यही क्या कम है 100 साल बाद 'अंग्रेजों' को जलियांवाला बाग हत्याकांड याद आया!
13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार की जिम्मेदारी 100 साल बाद उठाना और ब्रिटिश पीएम का मामले पर खेद जताना ये बता देता है कि वो दिन दूर नहीं जब ब्रिटिश इस घटना के लिए पूरी तरह से माफी मांग लेंगे.
-
Total Shares
10 अप्रैल 2019. ये दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है. एक ऐसे समय में जब भारत देश आम चुनावों के मुहाने पर खड़ा हो और नई सरकार चुनने के लिए आतुर हो जो खबर सुदूर इंग्लैंड से आई वो किसी भी आम भारतीय के लिए एक बड़ी राहत है. भारत के एक मामले में अंग्रेजों को अपनी गलती का एहसास हुआ है. ब्रिटेन की पीएम थेरेसा में ने वहां की संसद में जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए खेद जताया है. में ने कहा है कि, जो हुआ उसके लिए हमें गहरा अफसोस है.
ये वाकई में आश्चर्य में डालने वाली बात है कि जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल बाद ब्रिटिश पीएम ने घटना पर खेद जताया है
ध्यान रहे कि बता आज से 100 साल पहले, 13 अप्रैल साल 1919 में बैसाखी के दिन अमृतसर के नजदीक जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा एक भीषण नरसंहार को अंजाम दिया गया. बताया जाता है कि जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट के विरोध में एक सभा हो रही थी. जिसमें जनरल डायर नाम के एक अंग्रेज अफसर ने उपस्थित भीड़ पर अकारण ही गोलियां चलवा दीं थी. माना जाता है कि इस हत्याकांड में बच्चों, बूढों समेत 400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
AFP: British Prime Minister Theresa May in British Parliament today expressed regret for #JallianwalaBaghMassacre; said, "We deeply regret what happened and the suffering caused." pic.twitter.com/F5CWvDfObg
— ANI (@ANI) April 10, 2019
ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं. वहीं बात अगर अनाधिकारिक आंकड़ों की हो तो इस हत्याकांड में 1000 से ऊपर लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. आपको बताते चलें कि इस घटना का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर कुछ ऐसा असर हुआ कि यहीं से भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का आरंभ बना.
भले ही आज ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा में आज इस घटना के लिए शर्मिंदा हों. मगर ये कोई पहला मौका नहीं है जब इस घटना को लेकर पूरी ब्रिटिश हुकूमत की किरकिरी हुई है. 1997 में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर आकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी. 2013 में भी तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन इस स्मारक पर आए थे. घटना के मद्देनजर विजिटर्स बुक में उन्होंने लिखा था कि 'ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी.'
गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही ब्रिटिश संसद में ब्रिटेन सरकार द्वारा माफी मांगने का प्रस्ताव रखा गया था जिसपर वहां खूब बहस हुई थी. मजेदार बात ये है कि ब्रिटेन के लगभग सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था और इसे वक़्त की जरूरत बताया था. वहीं ब्रिटिश सरकार के एशिया पेसेफिक मामलों के मंत्री मार्क फील्ड ने इस घटना को लेकर संसद में संवेदना तो जताई थी, मगर घटना को लेकर उन्होंने माफ़ी मांगने से साफ इंकार कर दिया था.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के बरसों पुराने उस मामले पर आज दुःख जताने के बाद जलियां वाला बाग़ ट्विटर के टॉप ट्रेंड में है. इस ट्रेंड पर आए हुए ट्वीट्स का यदि अवलोकन किया जाए तो मिल रहा है कि भले ही ब्रिटिश पीएम इस घटना को लेकर शर्मिंदा हों. मगर घटना के 100 सालों बाद भी इस हत्याकांड का दर्द आज भी किसी आम भारतीय के सीने में है.
Crimes of Britain are so wide and follows all over the world were there was colonial rule of britain...So assassination in London of Michael O' Dwyer, by udham Singh was also justified. #JallianwalaBaghMassacre #TheresaMay
— NaMo Again (@lucky_cool04) April 10, 2019
Britain PM Theresa May has expressed deep regret for #JallianwalaBaghMassacre
India is rising to great heights in world order. What could be brushed under the carpet for decades by them cannot continue now. Murderers of Sikh's, INC, will never understand this.
— Chowkidar Ashu (@muglikar_) April 10, 2019
Correction #JallianwalaBaghMassacre the first name of Dyer was Reginald and please don’t call him General. He had a temporary rank of brigadier-general at best @tweeter_anita https://t.co/z0HEnkqri0
— Navtej Sarna (@NavtejSarna) April 10, 2019
A century later British PM Theresa May expresses deep regret for Jallianwala Bagh Massacre of 1919 in British Parliament.India sure is having a growing International clout and global recognition under Modi govt.#JallianwalaBaghMassacre pic.twitter.com/D4d3cNAbvi
— Chowkidar Geetika Swami (@SwamiGeetika) April 10, 2019
माना जा रहा है कि अपनी इस पहल से ब्रिटिश हुकूमत कहीं न कहीं भारत के साथ उन संबंधों को सुधारने का प्रयास कर रही है जो इस घटना के चलते खराब हो चुके हैं. इस बात को हम ब्रिटिश एमपी सैलेश वारा की उन बातों से समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि इससे न सिर्फ ब्रिटेन और भारत के संबंधों में सुधार होगा बल्कि इसका असर दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था में भी देखने को मिलेगा.
बहरहाल, अब इसे राजनीति की मजबूरियां कहें या फिर पश्चाताप मगर जिस तरह लगातार 'ब्रिटिश हुकूमत' को अपनी गलती का एहसास हो रहा है. वो इस बात को साफ कर देता है कि वो दिन दूर नहीं जब 'ब्रिटिश प्रधानमंत्री' इस घटना पर माफ़ी मांग कर दुनिया को बता देगी कि कैसे उसने सत्ता हासिल करने के लिए हिंदुस्तान में निर्देशों को मौत की नींद सुलाया है.
ये भी पढ़ें -
ब्रिटेन के राजघराने के इन लोगों से सीखें अपने काम की इज्जत करना...
सोने की चिडिया को ऐसे कंगाल किया विलायतियों ने..
जब एक पोर्न स्टार को समझ लिया ब्रिटेन की PM !
आपकी राय