5वीं क्लास का बच्चा सुसाइड करे इससे तो पढ़ाई बंद ही करा दी जाए
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पांचवी के इस छात्र ने जो किया. वो ये बताने के लिए काफी है कि, आज जिस शिक्षा के लिए हम अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं वही शिक्षा इन मासूम बच्चों के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
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हम एक ऐसे समय में जीवन जी रहे हैं जिसमें खबरों की भरमार है. अखबार, टीवी, न्यूज पोर्टल बस खोलने भर की देर है, हर तरफ खबरें ही खबरें. ऐसी खबरें जो हमारे दुःख का पर्याय हैं और हमें ये एहसास दिलाती हैं कि अब वाकई ये दुनिया रहने लायक नहीं रह गयी है. आज हम आपको जिस खबर से रू-ब-रू करा रहे हैं. वो एक ऐसी खबर है, जो कठोर से कठोर ह्रदय वाले व्यक्ति को पिघला सकती है.
जिसे जान कर हम खुद अपने आप से सवाल करने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर हम किस दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं. क्यों हम इतने खोखले हो गए हैं कि अब हमें अपने अहम के सिवा कुछ दिखता नहीं है. आखिर क्यों हमारा सारा ध्यान अपने खोखले अहम को संतुष्ट करने के इर्द गिर्द घूमता है.
टीचर द्वारा मिली पनिशमेंट से आहत नवनीत ने इस दुनिया को अलविदा तो कह दिया मगर कई प्रश्न खड़े कर दिए
जिस खबर की बात हो रही है वो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से है जहां एक 5 साल के मासूम बच्चे ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली क्योंकि वो अपनी क्लास टीचर के खोखले अहम को संतुष्ट नहीं कर पाया. जी हाँ बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है जहां स्थित सेंट एन्थोनी कॉवेंट स्कूल की पांचवीं कक्षा के छात्र नवनीत प्रकाश ने क्लास टीचर द्वारा दी गयी सजा से आहत होकर बीते दिन जहर खा लिया, जिससे उसकी मौत हो गयी.
बताया जा रहा है कि, पांच साल के नवनीत के स्कूल बैग से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें नवनीत ने लिखा है कि क्लास टीचर ने उसे तीन घंटे तक कक्षा में खड़ा रहने की सजा दी और मुर्गा भी बनाया. पत्र में उसने अपनी आखिरी इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि आरोपी शिक्षिका भविष्य में किसी बच्चे को ऐसी सजा ना दे. फिलहाल पुलिस ने आरोपी शिक्षिका भावना जोजफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है.
वो सुसाइड नोट जिसमें नवनीत ने लिखी थी अपनी दास्तां
आरोपी टीचर भावना जोजफ गिरफ्तार हो चुकी है. मासूम नवनीत, अपने घरवालों और इस दुनिया को छोड़ के कहीं दूर जा चुका है. वो जहां है, उस दूसरी दुनिया से वो यही कामना कर रहा है कि अब भविष्य में उसके पास कोई ऐसा बच्चा न आए जिसकी टीचर ने उसे सिर्फ इसलिए सजा दी हो क्योंकि अपनी मासूमियत के चलते उसने टीचर की बात नहीं मानी.
कहा जा सकता है कि नवनीत ने आत्महत्या नहीं की है उसकी हत्या हुई है. इस हत्या की जिम्मेदार वो शिक्षा प्रणाली है जो उन टीचर्स की ही तरह खोखली और अन्दर से खाली है. एक ऐसी शिक्षा प्रणाली, जिसका उद्देश्य तो था देश के प्रत्येक नागरिक को जागरूक करना और एक बेहतर इंसान बनाना मगर जिसने इंसानों को हैवान बल्कि उससे भी बदतर बना के रख दिया है.
अपने सुसाइड नोट में मां को अंतिम इच्छा बताता नवनीत
ज्ञात हो कि आज का ये दौर, प्रतियोगिता का दौर है. एक ऐसा दौर जब स्कूल, कॉलेजों, विश्व विद्यालयों में सब एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं ऐसे में कमजोर या फिर चंचल छात्रों को आज जिस तरह अध्यापकों द्वारा 'सुधारा' जा रहा है वो अपने आप में कई सवालों को जन्म देने के लिए काफी है.
अंत में इतना ही कि अगर शिक्षा का वर्तमान स्वरुप इतना तकलीफ देने वाला है तो हम बच्चों को घर में ही पढ़ा लेंगे, हमारे बच्चे निरक्षर ही सही कम से कम वो हमारी आंखों के सामने तो रहेंगे ही. साथ ही अब वो वक़्त भी आ गया है जब हमें ये सोचना होगा कि आखिर कैसे और क्यों इस पांचवी में पढ़ने वाले छोटे से बच्चे के मन में, आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त करने का भारी भरकम विचार आया. इसके अलावा हमें ये भी समझना होगा कि अब दौर बदल चुके हैं और इस बदले हुए दौर में हमें पूर्व की अपेक्षा अब अपने बच्चों के प्रति ज्यादा सचेत रहना होगा.
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