता देना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं वहीं असल जिंदगी में पुरुष इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं. आम पुरुष तलाक के बाद पत्नी को एक रुपया नहीं देना चाहते.

टीवी सीरियल और बॉलीवुड में तलाक कोई बड़ी बात है ही नहीं. हमारे आम घरों में तो तलाक के नाम पर हंगामा काटने के बाद रामायण और महाभारत दोनों शुरु हो जाता है. एक-दूसरे के परिवार पर कीचड़ उछाले जाते हैं जैसे तलाक न हुआ पानीपत का युद्ध हो गया. बॉलीवुड में तलाक इतना सौम्य होता है कि हो जाने के बाद ही किसी के इंस्टा पेज से पता चलता है. लोगों को लगता है कि अच्छा इस एक्टर का भी तलाक हो गया वहीं आम घरों में किसी महिला का तलाक एक मुद्दा बन जाता है.

आम घर की तलाक लेने वाली महिला अकेली ही होती है...वह टीवी सीरियल की अनुपमा नहीं है जो ससुराल के सभी लोग उसका साथ दें. आम घर की महिला का कोई अनुज इंतजार नहीं कर रहा है. वह सिर्फ अंधेरा साथ लेकर जिंदगी में आगे बढ़ने की जदोजहद कर रही होती है. आम घर की महिला अब मलाइका तो है नहीं, जिसके जख्म भरने के लिए कोई अर्जुन तैयार बैठा है. वैसे क्या आपको भी लगता है कि टीवी सीरियल और बॉलीवुड से असलियत का तलाक काफी अलग है?

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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