कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
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बहू ना हुई कि मशीन हो गई. ससुराल में उसे सबके ईशारों पर नाचना पड़ता है. हो सकता है कि आपके घर में ऐसा ना हो मगर आज भी अधिकतर घरों की यही कहानी है. शादी के बाद बहू के घर आते ही सभी घर के कामों से मुक्ति पा लेते हैं. घर में बहू आ गई है, अब वही संभाले अपनी घर-गृहस्थी.
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबकी बात मानती है. सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं. बे बात-बात पर बहू की गलती निकालते रहते हैं. आइए देखते हैं कि ऐसी कौन सी बातें हैं जिन्हें करने के बाद कुछ घर की बहुएं बुरी कहलाने लगती हैं.
जब बहू मायके वालों का साथ दे दे
कहा जाता है कि शादी के बाद एक लड़की का असली घर उसका ससुराल ही होता है. मगर कोई लड़की के मन से भी पूछो जो दिन रात अपने घर को दिल के किसी कोने में लिए फिरती है. वह चाहकर भी अपनों और अपने घर को नहीं भूला सकती. उसके मन में हमेशा अपने घर की चिंता लगी रहती है. वह जहां पली-बढ़ी है, जहां उसका बचपन बीता है...उससे भला कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह सबकुछ भूला कर पूरा ध्यान सिर्फ अपने ससुराल पर लगाए. कुछ ससुराल वाले चाहते हैं कि बहू अब पूरी तरह इस घर की हो जाए और मायके वालों से इतना मतलब ना रखे. ससुराल वाले उम्मीद करते हैं कि कोई बात होने पर वह ससुराल की तरफ से बोले ना कि अपने मायके की तरफ से. ऐसे में हर बार ससुराल का साथ देने वाली बहू तब बुरी बन जाती है जब वह अपने मायके वालों का साथ दे दे.
कुछ ससुराल वालों को लगता है कि बहू को उनके हिसाब से ही रहना चाहिए
जब किसी बात के लिए ना कह दें
कुछ ससुराल वाले उम्मीद करते हैं कि घर की बहू उनके हर बात में हां में हां मिलाए. वह किसी बात पर अपनी राय ना थोपे. वैसे भी घर के फैसलों में बहू की राय लेता कौन है? बहू तब तक सभी को अच्छी लगती है जब तक वह सभी के हां में हां मिलती है. सबका कहना मानती है. सबका काम करती है. वह अचानक सभी के लिए तब बुरी बन जाती है जब किसी बात के लिए ना कह देती है या मना कर देती है.
जब बीमार पड़ जाएं और सेवा करवाए
जो बहू दिन रात काम करती है, सबकी सेवा करती है वह तब बुरी बन जाती है जब खुद बीमार पड़ जाती है और ससुराल के लोगों को उसकी सेवा करनी पड़ती है. जब वह ठीक रहती है सबके आगे-पीछे भागती है. सबका ध्यान रखती है. वह तो बीमार पड़ने पर भी मेडसिन खाकर काम करती रहती है मगर जब बिस्तर पकड़ लेती है तो सभी के लिए बोझ बन जाती है. किसी को उसका ध्यान रखना अच्छा नहीं लगता है. यानी बहू चाहिए मगर बीमार नहीं.
जब खुद के लिए कोई डिमांड कर दे
वैसे तो बहू सबकी डिमांड पूरी करती रहती है. सबके मन पसंद का नाश्ता बनाती है. सबकी फरमाइशें पूरी करती है. मगर सबके लिए वह बुरी तब बन जाती है जब अपने लिए कोई डिमांड कर दे या अपने लिए कोई मांग कर दे. कुछ ससुराल वाले यह सोच भी नहीं पाते कि बहू भी कुछ डिमांड कर सकती है. उनके लिए जो उसे मिल रहा है वह बहुत है.
जब सबके ताने सुनते-सुनते अपने बचाव में कुछ बोल दें
कुछ ससुराल वाले ये उम्मीद करते हैं कि कुछ भी हो जाए बहू पलट कर जवाब ना दे. सवाल पूछना बहू का काम नहीं है. बहू ससुराल वालों की बातें सुनती रहती है. उनके ताने बर्दाश्त करती रहती है. मगर जिस दिन ताने-ताने सुनते-सुनते अपने बचाव में कुछ बोल दे वह बुरी बन जाती है.
कुल मिलाकर कुछ ससुराल वालों को लगता है कि बहू को उनके हिसाब से ही रहना चाहिए. उसे अपने बारे में सोचने, बोलने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वह गूंगी बनकर चुपचाप सब सहती है तो अच्छी है और अगर वह सही बात भी बोल देती है तो सबके लिए बुरी बन जाती है.
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